Vinod Fonia is winning option in Badrinath Concituency : क्षेत्र का भला चिंगारी से नहीं उम्मीदों की किरण एवं रोशनी से होगा ! जन्मभूमि की सेवा के लिए दिया है नौकरी से इस्तीफा – IFS फोनिया
* बदरीनाथ से राजनीति में नई पारी की शुरूआत करेंगे विनोद फोनिया
* जन्मभूमि की सेवा के लिए दिया नौकरी से इस्तीफा
* क्षेत्र को भंडारी जी की चिंगारी की नहीं, बल्कि अनवरत रोशनी देने वाली लौ की जरूरत है ।
* फिल्टर करके बात करना मुझे पंसद नहीं
* स्वरोजार को बढावा देना पहली प्राथमिकता

By : Shashi Bhushan Maithani ‘Paras’
यूथ आईकॉन राज-राग में हम आपके सामने समय-समय पर ऐसी हस्तियों को आप से रूबरू कराते हैं जो राजनीति में एक नई लकीर खींचते हैं, जिसकी वजह से नेताजी सुर्खियों मे भी छाए रहते हैं । लेकिन इस बार यूथ आइकॉन के इस विशेष कड़ी में वह सख्स हैं जो अभी राजनीति में प्रवेश कर कुछ नया कर दिखाने को बेताब हैं । यह सख्स राजनीति में कुछ लीक से हटकर काम करेंगे यह उनका कहना है । और यही कारण रहा कि उन्होने शासन में एक शीर्ष पद पर रहते हुए अचानक से सेवानिवृति ले ली है । यह चाहते तो अगले 5 वर्षों तक विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले ऊंचे ओहदे पर बने रहते लेकिन अब यह विदेश नहीं बल्कि अपने घर लौटकर क्षेत्रवासियों की सेवा करना चाहते हैं वह भी एक राजनेता बनकर । और इस बार इन्ही के मन की थाह लेने व इनके मन की बात को जानने के लिए हमने यूथ आइकॉन राज-राग में आमंत्रित किया हैं भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी IFS विनोद फोनिया को ।
परिचय विनोद फोनिया :

विनोद फोनिया simple living high thinking के फार्मूले पर काम करने वाले इन्सान हैं । ठेठ पहाड़ी मिजाज का यह विदेशी अधिकारी पर्वतीय संस्कृति में खूब रचा-बसा है । इनको असल जीवन में वागवानी करते हुए भी आप देख सकते हैं तो ए0सी0 रूम में राज्य के विकास के लिए योजनाओं का खाका तैयार करते हुए भी । विनोद फोनिया जितनी फराटेदार अंग्रेजी बोलते हैं, उतनी ही शुद्ध हिन्दी भी, यहीं नहीं अपने लोगों के साथ अपनी मातृभाषा में ही बतियाते हैं । आज यह दुनिया के किसी भी देश में भारत के राजदूत बनकर ठाट-बाट के साथ अपना जीवन बिता रहे होते, लेकिन इन्हे विदेश में राजदूत की शान-शौकत से ज्यादा अपनी जन्मभूमि की सेवा करना रास आया नतीजतन पांच साल पहले ही अपनी जॉब से रिजाइन कर जनसेवा में लग लए । राज-राग में हमारे आज के अतिथि विनोद फोनिया उत्तराखण्ड राज्य में भी अपनी सेवा दे चुके हैं । फोनिया उत्तराखंड में प्रमुख सचिव रहे हैं ।
विनोद फोनिया का जन्म 29 अप्रैल 1961 को देवभूमि चमोली उत्तराखण्ड में हुआ । इनके पिता केदार सिंह फोनिया भाजपा के कद्दावर नेता व उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्य में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं । विनोद फोनिया की 10 वीं तक की शिक्षा मसूरी उसके बाद 12 वीं की शिक्षा सेंट जोजफ स्कूल देहरादून से हुई । आगे की पढाई के लिए विनोद फोनिया दिल्ली चले गए । जहां इन्होनें 1984 में आईआईटी दिल्ली से मैकिनिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजएशन की। उसके बाद एक साल इंजीनिर्यस इंडिया लिमिटेड में भी काम किया। साथ ही सिविल सर्विस को लेकर शुरू से मन में इच्छा थी, फोनिया को इस बीच एक प्राईवेट कंपनी में भी अच्छी ख़ासी नौकरी मिल गई थी । लेकिन फोनिया का मुख्य उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक सेवा में आना था जिसके लिए उन्होने कभी भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी वह तब नौकरी के साथ-साथ सीविल सर्विसेज के लिए कड़ी तैयारी भी करते रहे । काम के साथ-साथ सिविल सर्विस का इग्जाम दिया और पहले ही टर्म में विनोद फोनिया ने परीक्षा पास कर ली । तब उन्हे इसमें आईएएस मिला , लेकिन तब विनोद ने IAS के बजाय भारतीय विदेश सेवा यानी IFS का बनने निर्णय लिया । फिर प्रशिक्षण के बाद पहली पोस्टिंग इंडोनेशिया मिली थी । 