ये हैं बिष्ट जी गोपेश्वर वाले ! जो हिमालय के शिखर पर बैठकर भी दूर देश व प्रदेश की राजधानी में होती राजनीतिक हलचल की शानदार समीक्षा कर लेते हैं ।
◆ आडम्बर व दिखावे से एकदम तटस्थ ठेठ ग्रामीण जीवन जीने वाले पत्रकार रजपाल बिष्ट की सादगी भाती सबको ।
◆ नए लोग जो गंभीरता से पत्रकारिता के क्षेत्र में आ रहे हैं वह रजपाल बिष्ट जैसे लोगों को जरूर पढ़ें ।
◆ यूथ आइकॉन Yi नेशनल अवार्ड 2018 से सम्मानित हो चुके हैं रजपाल बिष्ट ।
आजकल की पत्रकारिता में चलन है लफ्फाजी का, दौर है कॉपी पेस्ट का और उसके ऊपर अपना नाम चिपका कर वाहवाही लूटने का, जो कि पत्रकारिता में नया कॅरिअर बनाने वालों के लिए आत्महत्या करने जैसा घातक कदम है । ज्ञान आधारित पत्रकारिता हासिए पर आ गई है और बोलबाला है बड़बोलेपन का । आज तो पत्रकारिता में एक और बड़ा मानक यह भी बन गया है कि जो CM, DM, सचिव, SSP, SP, DSP को भाई साहब व कोतवाल को भैय्या बोलकर फोन घुमाई ले, वही सबसे बड़ा व प्रभावी पत्रकार है ।

मैंने अपनी पिछली पोस्ट में वरिष्ठ पत्रकार क्रांति भट्ट जी का जिक्र किया था कि, मैंने कैसे वर्ष 1996 में उनसे प्रेरित होकर पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया था । और आज जिक्र कर रहा हूँ पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने आदर्श बड़े भाई रजपाल बिष्ट जी का । बिष्ट जी व भट्ट जी दोनों भगवान गोपीनाथ की भूमि में पत्रकारिता के मजबूत चेहरे हैं ।
आज रजपाल बिष्ट जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है । इनके बारे में कहावत है कि यह हिमालय के शिखर पर बैठकर भी दूर देश की राजधानी में होती राजनीतिक हलचल की शानदार समीक्षा कर लेते हैं । आडम्बर व दिखावे से एकदम तटस्थ ठेठ ग्रामीण जीवन जीने वाले पत्रकार रजपाल बिष्ट की एक और पहचान है उनकी सादगी, जिसका मैं भी हमेशा से कायल रहा हूँ ।
पत्रकारिता में बिष्ट जी के जीवन से यह भी सीख हमें मिलती है कि, ये जरूरी नहीं है कि पत्रकारिता में नाम बड़ा बनाने के लिए हमें किसी बड़े शहर की गोद में ही समाना पड़े । आप जहां भी रहें आपकी कलम में ताकत होनी चाहिए, आपके लेख पठनीय होने चाहिए, शब्दों का गुणा भाग ऐसा हो कि सटीक सकारात्मक व रचनात्मक परिणाम भी पाठकों के सामने प्रकट हो ।
जैसा कि आजकल की पत्रकारिता में चलन है लफ्फाजी का, दौर है कॉपी पेस्ट का और उसके ऊपर अपना नाम चिपका कर वाहवाही लूटने का, जो कि पत्रकारिता में नया कॅरिअर बनाने वालों के लिए आत्महत्या करने जैसा घातक कदम है । ज्ञान आधारित पत्रकारिता हासिए पर आ गई है और बोलबाला है बड़बोलेपन का । आज तो पत्रकारिता में एक और बड़ा मानक यह भी बन गया है कि जो CM, DM, सचिव, SSP, SP, DSP को भाई साहब व कोतवाल को भैय्या बोलकर फोन घुमाई ले, वही सबसे बड़ा व प्रभावी पत्रकार है ।

पत्रकारिता का नया संस्करण है सोशल मीडिया ! इस माध्यम को भड़ास व कुंठा का अड्डा कहें तो अतिशयोक्ति न होगी । यहाँ कुछ लोगों ने तो अपनी कलम को हर वक़्त नकारात्मकता की भट्टी पर चढ़ाया हुआ है । ऐसे लोग आए दिन सरकार, सिस्टम, या भिन्न-भिन्न व्यक्तियों पर अभियान के तहत नकारात्मक पोस्टों से थोक में लाईक, कमेंट से वाह वाही तो बटोर सकते हैं परन्तु वह कभी भी समाज में दीर्घकालिक सम्मान व विश्वसनीय समीक्षक की भूमिका हासिल नहीं कर पाते हैं । सही मायने में पत्रकार, लेखक , समीक्षक की बातें तब स्वीकार्य होती है जब उसमें आलोचना , समालोचना दोनों समाहित हो । जब लेख, समीक्षा या रिपोर्ट में समाज के प्रति आपकी चिंता के बजाय कुंठा, भड़ास व नकारत्मकता ज्यादा जब झलकने लगे तो, होशियार पाठक भी बहुत जल्दी हमारी व आपकी कुण्डली बनाने देरी नहीं लगाता है ।
आज रजपाल बिष्ट जी जैसे वरिष्ठ पत्रकारों के समीक्षात्मक लेख/रिपोर्ट नवोदित पत्रकारों के अलावा सोशल मीडिया में कुलांचे मार रहे लोगों जरूर पढ़नी चाहिए ।
मैंने अपने जीवन में शब्दों की चलती फिरती डिक्शनरी क्रांति भट्ट जी से प्रेरित होकर पत्रकारिता शुरूआत की तो स्व0 जयदीप पुरोहित जी को पढ़कर व रजपाल बिष्ट जी जैसे सिद्ध कलम के धनी व्यक्ति से पत्रकारिता की बराखड़ी सीखकर आगे बढ़ने की जितनी कोशिश की वह आज खुली किताब के रूप में आप सबके सामने है ।
मेरा अपने जीवन का एक ही सिद्धांत है दूसरे की विद्वता व प्रतिभा का भरपूर सम्मान करना, हमेशा स्वयं को विद्यार्थी बनकर रहना व अपने पिताजी व पूज्य माँ से मिले संस्कारों पर चलकर समाज में अच्छे से अच्छे मानक स्थापित करते रहना । इसी क्रम में वरिष्ठ पत्रकार रजपाल बिष्ट जी के संदर्भ में आज की यह पोस्ट आप सबके सामने प्रस्तुत की है । बिष्ट जी का मेरे जीवन में मुझे बनाने, संवारने में बड़ा योगदान रहा है ।
इसलिए मेरी सबको यह सलाह कि, आप भी उन्हें कभी न भूलें जिनका आपके जीवन में कभी न कभी किसी न किसी रूप में योगदान रहा हो ।
शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Shashi Bhushan Maithani “Paras”
9756838527
फोटो क्लिक : रोहिताश पुरोहित Rohitash Purohit