Good work is being done by Roshan : पहाड़ के लाल का देखो कमाल, बेगाने मुल्क में अद्भुत काम कर नाम कर रहा है रोशन ।
बेगाने मुल्क में फंस गए हो हो घबराना नहीं “रोशन“ है ना
कौन है देवभूमि का यह लाल जो बन गया है लोगों के लिए देवदूत
Yi मीडिया रिपोर्ट,
यूथ आइकाॅन की हमेशा कोशिश रहती है देश के कोने-कोने से ऐसे आॅइकन की खोज करना जो मानवता की मिशाल हों। जिनके कामों को देखकर हम गर्व से कह सकें कि यह हैं हमारे यूथ आइकाॅन। हर बार की तरह इस बार भी हम आपको ऐसे ही एक यूथ आइकाॅन से रूबरू करा रहे हैं जो मानवता और समाज सेवा की मिशाल हैं। सात समंदर पार रहने वाले देवभूमि उत्तराखंड के इस लाल के रोम-रोम में बसता है हिन्दुस्तान और उत्तराखंड की माटी की सुंगध। जतो नाम ततो गुण की भावना को सार्थक करते इस शख्स का नाम है रोशन रतूड़ी।
दुबई में रहने वाले रोशन रतूड़ी आज हिन्दुस्तान के हजारों उन युवाओं और परिवारों के लिए देवदूत हैं जिन्होंने वतन लौटने की आस छोड़ दी थी। रोशन मूल रूप से टिहरी के हिंडोलाखाल के भटवा गांव के रहने वाले हैं। सन् 1980 में इनका परिवार भगवानपुर भाववाला प्रेमनगर में आकर बस गया था। तब से यह भाववाला में ही रहते हैं। भाववाला इंटर कांलेज से प्रारंभिक पढाई के साथ डीएवी पीजी काॅलेज से सांईस में स्नातक किया। उसके बाद रोजगार की तलाश में खाड़ी देश गए और वहां अपनी कामयाबी का परचम लहराया।
आज रोशन रतूड़ी दुबई में भले ही रहते हैं, लेकिन उनका दिल अपने देश के लिए धड़कता है। दुबई में रहने वाले रोशन वहां एक क्लीनिंग सर्विस कंपनी चलाते हैं। इसके साथ ही वो रेस्तरां बिजनेस से भी जुड़े हैं। रोशन रतूड़ी अपने फेसबुक पेज के माध्यम से विदेशों में बसे भारतीय व उत्तराखंड के लोगों से हमेशा जुड़े रहते हैं।
दुबई-ओमान में फंसे लोगों के लिए मसीहा

कोई भी भारतीय कभी भी विदेश में किसी भी मुसीबत में फंसा होता है, तो रोशन रतूड़ी उसकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। वो दुबई-ओमान के साथ ही विदेश के किसी भी देश में फंसे भारतीय ही नहीं एशियाई लोगों को हर तरह की मदद मुहैया कराते हैं। यह काम वो मानव सेवा और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सब्लिटी के तहत अपने स्तर पर कर रहे हैं। इस युवा ने बार-बार साबित किया है कि अगर कुछ करना है, तो सबसे पहले खुद के ही हाथ आगे बढ़ाने होंगे। मुश्किलों से गुजरना कोई इस युवा से सीखे।
धूम सिंह को नरक भरी जिंदगी से दिलाई आजादी
उत्तराखंडी युवक धूम सिंह आज भी जब पुराने दिनों को याद करता है तो उसकी आंखों से आंसू निकल आते हैं। धूम सिंह कहते हैं कि उनके लिए रोशन रतूड़ी देवदूत बनकर आये। धूम सिंह को विदेश की नरक भरी जिंदगी से निकालने में रोशन ने काफी मेहनत और दिनरात एक कर दिया था। रोशन खाड़ी मुल्क में फंसे धूम सिंह को दुबई से शारजहां इमीग्रेशन कार्यालय से लाए और सारी कानूनी कार्यवाही को पूरा किया। धूम सिंह करीब 22 महीने से विदेश मै फंसे हुए