Guruji : शिक्षकों को दिया शासन ने लंबा आराम ! कौन हैं ये गुरुजन ? क्या है खासियत इनकी ? लिंक को क्लिक कर आगे विस्तार से पढ़ें ।
कर्म करते जाओ फल की चिंता बिल्कुल भी न करें । फल अवश्य मिलता है । फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा उसके आकार पर कभी न जाएं । फल खट्टा या मीठा भी मिल सकता है, वह भी पूर्व में किये गए कार्यों के साथ गुणा भाग करके ही मिलता है । लेकिन फल कर्म करने के कितने दिनों पश्चात मिलेगा यह भी किसी को मालूम नहीं होता है । अमूमन कहा तो यह जाता है कि इस जन्म में किये गए कर्मों का फल अगले जन्म में मिलता है । लेकिन उत्तराखंड देवभूमि है तो इसलिए यह भी कहा जाता है कि यहां पर समय सीमा निर्धारित नहीं है । ज्यादातर देवताओं का वास इसी भूमि में बताया जाता है तो उनकी दृष्टि से कोई भी भला बुरा काम ज्यादा दिनों तक छुपाया नहीं जा सकता है । लिहाजा कई मामलों में परिणाम भी द्रुत गति से हम सबके सामने होते हैं । और कर्मकर्ता को फल भी प्राप्त हो जाता है वह भी इसी जन्म में जैसे कि इन्हें मिला … मीठा नहीं तीता है पर पढ़ें जरूर आगे !

चलिए अब आपको विस्तार से बताते हैं , दरअसल मामला उत्तराखंड में शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ है । जहाँ प्राईमरी से लेकर हाई लेबल तक हमेशा सुधार के लिए प्रयास किए जाते हैं लेकिन कुछ अराजक मानसिकता को पाले हुए लोग इस तंत्र की रीढ़ पर निरंतर घाव देने का काम करते रहते हैैं ।
लेकिन अब शासन मर्ज का ईलाज जड़ से ही करना चाहता है और इसकी शुरुआत कल से हो गई है । जैसा कि अब तक आप सभी विभिन्न खबरिया स्रोतों से यह मालूम ही हो गया होगा कि उत्तराखंड में कैसे उच्च शिक्षा को पलीता लगाने का काम कुछ जिम्मेदार लोगों द्वारा किया जा रहा है ।
अब यहां अपने पाठकों को पूरा मामला फिर से बताना चाहेंगे कि राजकीय स्नातकोत्तर एमबी महाविद्यालय हल्द्वानी में अध्ययनरत छात्रा मीमांशा आर्य के वर्ष 2013- 14 फेल हो जाने के बाबजूद फिर से छात्रा मीमांशा को उसी विद्यालय में सत्र 2014-15 के लिए पूर्ववत विषयों के साथ दाखिला दे दिया गया था । दूसरा मामला छात्र प्रकाश चंद्र पनेरू से जुड़ा है । प्रकाश जो कि वर्ष 2014 – 15 के सत्र में फेल हो गया था, के बाबजूद उसे गलत शपथ पत्र के आधार पर सत्र 2015 -16 में फिर से दाखिला दे दिया गया । कुल मिलाकर निलंबन के आदेश में छात्र प्रकाश चंद्र पनेरू व छात्रा मीमांशा आर्य के नियम विरुद्ध हुए दाखिले ही वजह बने ।
मामला पकड़ में आया और धरे गए ये :
उच्चशिक्षा में मामला सिर्फ दाखिले का ही नही बल्कि वित्तीय अनियमितता व अराजकता का भी है । जिसके चलते अन्य को भी सस्पेंड किया गया । बताते चले कि यहां छात्रों के प्रवेश फॉर्म पर जिम्मेदार उच्च अधिकारी के हस्ताक्षर न होने के बाबजूद भी प्रवेश शुल्क जमा कर लिया गया था ! जबकि
UGC से प्राप्त अनुदान का समय पर सदुपयोग / इस्तेमाल करने में भी कोई दिलचस्पी नही दिखाई नतीजतन प्राप्त धनराशि को वापस भेज दिया गया ।
उक्त मामले में हुई जांच के बाद पकड़ में आए सामने आई धांधली व वित्तीय अनियमितता के मामलों में अब शासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चार गुरुजनों को पैदल कर दिया है । अपर मुख्य सचिव डॉ0 रणबीर सिंह ने चार भद्रजनों को निलंबन की थमा दी तो पूरे महकमें में हड़कंप मच गया । जांच के बाद आरोपों को आधार बनाकर इस निलंबन में उच्च शिक्षा निदेशक व तत्कालीन प्राचार्य डॉ0 बी0 सी0 मलकानी , प्रोफेसर एस0 एस0 उनियाल , डॉ0 एन0 के0 लोहानी, व डॉ0 जगदीश प्रसाद जो कि वर्तमान में प्राचार्य हैं, सभी को निलंबित कर दिया गया है ।
अगर बात सच है तो इन्हें आइकॉन तो नहीं कह सकते हैं ।
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