1986 वैच के आईएफएस अधिकारी विनोद फोनिया इंडोनेशिया बाद थाईलैंड , यूक्रेन व यूनेस्को में लंबे समय तक सेवा देने के बाद उनकी हिन्दुस्तान वापसी हुई । जिसके बाद फोनिया वर्ष 2008 से उत्तराखण्ड राज्य में सेवा देने लगे । बतौर विनोद फोनिया, उन्हे उत्तराखंड में सेवा देने का मौका पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंदूरी को जाता है । विनोद ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री खंडूड़ी ही उन्हे भारत सरकार से उत्तराखंड सरकार में लाए थे । विनोद ने बताया कि उत्तराखण्ड आने के पीछे उनका मकसद था अपने लोगों के लिए कुछ करना, ताकि पहाड़ का पानी और जवानी यहां के काम आ सके । स्वर्ग सी खूबसूरत इस धरती के लोग क्यों काम की तलाश में दूसरे राज्यों व विदेशों तक जाते हैं ? यह बात फोनिया को हमेशा कचोटती रही । फोनिया का मानना है कि उत्तराखंड में अगर पर्यटन के क्षेत्र में भी ईमानदारी के साथ काम किया जाय तो पहाड़ों पलायन होने के बजाय लोग मैदानों से

पहाड़ पर लौटने लगेंगे । विनोद फोनिया ने अपनी इसी सोच बूते जोशीमठ स्थित अपने घर के आसपास बेहत्तरीन टैंट कालोनी बसाई है जो सालभर देशी विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहती है । इन टैंट कालोनी का आनंद लेने के लिए देश विदेश से पर्यटकों को ऑनलाइन बुकिंग करवानी होती है । साथ ही विनोद फोनिया अपने अगले मिशन होम टूरिज़म पर भी युद्धस्तर पर करी कर रहे हैं जिसके तहत अभी तक उनके पास लगभग तीन दर्जन युवा जुड़ चुके हैं । फोनिया के होम टूरिज़म के मिशन से युवा उनसे खासे प्रभावित हैं ।
विनोद फोनिया ने उत्तराखंड शासन में रहते हुए अनेकों जन उपयोगी योजनाओं पर भी काम किया । लेकिन इस बीच उन्होने महसूस किया कि नौकरशाही के काम की भी अपनी कुछ सीमाएं होती हैं, एक अधिकारी कभी भी खुलकर जनता के हित की योजनाओं के लिए सरकार से मांग नहीं कर सकता है, और न ही विरोध दर्ज । इसी कश-म-कश के बीच विनोद फोनिया ने जनता व अपने क्षेत्र के लिए कुछ करने का जज्बा मन में मथना शुरू किया और एक दिन इस निर्णय पर पहुंचे गए अब स्वयं जनता के बीच जाकर जनता की आवाज बनकर जनता के लिए काम करूंगा, और नौकरी से इस्तीफा भी दे दिया । साथ यह भी प्रण कर लिया कि वह अब अपने पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री व भाजपा नेता केदार सिंह फोनिया की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाकर बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय होकर जनता सेड़ जुड़े कामों को आगे बढ़ायंगे । लेकिन सवाल यह कि एक नौकरशाह अपने पिता की राजनीतिक विरासत कैसे आगे बढ़ाएगा ? किस तरह वह जनता की आवाज बनेगा ? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक मंशा तो नहीं ? या फिर कुछ और ! ऐसे ही कई सवाल आमजन के मन में भी उठ रहे होंगे, जिनके उत्तर होंगे सिर्फ विनोद फोनिया के पास । तो आइये सिलसिला शुरू राज-राग के सवाल जवाब का – जिनके जवाब हैं सिर्फ विनोद फोनिया के पास।

राज-राग सवाल जवाब [सवाल – Yi शशि पारस : , जवाब – विनोद IFS : ]
Yi शशि पारस : आपकी पांच साल की सर्विस अभी बाकी थी , लेकिन अचानक से नौकरी छोड़ दी और अब राजनीति की नई राह चुनने का निर्णय लिया ऐसा क्यों ?