थे। उनका मालिक पासपोर्ट नहीं दे रहा था। उनका वीजा भी नहीं था। घूम सिंह जी ने वतन जाने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। मालिक की कैद से आजाद कराने के बाद रोशन ने धूम सिंह चैहान को 15 दिन अपने घर में रखा। कानूनी और कागजी कार्रवाही पूरी करने के बाद उन्हें हिन्दुस्तान अपने देश भेजा। आज धूम अपने परिवार के साथ हैं सिर्फ रोशन रतूड़ी के प्रयासों की बदौलत। आपको जानकर हैरानी होगी कि अब तक विदेशों में फंसे 348 लोगों को रोशन रतूड़ी सकुशल उनके परिवार से मिला चुके हैं।
रोशन ने लगाया बलवीर की जख्मों पर मरहम
दुबई के राशिद अस्पताल में भर्ती टिहरी गढ़वाल निवासी बलवीर सिंह की मदद के लिए भी रोशन रतूड़ी सबसे आगे खड़े नजर आए। बलवीर के मित्र जगमोहन ने बताया रोशन रतूड़ी रोज बलवीर को देखने हॉस्पिटल जाते। बलवीर दुबई के जिस होटल में काम करता है उसके कोल्ड रुम में वह घायल हालत में पड़ा हुआ मिला था। जिसमें चाकू भी उसके नजदीक गिरा हुआ था। पीड़ित के परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके इलाज की जिम्मेदारी भी रोशन रतूड़ी ने उठाई।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित अपने घर एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने आये रोशन रतूड़ी से मैने अपने एक मित्र हर्ष के जरिए संपर्क साधा और उन्हें यूथ आइकाॅन कार्यालय आमंत्रित किया। जिसके बाद रोशन रतूड़ी से हुई कई मुद्दों पर वेवाक बातचीत। क्या कुछ कहा रोशन रतूड़ी ने और क्या नसीहत दी विदेश जाने वाले युवाओं को आप खुद ही पढ़िए हमारी इस खास रिपोर्ट में।
सवाल- रोशन जी आपके मन में कैसे आया कि खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को छुड़ा कर वापस वतन भेजना है?
जवाब- मानवात और समाजसेवा की भावना माता-पिता ने बचपन से ही सिखाई है। इसकी शुरूआत मैने मस्कट से की जहां मेरा बिजनेश है। मैने देखा कि मस्कट में हमारे देश के कई लोग फंसे हुए हैं। किसी का पासपोर्ट उसका मालिक नहीं दे रहा है तो कोई गलत वीजा पर यहां आ गया है, तो कोई किसी अन्य वजह से परेशान है। इन भारतीय की पुकार सुनने वाला और इनकी मदद करने वाला यहां कोई नहीं है। कई लोग भूखे प्यासे फुटपात पर रात गुजारने को मजबूर हैं पर इनका मद्दगार कोई नहीं है। मैने इस बात को अपने माता-पिता से कहा। उन्होंने कहा कि बेटा तुम्हें अरब देशों के कानून की बेहत्तर जानकारी है और तुम काॅफी हद तक इनकी मद्द करने में सक्षम हो तो तुम इसकी शुरूआत करो। माता-पिता के आर्शीवाद से मैने इसकी शुरूआत की। जिसमें मुझे बहुत भागदौड़ और मेहनत करनी पड़ी। लेकिन मैने हार नहीं मानी और फिर मुझे अपने इस मकसद में सफलता मिलने लगी। इसके बाद मैने ठान लिया कि मैने विदेश में आने वाले लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक करने के साथ ही फंसे हुए लोगों के लिए आखिरी सांस तक लड़ता रहूंगा।
सवाल- रोशन जी अभी तक आप विदेशों में फंसे कितने लोगों की मद्द कर चुके हैं?
