पहाड़ से आए मंगलू को देहरादून में सोनू की शादी और उसकी व्यवस्था रास नहीं आई क्या रहा होगा कारण ?
पढ़ें युवा लेखक व्यंगकार, कहानीकार नवल खाली की शानदार रिपोर्ट ।

कल सोनू की शादी में माहौल कुछ अलग ही लग रहा था । हालाँकि महिलाओं के कोलाहल , युवतियों के फ़फ़राट व बच्चों के शोर गुल और डीजे की धुन तो अन्य शादियों की तरह ही थी पर दो चार आदमी खुसुर पुसुर कर रहे थे ।
बाद में पता चला कि यहाँ कॉकटेल पार्टि का इंतज़ाम नही है … किसी शराबबंदी कराने वाले गिरोह के बहकावे में आकर उन्होंने ये कदम उठाया था । सोनू के मौसा जी इस शराबबंदी गिरोह के सरगना थे ।
मंगलू ठेठ पहाड़ों से इस शादी में शामिल होने देहरादून आया था । मंगलू जैसे ही अन्य कई लोग भी इस शादी में शिरकत करने आये थे । मंगलू दिन में ही पहुंच गया था , जैसे ही शाम होने आई… मंगलू ने भी ली अंगड़ाई और चारों तरफ नजर दौड़ाई पर उसे व्यवस्था कहीं भी नजर न आई ।
देर रात होने लगी मंगलू का मन बैचेन होने लगा । क्योंकि देहरादून की पिछली शादी को मंगलू कभी भूल न पाया था । छह पेग में भी टस से मस न हुआ था और पनीर भी चावल के नीचे छुपाकर… पेट ठस्स करने तक खाया था । फिर … चेत की चेतवाली में …. फुल्लमाला चढोलू वाले टाइम झांझ में ब्योली के हाथ से ही माला छीनकर, मामा के गले मे चढ़ा दी थी ।
मंगलू का डांस सबके लिए बड़ा की आकर्षण का केंद्र रहा था । बाद में जब ज्यादा ही ओवर एक्टिंग व ओरतों को आँख मारने वाले सिग्नल देने लगा तो गाँव के राहुल और बिट्टू ने उसे सहारा देकर कमरे तक पहुंचाया था । उनके साथ मंगलू इतना भावुक हो उठा कि रोने लगा । कभी रोता कभी हंसता न जाने कब सोया पता ही न चला था । मंगलू ने फुल्ल इंजॉय किया था ।
पर ये क्या ? इस सोनू की शादी में वो सुख्खा ही बैठा था … । ठेका भी दूर था ,वाहन भी न था तो बेचारा और परेशान हो उठा ।
इधर उधर भटकने लगा । उसे अब ये सोनू की शादी झेल लगने लगी थी । मन ही मन में खूब गालियाँ बखने लगा ।
तभी सोनू ने देखा कि बहार गाड़ी में दो शख्स बैठकर पेग पी रहे हैं तो उसका हार्मोन्स उसे और धक्के देने लगा । डारेक्ट उसकी आत्मा से आवाज आने लगी कि चाहे कुछ भी हो पीना तो था ही ।
गाड़ी के नजदीक पहुँचा और भली भौंण ( सुर) में बोला– भैजी माचिस भी च ???