विनोद IFS : उत्तराखंड में मेरी प्रतिनियुक्ति का समय पूरा हो गया था । अब मुझे एक बार फिर से अगले 5 वर्षों तक विदेश में ही सेवा देनी थी तो मुझे लगा कि मैंने ज्यादा सेवा भारत से बाहर ही दी है और विदेश में मुझे जितना सीखना था वह मैने सीख लिया था । अब एक बार फिर से उसी जीवन में मुझे नहीं लौटना था और कुछ इच्छा भी नहीं रही। मेरे सरकारी सेवा का सबसे स्वर्णिम अवसर यह रहा कि मुझे 8 वर्षों तक अपने गृह राज्य देवभूमि उत्तराखण्ड में काम करने का मौका भी मिला । लेकिन इस दरमियान मैंने महसूस किया कि मुझे अभी अपने इसी प्रदेश में रहकर कार्य करना होगा ,जो कि अब नियमानुसार सरकारी सेवा में रहते हुए मै चाहकर भी नहीं कर सकता था तो इस कारण मैंने अपनी अच्छीखासी नौकरी को त्याग दिया और अब अपने गृह जनपद चमोली की बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र से नई पारी की शुरूआत करने जा रहा हूँ । मुझे पूरा विश्वास है कि बदरीनाथ क्षेत्र की शिक्षित व संमझदार जनता को मै अपने लंबे प्रशासनिक अनुभवों से लाभान्वित कर सकूँगा और क्षेत्र की जनता का प्यार व आशीर्वाद भी मुझे मिलेगा । क्योंकि मैं अपनी व अपने परिवार की जरूरतों के अलावा जिम्मेदारियों को भी पूरा कर चुका हूँ । अब आगे मुझे क्षेत्र के लोगों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करना है । मैने जनसेवा व राजनीतिक यात्रा की शुरूआत अपने पैतृक गांव जोशीमठ के अलावा पोखरी क्षेत्र से कर चुका हूँ । इस बीच मुझे मेरे पिताजी केदार सिंह फोनिया जी का भी पूरा साथ मिल रहा है, और अच्छा लग रहा है लोगों के बीच जाना उनकी बातों को करीब से सुनना, पोखरी भ्रमण के दौरान गांव-गांव में लोगों ने जो प्यार, स्नेह, आशीर्वाद और भरोषा मुझे दिया है उससे मै बेहद उत्साहित हूँ । और नई ऊर्जा प्राप्त हो रही है ।
Yi शशि पारस : आपके पिता केदार सिंह फोनिया जी ने आपको समझाया नहीं, कि नौकरी मत छोडो ?