जवाब- अभी तक में करीब 348 लोगों की मद्द कर चुका हूं। जो अलग-अलग कारणों से विदेशों में फंसे हुए थे। जिसमें से 178 लोग दुबई, यूएई और अन्य तुर्की, लीबिया, अफ्रीका, युगांडा, कतर बहरीन शामिल हैं। यूए, जापान में भी कई लोग फंसे हुए हैं उन तक पहुंचने में लगातार प्रयासरत हूं। जल्द उनको भी वतन उनके अपने के पास भेजूंगा।
सवाल- भारतीय सरकार से कोई मद्द मिली है आपको अभी तक?
जवाब- भारत सरकार ने मुझे कभी कोई मद्द नहीं की। बहुत बार मैंने कोशिश भी की लेकिन कुछ नहीं हुआ। अगर सरकार मद्द करे तो में बड़ी संख्या में फंसे हुए लोगों की मद्द कर सकता हूं। मुझे भारतीय सरकार से कोई पैंसा नहीं चाहिए कोई आर्थिक मद्द नहीं चाहिए। मुझे भारतीय दूतावास से उस समय मद्द चाहिए जब कोई आदमी मर जाता है या फिर कोई आदमी बुरी तरह फंस जाता है। उनके पासपोर्ट कोई कंपनी नहीं देती है। उस सिचुवेशन में दूसरे पासपोर्ट जिसे हम आउटपास भी कहते हें उसके लिए आवेदन करना पढ़ता है। उस समय केवल भारतीय एमबेंसी ही मद्द कर सकती है। उस समय अगर एमबेंसी मद्द करे तो में बड़ी संख्या में फंसे लोगों की मद्द कर सकता हूं। उम्मीद है कभी तो सरकार इस विषय में गंभीरता से सोचेगी।
सवाल- उत्तराखंड के विदेशों में फंसे कितने लोगों की सकुशल वापसी में मद्द की है आपने?
जवाब- खाड़ी देशों के साथ ही अन्य देशों में विभिन्न कारणों से फंसे उत्तराखंड के 108 लोगों की अब तक में मद्द कर चुका हूं। उत्तराखंड के सबसे ज्यादा लोग पिथौरागढ़ जनपद के हैं जिनकी मैने मद्द की है। गढ़वाल मंडल के साथ ही राजधानी देहरादून के कई लोगों की भी मैने मद्द की है।
सवाल- उत्तराखंड के अलावा देश के अन्य किन राज्यों के लोगों की मद्द की है आपने?
जवाब- मुझे लगता है हिन्दुस्तान के लगभग सभी राज्यों के लोगों की मैने विदेश से घर पहुंचाने या अन्य किसी भी प्रकार की मुसीबत में मद्द जरूर की है। मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर, गुजरात, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, और दक्षिण भारत के लोगों की बड़ी संख्या में मद्द की है।
सवाल- कोई ऐसा मामला भी सामने आया है जिसमें फंसे हुए व्यक्ति की मौत हो गई हो?
जवाब- जी हां, सतीश पुजारी जो कर्नाटक के रहने वाले थे जिनकी मृत्यु हो गई थी। जिनकी बाॅडी को घर पहुंचाने में मुझे 18 दिन लगे। जिसमें मैने 1 लाख 30 हजार रूपये का पेंमेट किया था उनकी बाॅडी को घर भिजवाने में। उनकी बाॅडी खराब न हो इसके लिए ओमान के सबसे बड़े अस्पताल में उनके शव को रखा। इसके बाद मैं एक अन्य व्यक्ति गजेन्द्र नगवान के शव को विदेश से हरिद्वार लेकर आया था। भारतीय एंबेसी ने भी इन मामलों में मेरी मद्द की। इसके बाद इसरार हुसैन जिन्होंने विदेश में आत्महत्या कर ली थी, उनके शव को भी उनके परिजनों तक पहुंचाने में मुझे 18 दिन लगे।
सवाल- इतना मुश्किल काम करते हुए आपको डर नहीं लगता?
