Don’t neglect Breast Cancer symptoms : स्तन कैंसर को लेकर डाॅ सुनीता प्रभाकर की अनूठी पहल राज्य भर में कैंप लगाकर करेंगी लोगों को जागरूक !
Shashi Bhushan Maithani ‘Paras‘
देहरादून। कैंसर किसी भी तरह का हो नाम सुनते ही कैंसर पीड़ित और उनके परिवार वाले मरीज के जीने की उम्मीद छोड़ देते हैं। कैंसर पीड़ित और परिजन डाॅक्टरी सलाह और ईलाज से पहले ही मान लेते हैं कि बचना मुश्किल है, इसलिए डाॅक्टर के चक्कर काटने और ईलाज पर पैसा खर्च करना बेकार है। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। विशेषज्ञों की मानें तो ये धारणा सही नहीं है। भारत में हर साल स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या में प्रति एक लाख में से तीस की औसत से इजाफा हो रहा है। उत्तराखंड की विख्यात महिला रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर के मुताबिक, स्तन में गांठ, सूजन या फिर किसी भी तरह का बदलाव महसूस हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। स्तन कैंसर से डरे नहीं क्योंकि इसका निदान संभव है, अगर स्तन कैंसर पहले स्टेज में ही है, तो इसे जड़ से खत्म करना बहुत आसान है।
Don’t neglect Breast Cancer symptoms : स्तन कैंसर को लेकर डाॅ सुनीता प्रभाकर की अनूठी पहल राज्य भर में कैंप लगाकर करेंगी लोगों को जागरूक !
डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर के मुताबिक, शराब, धुम्रपान, तंबाकू के साथ-साथ बढ़ता वजन, ज्यादा उम्र में गर्भवती होना और बच्चों को स्तनपान ना करवाना स्तन कैंसर के प्रमुख कारण हैं। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपने वजन को नियंत्रित रखें, गर्भधारण का समय निश्चित करें और कम-से-कम 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं। ऐसा करने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर कहती हैं कि स्तन कैंसर का कारण आनुवंशिक भी हो सकता हैं, लेकिन ऐसा सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत महिलाओं में ही पाया जाता हैै। साथ ही बदलते दौर में अपने लाइफस्टाइल को जरूरत से ज्यादा बदलना भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है। इसलिए ज्यादा कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन से दूर रहें और गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन ना करें। इसके अलावा 40 की उम्र के बाद साल में एक बार मेमोग्राफी जरूर करवाएं। अक्सर मेमोग्राफी टेस्ट का नाम सुनकर महिलाएं डरती हैं, लेकिन इस टेस्ट से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर कहती हैं कि स्तन कैंसर को लेकर जानकारी का अभाव भी इसके फैलने में अहम रोल निभा रहा है। बॉयोप्सी टेस्ट से जानकारी मिल जाती है कि स्तन कैंसर है या नहीं। अगर स्तन में गांठ है तो उसका आकार कितना बड़ा है और यह किस तरह का स्तन कैंसर है ये जानने के बाद इलाज की प्रक्रिया आसान हो जाती है। स्तन कैंसर की होती है 4 अवस्था स्तन कैंसर अगर पहले स्टेज में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80 प्रतिशत से ज्यादा होती है। दूसरे स्टेज में अगर स्तन कैंसर है 60-70 प्रतिशत तक महिलाएं ठीक हो जाती हैं, वहीं तीसरे या चैथे स्टेज में स्तन कैंसर है तो इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है। इसलिए सही समय पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होता है। स्तन कैंसर के उपचार के लिए डॉक्टर सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी करते हैं।
सर्वाइकल कैंसर से बचना हैं तो करवाएं टीकाकरण
