इस पत्रकार ने वक़्त रहते सच्चाई को भांप लिया था और आज वह सुरक्षित हो गया !
* नाम के बाद ही काम भी मिलता है यह साबित कर दिखाया जगमोहन ने । आज भी जारी है पत्रकारिता ।
सही मायने में पत्रकारिता एक जूनून है ! एक नशा है ! बाकी जो लोग इसमें फल फूल भी जाते हैं वह उनकी विशेष योग्यता हो सकती है । परन्तु खांटी पत्रकार जीवनभर एक एक्टिविस्ट की तरह जूझता ही रहता है । और ऐसे ही जुनूनी पत्रकार हमारे बीच में हैं आज भी । यहाँ मैं उनकी इस बात की तारीफ करूँगा कि उन्होंने जूनून के साथ-साथ जीवन की सच्चाई को भी वक़्त रहते भांप लिया और पारिवारिक जीवन और अपने जूनून को जिंदा रखने के लिए दो भिन्न-भिन्न सुरक्षित मार्ग बना लिए, जिससे उनका परिवार अब हमेशा सुखी जीवन जियेगा ।

नाम बड़ा करने और सम्मान पाने के लिए जरूरी नहीं है कि आप उम्रदराज हों । यकीन न हो तो छोटे भाई जगमोहन को ही टटोल लो । जगमोहन चोपता एक ऐसा नाम है जिसकी पहचान उसकी लेखनी बन गई है । माँ सरस्वती से असीम वरदान प्राप्त यह प्रतिभा जगमोहन चोपता सोशल मीडिया (फेसबुक) के मार्फ़त आए दिन कई अनछुए पहलुओं को समाज के सामने प्रस्तुत करने का बीड़ा उठाए हुए हैं । अपने कॅरिअर की शुरुआत TV पत्रकारिता से करने वाले पत्रकार जगमोहन की लेखनी कमाल की है ।
सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों की समस्याओं का बारीकी से विश्लेषण करने के बाद अपने शानदार शब्दों में उसे उकेर कर पाठकों के सामने प्रस्तुत करने में जगमोहन माहिर हैं ।
पत्रकारिता के क्षेत्र में जिन लोगों को पत्रकारों का भविष्य सुनहरा दिखता है उन्हें एक ही सलाह है कि ऐसा सोचने से पहले हाथी के दांतों के भी ठीक से दर्शन करके अध्ययन कर लें । विशुद्ध रूप से पत्रकारिता करने वाले लोग आज पत्रकारिता के भरोशे ही अपने व परिवार का भविष्य संवारने की सोचते हैं तो वह गलत है ।
सही मायने में पत्रकारिता एक जूनून है ! एक नशा है ! बाकी जो लोग इसमें फल फूल भी जाते हैं वह उनकी विशेष योग्यता हो सकती है । परन्तु खांटी पत्रकार जीवनभर एक एक्टिविस्ट की तरह जूझता ही रहता है । और ऐसे ही जुनूनी पत्रकार हमारे बीच में हैं जगमोहन चोपता । लेकिन मैं जगमोहन की इस बात की तारीफ करूँगा कि उन्होंने जूनून के साथ-साथ जीवन की सच्चाई को भी वक़्त रहते भांप लिया और उन्होंने पारिवारिक जीवन और अपने जूनून को जिंदा रखने के लिए दो भिन्न-भिन्न सुरक्षित मार्ग बना लिए, जिससे उनका परिवार अब हमेशा सुखी जीवन जियेगा ।
क्योंकि जगमोहन ने सक्रिय पत्रकारिता ( या लाला की दुकान) से स्वयं को किनारे करते हुए देश की प्रतिष्ठित संस्था अज़ीम प्रेम जी फाउंडेशन में बतौर अधिकारी पद पर काम करना शुरू कर लिया है । जहाँ उन्हें अच्छाखासा वेतन भी मिल रहा है और उसके एवज में जगमोहन पहाड़ों में संस्था के माध्यम से उत्कृष्ट सेवा भी दे रहे हैं । साथ ही साथ उन्होंने अपने स्वतंत्र लेखन से पत्रकारिता के माध्यम को भी जिंदा रखा हुआ है । जगमोहन के लेख विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं के अलावा सोशल मीडिया पर पढ़ सकते हैं । वर्तमान में जगमोहन सीमांत जनपद चमोली मुख्यालय गोपेश्वर में कार्यरत हैं । मैं भी वहीं इनके ऑफिस में कलम के धनी होनहार युवा पत्रकार जगमोहन चोपता के बुलावे पर उनसे मिलने चला गया ।
गोपेश्वर स्थित कार्यालय को जगमोहन ने अपनी रचनात्मकता से बहुत खूबसूरती से सजाया व सँवारा है । जहां शानदार लाईब्रेरी हैं, ट्रेनिंग प्रोग्राम हैं व राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली कई पुस्तकें हैं । इस बीच जगमोहन से खूब सारी बातचीत हुई ऐसी मेरी यह पहली मुलाकात जगमोहन से थी ।
जानकर खुशी इस बात की हुई कि जगमोहन ने जूनून से पहले जीवन को चुना और अपने परिवार को हमेशा हमेशा के लिए सुरक्षा प्रदान की है । और यही सलाह मेरी उन तमाम युवा पत्रकार पीढ़ी के सदस्यों को है कि समय रहते अपनी बुद्धि विवेक का स्तेमाल करते हुए सुरक्षित भविष्य की राह पकड़ लें । क्योंकि हम पत्रकार समाज को जैसे दिखते हैं वैसे हम होते नहीं हैं । हम सबकी कहानी एक जैसी होती है खोखले बांस की तरह आर्थिक रूप से सबसे कमजोर कड़ी हैं हम । हालांकि कुछ लोग बहुत फल फूल जाते हैं लेकिन यकीन मानिए दुनियाँ उन्हें पत्रकार भी बड़ी मुश्किल से ही मानती है । इसलिए सबसे पहले अपने बच्चों व परिवार की खुशियों की सोचें दूसरों की दुकान चलाने से कुछ हासिल नही होने वाला है ।
और अगर जिन्हें मेरी बात बुरी लग रही हो तो ठीक है बने रहिए पत्रकार हो सकता है पुलिस के चालान से बच जाओगे , गाड़ी पर प्रेस लिखने की स्वतंत्रता मिल जाएगी, अपने आसपास के लोगों के सामने DM भाई साहब SP भाईसाहब या कोतवाल भैय्या से फोन पर बतियाते देखे जाओगे, एक दिन सरकारी बस, ट्रेन आदि में फ्री टिकट का जुगाड़ भी कर लोगे इससे ज्यादा और कुछ नहीं ।
परन्तु आज मैं सल्यूट करता हूँ स्वतंत्र पत्रकार जगमोहन चोपता के सही समय पर लिए गए सही निर्णय के लिए ।
शशि भूषण मैठाणी पारस
Shashi Bhushan Maithani Paras
9756838527
7060214681
It’s SALMAN JIHAD
JIHAD JIHAD & JIHAD all the way
To curb all forms of jihad
The only solution (TOS)
Modi-Sah Modi-Yogi Modi-Trump
It’s revolutionary
It’s an unique step to serve this great country
It’s from the peak of mountains
बहुत सही शशि भाई। पत्रकारिता की वही सच्चाई बयान की है आपने जो हकीकत है। बाकी लाला की दुकानों में बड़े पदों पर आने वाले अपने लोग भी अपनो के कम बड़े दुश्मन नही होते। बहरहाल जगमोहन भुला को भविष्य की शुभकामनाएं।