जवाब- इंसान चाहे तो मुश्किल से मुश्किल काम को भी हिम्मत के साथ आसानी से कर सकता है। बस इसके लिए जुनून होना चाहीए। हमेशा यूं ही इनसानियत के लिए काम करते रहते हैं। उनके मुताबिक ये जोखिम भरा काम है लेकिन नामुमकिन कुछ भी नही है।
सवाल- विदेश मैं नौकरी करने वाले जाने वाले लोगों के लिए आपकी क्या सलाह है कि उनके साथ ऐसा कुछ न हो?
जवाब- मेरा काम की तलाश में विदेश जाने वाले सभी लोगों से आग्रह है कि वह विजिट वीजा में कभी विदेश न जाएं। अक्सर क्या होता है कि अधिकांश लोग ऐजेंटो के माध्यम से विदेश जाते हैं। एजेंट क्या करते हैं कि विजिट वीजा के माध्यम से लोगों को विदेश भेजते हैं। वीजा 18 किस्म के होते हैं उनमें से विजिट बीजा की कीमत 8 हजार 500 होती है। लेकिन एजेंट 1.50 लाख डेढ से 2 लाख दो लाख ले लेते हैं। और बोलते हैं कि किसी से बोलना नहीं। लेकिन मेरा कहना है कि आप उस ऐजेंट का सीआर नम्बर लें ले। उसकी पासपोर्ट, आधार कार्ड की फोटो काॅफी और एजेंट की फोटो भी ले लें। साथ ही रिर्टन टिकट भी साथ जरूर रखें। भारतीय सरकार भी ऐसी व्यवस्था करे कि कोई बिना रिर्टन टिकट के विदेश न जाने पाये। अक्सर रिर्टन टिकट न होने से कई परेशानी होती है। इसलिए किसी भी ऐजेंट के झांसे में बिल्कुल भी न आएं। अगर विदेश आने वाले किसी व्यक्ति को अन्य कोई जानकारी लेनी है तो वह फेसबुक के माध्यम से मुझ से संपर्क कर सकता है।
सवाल- अपने देशवासियों के लिए आपका कोई मैसेज?
जवाब- मैं आप सबका सेवक विदेशो मैं फंसे भारतीय भाईयों की मदद के लिए हमेशा आगे खड़ा रहूंगा। और उनके परिवार के पास सकुशल भेजता रहूंगा। बस आप सबका साथ प्यार आशीर्वाद बना रहे। मैं चाहता हूं कि पूरी दुनिया में हमारे उत्तराखंड और हिन्दुस्तान को मानवता सेवा मै एक बड़ी पहचान मिले।
दिन हो या रात, हर वक्त रोशन लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। हिम्मत कभी मत हारो, हौसला बुलंद रखो, मंजिल खुद ब खुद आसान हो जाएगी’’ यही रोशन रतूड़ी के जिंदगी जीने का फलसफा है। उम्मीद है आपको अपने इस रियल हीरो की बातों से काॅफी कुछ सीखने को मिलेगा।
विदेशी धरती पर मानवाता के ऐसे सच्चे प्रहरी को यूथ आइकाॅन टीम की तरफ से हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।
आपके आसपास या आपकी जानकारी में भी है कोई ऐसी प्रतिभा या व्यक्तित्वा जो कर रहा हो समाज में कुछ विशेष कार्य । तो लिख भेजें उनकी रचनात्मक कहानी हमें । और बनिए हमारे साथ आप भी क्रिएटिव रिपोर्टर ।
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Bhaut acha Roshan Bhai ji
Bahut achha Roshan, Nam roshan karo apne ghar, gaon, desh ka.
Bahut achchhi soch or bhagwn apki inkam 4guni or badayai ap or v jarurt mando ki madad kr ske.
My salute to Shri Raturi ji for his selfless service to the mankind that too in foreign . सच्चा उत्तराखण्डी।