विनोद IFS : पिताजी हमेशा मेरे फैसलों के साथ मजबूती से खडे रहे हैं। नौकरी छोडने के फैसले को भी उन्होनें सही मानते हुए कहा कि राज्य में रहते हुए यहां के लोगों के लिए कुछ करो । जनसेवा करो मेरी राजनीतिक विरासत संभालो । पिताजी ने ही मुझे कहा कि अधिकारी रहते हुए तुम्हें सारा ज्ञान है कि सरकार कैसे काम करती है, प्रपोजल किस तरह बनते हैं, धरातल पर काम किस तरह होता है। पिताजी की भावनाओं को समझा, लगा कि बिल्कुल सही कह रहे हैं । इस लिए मैने नौकरी छोड पिताजी की राजनीतिक विरासत को संभालने का भी फैसला किया ।

Yi शशि पारस : तो बदरीनाथ से आप पक्का चुनाव लड़ रहे हैं , कहीं ऐसा तो नहीं कि चुनाव नजदीक आते -आते किसी दबाव में दावेदारी से आप पीछे हट जांय ?
विनोद IFS : मतलब ही नहीं मैठाणी जी क्या बात कर दी आपने ! कौन मुझ पर दबाव बनाएगा और मै क्यों किसी के दबाव में आऊँगा । मै आपसे अपने जोशीमठ स्थित आवास में 2 नवंबर को हुई मुलाक़ात में भी स्पष्ट कर चुका था जिसे आपने ही मीडिया में सबसे पहले ब्रेक भी किया था तो मै आज फिर आपसे कहता हूँ कि मै बदरीनाथ विधानसभा से चुनाव लड़ रहा हूँ । और चुनाव लड़ने का यह फैसला भावनावों में बहकर नहीं लिया गया है बल्कि हमारी अलग-अलग टीमों ने पोखरी और दशोली से लेकर जोशीमठ तक एक व्यापक सर्वे अक्टूबर माह में किया था और सर्वे अभी भी जारी है । इस सर्वे में एक ही बात सामने निकलकर आई कि यहाँ पर कोई विकल्प न होने के कारण जनता भी असमंजस में है । मजेदार बात कि जो गोपनीय सर्वे किया गया उसमें मेरा नाम भी 6 संभावित उम्मीदवारों के साथ रखा गया था, लेकिन लोगों की ओर से चौंकाने वाली राय आई कि अगर विनोद फोनिया चुनाव लड़ते हैं तो वह एकमात्र मजबूत विकल्प हो सकते हैं । और उनके आने के बाद सारे समीकरण बदल जाएंगे । हमारी गोपनीय सर्वे में जनता की ओर से जो राय हमे मिली उससे निसंदेह मेरे अंदर भी उत्साह बढ़ा और फिर मैंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी फैसला कर लिया है, ताकि कोई क्षेत्र की जनता को अब किसी गफलत में न रख पाए । और बदरीनाथ सीट हमारे लिए पंरपरागत सीट है । पिताजी वहां से विधायक और मंत्री रहे हैं । पूरे क्षेत्र में पिताजी की एक अलग छवि है उनकी ईमानदार पहचान का भी मुझे लाभ मिलेगा । बच्चा,बूढा और जवान, हर कोई उन्हें जानता है व्यक्तिगत रूप से उनसे परिचित है। पिताजी ने क्षेत्र के विकास का जो खांका खींचा है मैं उसे आगे बढाने के लिए काम करूंगा ।
Yi शशि पारस : बदरीनाथ सीट से राजेन्द्र उर्फ राजू भंडारी के बारे में कहा जाता है कि ये चिंगारी नहीं बुझेगी। क्या आपको उस चिंगारी को बुझा संभव हो पाएगा ?
विनोद IFS : देखिए शायद आपके इस प्रश्न का जवाब मैंने काफी हद तक , आपके इससे पहले वाले प्रश्न में दे ही दिया है कि विकल्प वाली बात तो समाप्त हो गई है। बाकी तो किसने हारना है किसने जीतना है सब पब्लिक के ही हाथ में है । नेता को हमेशा जनता बनाती है और वही हटा भी देती है । बदरीनाथ में जनता को सबसे पहले ये समझने की जरूरत है कि जिनको दो टर्म उन्होने दिया है उन 10 सालों में क्षेत्र में क्या कम हुए हैं ? और इस क्षेत्र की जनता बहुत समझदार है सारा हिसाब किताब बनाकर चलती है जो कि आने वाले चुनाओं में पब्लिक डिसाइड कर देगी कि अब उनके लिए कौन है जरूरी । और हाँ मैं पब्लिक के बीच कभी भी किसी की बुराई को लेकर नहीं जाऊंगा बल्कि मै क्षेत्र की जनता के लिए क्या कर सकता हूं कैसे कर सकता हूँ ? यह बात लेकर पब्लिक के बीच जाऊंगा ।
Yi शशि पारस : भाजपा अगर आपको टिकट देगी तो आप ले लेंगे ?