उन्होंने गाड़ी की लाइट खोली तो मंगलू ने देखा तो गाड़ी में एक शख्स भुप्पी भाई उन्ही के गाँव साइड का था ,जो गाड़ी लेकर बुकिंग में आया था । मंगलू उसके बाद भुप्पी से ऐसा ट्रीट करने लगा मानो उसका सबसे खास आदमी मिल गया हो । मंगलू की छठी इंद्री को अब ये भरोषा हो गया कि कुछ न कुछ तो मिल ही जायेगा ।
फिर मंगलू बोला- अरे यार … बेकार ही आया यार इस शादी में , कोई व्यवस्था ,व्यूवस्था तो है नही… चले हैं साब.. शादी करने ।।
भुप्पी बोला – यार भैजी हमारे पास भी व्यवस्था कम कम ही है , दो आदमी थे तो एक हाफ ही लिया था ,एक एक पैग हमने पी लिया है , लो एक पैग तुम भी मार लो ।। और बड़ा मन मारकर भुप्पी ने अपना एक गिलास अलखाकर , छल्याकर उसमें एक डंमडमा पेग मंगलू को दे दिया । मंगलू ने भी चट से उसे गिच्चै से लगा दिया ….. वो पैग उस समय उसके लिए किसी अमृत से कम न था … जैसे जैसे उस पेग के द्रव्य की बूंदें उसकी शरीर मे रक्त के साथ बहने लगी … उसकी आत्मा तृप्त होने लगी ।। पर जल्दी ही आत्मा तक सन्देश भी पहुंच गया कि ये पहला व अंतिम पेग है तो आत्मा ने फिर उसे बैचेन करना शुरू कर दिया ।
फिर कुछ देर बाद बोला- साला मुनारा ही हो गया यार ।। सबसे थर्ड क्वालिटी की व्यवस्था है साला इन सोनू लोगो की । कुछ देर बाद मंगलू को दो चार और आदमी मिल गए जो पेग की व्यवस्था न होने से खफा चल रहे थे । इन सबने एक संगठन बना लिया और शादी वालो की पित्तर पूजाई करने लगे । शादी वालों के बारे में कहने लगे– अजी तुम नही पीते तो कौन सा हमपर एहसान कर रे ?? पियो न पियो मरना तो सबने है ही एक दिन जैसे तर्को से खुद का कॉलर ऊंचा कर रहे थे ।।।
मंगलू का तर्क था कि — इस समय उत्तराखण्ड को हम पीने वाले ही चला रहे हैं , शराब नही पियेंगे तो सरकार भी भूखों मर जाएगी । सबसे ज्यादा पैंसा हम पीने वाले ही सरकार को देते हैं ।
नेताओ को हम पीने वाले ही जिताते हैं , और हम ही हराते हैं …. जैसे डेनिस वालों को हराया था ।।
वे लोग शराब के पक्ष में बोलकर अपना वक्ष ऊंचा कर रहे थे ।।।
जबकि सोनू ने शादी में चोमिन में भी काजू, बादाम , पिस्ते,मुनक्के व छुहारे तक डलवाये थे , यहां तक कि लोग दाल के जिन दानों को राजमा समझ रहे थे ….वो भी काजू के रूप में प्रकट हो रहे थे । आश्चर्य तो तब हुआ जब लेडीज फिंगर के अंदर से भी किसमिस की दानी बाहर झांक रही थी😂😂 ।
अब इससे ज्यादा बेचारा सोनू क्या करता ?? पहाड़ी में बोलूं तो…. अब अपडू कपाल फोण छो वेन 😂😂 !!!
अपनी तरफ से सोनू ने पूरा इंतजाम अच्छा किया था सिवाय बोतलों के ।।।
मंगलू को न काजू अच्छे लग रहे थे न किसमिस ।। उसकी तरफ से वो कूड़ा था , क्योंकि वो छह सात पेग पीकर इंजॉय चाहता था … । खाना उसकी प्राथमिकता नही थी । यदि कोई उसे कहता कि खाने और पेग में से एक चीज च्यूज कर तो वो पेग ही मांगता ..क्योंकि उसकी अंतरात्मा झाँझि प्रवर्ति की हो चुकी थी । क्योंकि आत्मा ही व्यक्तित्व का निचोड़ है ।
खैर आत्मा परमात्मा तो छोड़ो पर दर्जनों लोग जो सुक्खे में रहे उनकी नजर में ये शादी सबसे खराब व्यवस्था वाली शादी थी ।
मंगलू जब गाँव वापस आया तो लोगो ने पूछा कैसी रही भई शादी ??? तो मंगलू कहता— शादी ह्वे वुंकु कपाल …. बड़े आये देहरादून वाले …. ।। इससे बढ़िया व्यवस्था तो हमारे गाँव मे रहती है ।
खराब व्यवस्था बताकर , सोनू की शादी को इतिहास की सबसे अव्यवस्था वाली शादी करार देता ।
Hahahahahahaha… mja aa gya bhai ji