गर्भाशय ग्रीवा में होने वाले कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। आज भारत में हर 10 में से एक महिला सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित है। ऐसे में महिलाओं को इसके प्रति सचेत रहने की जरूरत है। सर्वाइकल कैंसर से बचने के 2 तरीके हैं, टीकाकरण और स्क्रीनिंग। हर 8 मिनट में सर्वाइकल कैंसर से एक मौत हो रही है। साल भर में इस बीमारी से लगभग 34 हजार मौतें होती हैं। उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर में 30 से 40 प्रतिशत मरीज तीसरी स्टेज में डॉक्टर के पास आते है। ऐसे स्थिति में बचाव के मौके काफी कम होते हैं। सिर्फ 10-20 प्रतिशत लोग इस रोग के शुरुआती दौर में डॉक्टर से संपर्क कर पाते हैं। इस रोग से बचने के लिए सबसे पहले व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा मासिक धर्म के बीच में होने वाली ब्लीडिंग और फिजिकल होने के बाद अगर ब्लीडिंग हो तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सर्वाइकल कैंसर के मामले उत्तर भारत में ज्यादा हैं क्योंकि इसके प्रति यहां ऐसे आयोजन बहुत काम होते हैं। इसकी वजह से आम जनता तक इसकी जानकारी नहीं पहुंचती है।
कैन प्रोटेक्ट फांउडेशन की सकारात्मक पहल
अक्टूबर का महीना पूरी दूनिया में ब्रेस्ट कैंसर प्रविसेयन मंथ के तौर पर मनाया जा रहा है। कैन प्रोटेक्ट फांउडेशन भी इस माह के दौरान बड़े पैमाने पर स्तर कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के प्रति महिलाओं को जागरूक करेगा। इस दौरान फाउंडेशन की प्रेसिडेंट राज्य की विख्यात महिला रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर की देखरेख में राज्यभर में 15 जागरूकता एंव जांच कैंप लगाए जाएंगे। इन कैंप्स में बेहद रियायती दरों पर ब्रेस्ट एवं सर्वाइकल कैंसर की जांच की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर कहती हैं कि हमारे पास उत्तराखंड के दूर दराज से मरीज आते हैं। यही नहीं कई मरीजों में कैंसर काॅफी एडवांस स्टेज में रहता है। इस स्थित में कैंसर का ईजाल इतना आसान नहीं होता है। राज्य में कैंसर के विशेषज्ञ डाॅक्टरों की कमी है। कैंसर का इलाज भी महंगा है। कैंसर के प्रति जागरूता लाकर महिलाओं को बचाया जा सकता है।
स्तन कैंसर होने के आम कारण
ऽ बढ़ती उम्र ऽ ज्यादा उम्र में पहले बच्चे का जन्म ऽ आनुवांशिकता ऽ शराब जैसे पेय पदार्थ का अधिक सेवन ऽ खराब जीवनशैली
स्तन कैंसर के आम लक्षण
ऽ स्तन या बाँह के नीचे गांठ होना ऽ स्तन से रस जैसे कुछ पदार्थ का निकलना ऽ निपल्स का मुड़ जाना ऽ स्तन में सूजन ऽ स्तन के आकार में बदलाव ऽ स्तन को दबाने पर दर्द न होना
स्तन कैंसर को रोकने के उपाय
ऽ ज्यादा मात्रा में धुम्रपान का सेवन न करें ऽ शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय हो, व्यायाम आदि नियमित रूप से करें ऽ कम मात्रा में रेड मीट का सेवन करें ऽ नमक का सेवन कम करें ऽ सूर्य के तेज किरणों के प्रभाव से बचें ऽ गर्भनिरोधक गोलियों का लगातार सेवन डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करें
Dr. Sumita Prabhakar
यह समझना बेहद जरूरी है कि अलग-अलग महिलाओं में स्तन कैंसर के अलग-अलग लक्षण पाए जाते हैं। स्तन कैंसर को समझना आसान है, स्त्रियां खुद भी स्तन की जांच कर सकती हैं। स्तन में गांठ, स्तन के निप्पल के आकर या स्किन में बदलाव, स्तन का सख््त होना, स्तन के निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, बाहों के नीचे (अंडर आर्म्स) भी गांठ होना स्तन कैंसर के संकेत हैं। हालांकि स्तन में हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन इसकी जांच करवाना बेहद जरूरी है, ताकि कहीं वो आगे चलकर कैंसर का रूप ना पकड़ ले। डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर, महिला रोग विशेषज्ञ
स्तन कैंसर से जूझ रही एक महिला कहती हैं कि स्तन कैंसर का नाम सुनते ही मैं बहुत घबरा गई थी। मेरे डर को दूर किया डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर ने। उन्होंने मुझे समझाया है कि बीमारी कोई भी हो मरीज को दिमागी तौर पर स्थिर होना जरूरी है और यह मानना चाहिए कि मैं बहुत जल्द ठीक हो जाऊंगी। डाॅक्टर सुमिता प्रभाकर ने कहा कि मैं स्तन कैंसर के शुरुआती दौर में हूं। इसलिए मैं ठीक हो जाऊंगी। जिसके लिए मुझे सिर्फ डॉक्टर के बताए गए तरीके और दवाइयों समय पर लेनी है। सबित्री, कैंसर पीड़ित (काल्पनिक नाम)