विनोद IFS : भाजपा अगर टिकट देती है तो इसमें न लेने वाली कोई बात नहीं है। आप जानते हैं कि मेरे पिताजी इतने सालों से भाजपा में हैं और लगातार पार्टी को मजबूत करने का काम किया है। इसके साथ ही आप जानते हैं कि हर पार्टी का अपना कैडर वोट होता है। जो चुनाव में आपकी कॉफी मदद करता है यानी जीत के रास्ते को आगे बढाता है ।
Yi शशि पारस : नौकरशाह से राजनीति में कदम रखा है, आसान लग रही है राजनीति की राह या कांटों से सामना हो रहा है ?
विनोद IFS : नौकरशाह रहते हुए मैने सीखा कि जनता और अपने साथ के अधिकारियों व कर्मचारियों से कभी कटऑफ नहीं करना चाहिए। इसलिए शासन में भी मेरे ऑफिस के दरवाजे हमेशा सबके लिए खुले रहते थे । फिल्टर करके बात सुनना मुझे कभी पंसद नहीं रहा। राजनीति में भी सबको सुनना पड़ता है । तभी बेहत्तर परिणाम सामने आते हैं । अच्छा है कि सबसे मिलकर सभी की बात सुनी जाय । आम पब्लिक की सोच उनकी घड़कन उन्हें क्या पंसद है यह जनता के बीच जाकर ही पता चलता है । मुझे जनता का सहयोग मिल रहा है यह मेरे लिए खुशी की बात है ।
Yi शशि पारस : चमोली सीमांत जनपद है तमाम तरह की समस्याएं हैं वहां पर। ऐसे में आप एकदम से चुनाव मैदान में उतर रहें हैं, क्या कुछ प्लानिंग बनाई है आपने वहां के विकास के लिए ?
विनोद IFS : मेरी प्राथमिकता है कि पूरे क्षेत्र में स्वरोजगार को बढावा मिले । हर हाथ के पास काम हो, लोगों को रोजगार की तलाश में शहरों का रूख न करना पडे़। टूरिज्म, हॉल्टीकल्चर, माइक्रोएनर्जी, लघु और कुटीर उघोगों को बढावा देने के लिए काम करूगां । पर्यटन के क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर काम करूंगा । आज पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के साधन लगातार बढे हैं । होम टूरिज्म से भी स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने पर काम करूंगा, जिसे मै स्वयं भी व्यक्तिगत रूप से कर रहा हूँ । बदरीनाथ क्षेत्र को लेकर मेरे पिताजी केदार सिंह फोनिया जी ने जो सपना देखा था उसको साकार करने के लिए लगातार प्रयास करता रहूंगा।
Yi शशि पारस : जनता को कैंसे समझाएंगें कि मैं विकास के लिए आया हूं, मुझे सत्ता के करीब रहने का लालच नहीं है ?
