ये कैसा योग ? साहब आप योगासन में और जनता दर्दासन में ! कौन है अल्पना के दर्द को समझने वाला !
* दर्द से कराहती अल्पना बोली, सरकार पहले अपने सिस्टम को निरोगी बनाओ जनता का स्वास्थ्य खुद सुधर जाएगा ।
केन्द्र की मोदी सरकार एवं प्रदेश की त्रिवेन्द्र सरकार भले ही योग के माध्यम से स्वस्थ्य होने का संदेश दे रही हो लेकिन उत्तराखंड में हालात लगातार बिगडते जा रहे हैं। सरकार के तमाम दावों के बावजूद पहाड़ों मे स्वास्थ्य सुविधाओं के बुरे हाल है, गांव गांव तक डॉक्टर पहुंचाने के दावे तब फेल होते दिखते हैं, जब गढवाल के सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल मे प्रसव पीड़ित महिलाओं को भर्ती तक नही किया जा रहा है, यहां प्रसव पीड़ित 27 साल की अल्पना को 24 घटें अस्पताल के गेट पर गुजारने पड़े। श्रीनगर से आकांक्षा बदूनी की एक ख़ास रिर्पोट-

प्रसव पीड़ा की समस्या को लेकर श्रीनगर बेस अस्पताल पहुंची 27 साल की अल्पना। जो दो अस्पतालों से रेफर होकर राजकीय मेडिकल कॉलेज के श्रीनगर बेस अस्पताल में इस उम्मीद के साथ आई थी कि यहां उसे अच्छा इलाज मिलेगा, और वो यहां से सुरक्षित डिलवरी करवा के वापस अपने घर जा सकेगी । लेकिन गढवाल के चार जिलों के इस सबसे बड़े अस्पताल मे अल्पना को गाइनी वार्ड का एक बेड भी नसीब नही हो सका। पौड़ी के सिलेथ गांव से प्रसव पीड़ा को लेकर अल्पना पहले अपने पास के प्राथमिक चिकित्सालय पहुंची जहां से उसे जिला चिकित्सालय पौड़ी रेफर किया गया, यहां जब डॉक्टर उपलब्ध नही हुए तो उनके दर्द को गम्भीर मानते हुए श्रीनगर रेफर किया गया लेकिन यहां अल्पना को 24 घन्टे अस्पताल के गेट पर लगी कुर्सी पर ही बीताने पड़े।
अल्पना व उसके परिजनों की शिकायत है कि गाइनी वार्ड ने उसको अपने वार्ड मे भर्ती करना भी उचित नही समझा । जिसके लिए उसके परिजनों ने कई बार गुहार भी लगाई लेकिन डॉक्टरों की कमी की वजह से उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया गया, और अल्पना दर्द से कराहती रही ।
श्रीनगर बेस अस्पताल मे अल्पना की प्रसव पीड़ा जैसी समस्या से इन दिनों गढवाल क्षेत्र की कई महिलाऐं दो-चार हो रही है। हर दिन अत्याधुनिक सुविधाओं से लेश इस अस्पताल मे पौड़ी ,चमोली, टिहरी व रूद्रप्रयाग से महिलाऐं रेफर होकर आ रही है लेकिन आलम ये है कि अस्पताल के गाइनी वार्ड मे 8 पदों के सापेक्ष केवल 3 ही पदों डॉक्टर नियुक्त हैं । जिसमे से भी एक डॉक्टर छुट्टी पर है। गाइनी वार्ड की विभागाध्यक्ष का कहना है कि हर दिन 50 की ओपीडी व 15 महिलाऐं डिलवरी के लिए अस्पताल मे आती है। जिसमे से 8 से 10 महिलाऐं अलग-अलग अस्पतालों से सीजिरियन डिलवरी के लिए रेफर होकर आती है। एक डॉक्टर से इतने ज्यादा केस देखना सम्भव नही है , इसलिए वह ऑपरेशन वार्ड व लेबर वार्ड को बन्द करने के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र दे चुकी है। वहीं प्रसव पीड़ा से जूझते हुए अल्पना का 24 घटें अस्पताल के गेट पर दर्द के साथ बीताना अस्पताल के किसी भी अधिकारी की मानवीय संवेदनाओं को नही झखजोर पाया । अब अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी ने इसे खेद जनक बताया और वार्ड से लिखित जबाव मांगकर कार्यवाही की बात कही।

बहरहाल अल्पना ने 24 घटें अस्पताल के गेट पर बीताये और अब उसके परिजनों ने उसे प्राइवेट वाहन से ऋषिकेष या देहरादून ले गये हैं । लेकिन हर दिन इस अस्पताल मे प्रसव पीड़ित महिलाओं को ऐसे ही परेशान होकर आठ से 10 घटें का सफर करके देहरादून जाना पड़ रहा है। ऐसे मे चार जिलों को ऑनलाइन कैमरों से टैली मेडिसिन प्रणाली पर इलाज देने का वायदा करने वाले दावे की साथ इस अस्पताल की बीमार अवस्था को भी बखूबी समझा जा सकता है।
अगर सरकार इन हालतों को समझकर भी डॉक्टरों की तैनाती नही करती है तो आने वाले दिनों मे और दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
Youth icon Yi media report . Editor shashi bhushan maithani paras . शशि भूषण मैठाणी – 9756838527 , 7060214681
Really this is a serious matter that we have no medical facilities and Doctors in the city. I personally faced this problem in base Hospital. Very good article “Akanksha Banduni”. Hoping your voice will become a “VOICE OF NATION” soon. We are with you always.
Pahle sunne me aya tha ki army overtake kar Rahi hai base hospital Ko.. uska kya hua , kya cancel ho Gaya wo prog….
Keep it up Akanksha …and Good job
It’s alarming for evr1 out there. They should strictly take action on this. This is insane people are in pain and no one is ready to listen to them. Thanks akansha for bringing up this article hope it will help alot and will become an eye opener too. Keep it up