विनोद IFS : आप बिल्कुल सही कह रहे हैं कि लोग ऐसा सोच सकते हैं । इसका कारण राजनीति को कुछ लोगों द्वारा गंदा कर दिया जाना । आजकल लोग ये मान ले रहे हैं कि जो राजनीति में आ रहा है वह खाने कमाने के लिए आ रहा है । लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है । अगर पैसें ही कमाने थे तो मैं आराम से नौकरी में बने रहता है, पूरे 5 साल की नौकरी विदेश में करने भरपूर मौका भी मेरे पास था जिसे मैंने त्याग दिया है । सभी तरह के सुख थे वहां । मैं तो जनता के बीच जाकर स्पष्ट रूप से अपनी बात रख रहा हूं कि अगर मुझ से नहीं चल पाया तो मैं वैसे ही राजनीति और फिर भी एक सेवक बनकर क्षेत्र में सेवा देता रहूँगा । मैं स्पष्ट करना चाहूँगा कि मैं राजनीति में कुछ विजन को साथ लेकर आ रहा हूं।
Yi शशि पारस : आप नौकरशाह रहे हैं, राज्य में हमेशा नौकरशाही के बेलगाम होने के चर्चे रहे हैं, नौकरशाही की कार्यप्रणाली पर सवाल क्यों खड़े होते रहें हैं ?
विनोद IFS : ऐसा नहीं है । आप सभी कामों के लिए नौकरशाही को दोष नहीं दे सकते हैं । इसके लिए राजनीतिज्ञ भी कम दोषी नहीं हैं । जो अनर्गल दबाव देकर काम करवाते हैं । मेरा साफ कहना और मानना है कि अगर कुछ नेताओं की समझ के अलावा उनका विजन भी साफ होता तो उन्हे नौकरशाही से काम लेना भी आसान रहता है ।
Yi शशि पारस : चर्चाएं हैं कि आप ने उद्यान घोटाले का खुलासा किया था, इसलिए भाजपा के कुछ नेता नहीं चाहते कि आप पार्टी में आएं ?
विनोद IFS : जिस वक्त उद्यान घोटाले का मामला सामने आया उस वक्त में उद्यान सचिव नहीं था। उद्यान घोटाले से मेरा कोई लेना देना नहीं था । लोगों ने जबरदस्ती इस मामले में मेरा नाम उछालने की कोशिश की । मेरा महाराज जी और अमृता मैम को पूरा रैस्पैक्ट है । मैं ऐसा काम नहीं करता । मैं कभी भी पीछे से वार नहीं करता हूँ मेरे पिताजी ने हमें हमेशा सिखाया कि गलत को डंके की चोट पर गलत बोलने का साहस हमेशा अपने अंदर जुटाए रखना है तुम्हें । इसलिए मै कभी भी वह काम नहीं करता हूँ जिससे किसी को बेवजह आघात पहुंचे । आपके माध्यम से बताना चाहूँगा कि मै मार्च 2008 में उत्तराखंड शासन मे आया । मेरे आते ही यहां पर हलचल शुरू हो गई थी । तब मेरे पास माइनर इरीगेसन और इरीगेसन था, दोनों विभागों के बारे में सब जानते थे क्या स्थिती थी। रोज लडाई की खबरें अखबारों की सुर्खियों में रहती थी। पहली बार राज्य के इतिहास में किसी एचओडी का संस्पेशन हुआ तो वह मैने किया। फिर उसके बाद दूसरे एचओडी का संस्पेशन भी मैने ही किया। तीसरे एचओडी का सस्पेंशन भी मैने ही किया। शुरू में मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा । पॉलिसी इशू पर, ट्रांसफर के इशू पर, टेंडर के इशू पर मुझे लड़ना पड़ा। तब मुख्यमंत्री खंडूडी जी का मुझे पूरा सर्पोट था, मै कभी नहीं भूल सकता हूँ कि खंडूडी जी ही मुझे उत्तराखण्ड में लेकर आये थे ।
Yi शशि पारस : खंडूडी का सपोर्ट अभी भी आपके साथ है, जब आप राजनीति में अपना पहला कदम रख रहें हैं ?
विनोद IFS : मुझे तो लग रहा है वह हर कदम पर मेरे साथ रहे हैं और अभी भी वह मेरे साथ हैं । वह मेरा नेचर जानते हैं, मैनें उनके साथ काम किया है । मुझे लगता है वह आगे भी मुझे पूरा सर्पोट करेंगे । अपना आशीर्वाद भी देंगे ।
Yi शशि पारस : राजनीतिक पारी शुरू करने के साथ आपने जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है किस तरह का रिस्पांस आपको मिल रहा है ?
विनोद IFS : मेरी नुक्कड़ सभाओं को बेहत्तर रिस्पांश मिल रहा है । पोखरी में अच्छा रिस्पांश मिला, पिताजी को सभी लोग जानते हैं । मुझे भी कुछ लोग पहले से जानते हैं । कुछ धीरे-धीरे पहचान रहे हैं । पिताजी ही मेरे स्टार प्रचारक होंगे 2017 के चुनाव में, मुझे किसी बाहरी स्टार प्रचारक की नहीं स्टार वोटर की जरूरत है ।
Yi शशि पारस : चुनाव में लोग साम, दाम, दंड भेद की नीति अपनाते है, आप भी अपनाएंगे ?
विनोद IFS : मुझे लगता है प्रधानमंत्री मोदी के कालेधन को लेकर लिए गए फैसले से अब नेता ऐसा नहीं कर पाएंगे । जिसकी छवि साफ होगी जो जनता की समस्याओं को पहचानता होगा, लोगों के लिए संघर्ष की क्षमता जिसके अंदर होगी वही चुनकर आयेगा । मैने जितनी ईमानदारी से नौकरी की है आपको विश्वास दिलाता हूं कि उतनी ही ईमानदारी से राजनीति भी करूंगा। मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए । बस जो सपना उत्तराखण्ड को लेकर राज्य निमार्ण के शहीदों, आंदोलनकारियों और राज्य की जनता ने देखा था उसमें मै भी कुछ योगदान दे सकूं इसी भावना से राजनीति के क्षेत्र में आया हूं।
तो ये थे मेरे साथ राज-राग की इस विशेष कड़ी में पूर्व नौकरशाह IFS विनोद फोनिया जो अब नेता बन गए हैं । बातचीत से साफ हुआ कि फोनिया बदरीनाथ सीट से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से कमर कस चुके हैं । साथ ही वह बेहद ही मंझे हुए राजनेता की तर्ज पर नपे तुले शब्दों व राजनीतिक दांव पेंच के सहारे क्षेत्र में जनता की नब्ज टटोलने का काम भी बड़े ही सूझ-बूझ के साथ कर रहे हैं । साफ है कि विनोद फोनिया के राजनीतिक गुरु भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री यानी उनके पिताजी केदार सिंह फोनिया ही हैं , और उन्हीं की पाठशाला में अब विनोद राजनीतिक दांव पेंच से संबन्धित शिक्षा दीक्षा भी ले रहे हैं ।
© प्रस्तुति : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ,
Copyright: Youth icon Yi National Media, 27.11.2016
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यूथ आइकॉन : हम न किसी से आगे हैं, और न ही किसी से पीछे ।
मैठाणी जी अगर खण्डूरी जी का समर्थन विनोद भाई को होता तो अब तक टिकट पक्का होता।
वर्तमान में हर जागरूक नागरिक को ये जानना होगा की दलगत दलदल में फंसने के बजाय जनता का काबिल और प्रतिभावान प्रतिनिधि चुना जाना चाहिए जो क्षेत्र के प्रति प्रदत्त हो , जिसमे संवेदना , शालीनता , ईमानदारी, दूर दृष्टि , कार्य के व चुनाव क्षेत्र के प्रति प्रतिवद्धता हो I जिस लौ की बात विनोद फोनिया कर रहे हैं वो संभवता : लगन और अगन दोनों की है I मैं एक वरिष्ठ नागरिक के नाते ऐसे नेता को शुभकामना देता हूँ कि सफल व ईमानदार नेता बनें I
प्रत्येक ईमानदार नागरिक को सहयोग करना चाहिए इसमें युवाओं की सबसे बड़ी भूमिका उठना होगा आज उत्तराखंड में पलायन का सबसे बड़ा मुद्दा है
विनोद फोनिया जी ने कुछ मुन्ना भाई बदमाशों को पशुपालन साचिव रहते हुए पन्तनगर वेटेरीनरी कालेज भेजा था जो आज विभाग में डाक्टर बन चुके है और पशुपालकों को लूट रहे हैं।