इसके लिए बकायदा शासनस्तर पर आदेश निकालकर कहा गया कि स्कूलांे मे कक्षाआंे व आॅफिसांे के लिए उर्जा की बचत करने वाले बल्ब व ट्यूबलाईटंे खरीदी जाये। उच्च अधिकारियांे के आदेश के बाद स्कूल के प्रधानचार्य को लिखित आदेश दिया गया कि स्टूडंेट फड्ंस व कम्प्यूटर आदि के मद से इसका भुगतान किया गया है। यही नही साथ मे दिया गया है एक फर्म का नाम व कोटेशन की फोटोकाॅपी जिससे इन बल्बांे को खरीदना गया।

Youth icon yi Media logoRoshani Ghotala, Sab Gol Mal Hai : शिक्षा विभाग में बल्ब घोटला…..!

Pankaj mandoli , Srinagar , Yi Report
Pankaj mandoli, Srinagar, Yi Report

उत्तराखंड मे सरकारी स्कूलों की बद्हालिता की खबरें आम है। कहीं स्कूलों मे अध्यापक नही तो कहीं बच्चे नही, और कई ऐसे स्कूल भी है जहां स्कूल के जर्जर भवनांे मे बच्चे पढ रहे हैं इन समस्याओं को दूर करने की बजाय उत्तराखण्ड मे सरकारी स्कूलों मे सरकारी धन को ठिकाने लगाने का काम चल रहा है।Gol Mal Hai . Youth icon media

सरकारी स्कूलांे मे बाजार मूल्य से दुगने दामों पर उर्जा सरंक्षण का हवाला देकर एलईडी बल्ब व ट्यूबलाइटें खरीदी गई है।  कई सरकारी स्कूल की खिड़कियांे पर न लकड़ी है न शीशे , सरकारी स्कूलों की तस्वीरें भी देखेंगे तो कैसे खुली तारों से सरकारी स्कूलों मे बिजली व्यवस्था चलती है।

ऐसी ही तस्वीरें उतराखंड मे सरकारी स्कूलों की कहीं भी दिख जाती है। लेकिन हैरानी तब होती है जब इन्हीं स्कूलों मे लाखों के एलइडी बल्ब व ट्यूबलाइटें शिक्षा विभाग ने खरीदी है। उत्तराखण्ड मे लाखों के बजट से एलइडी ब्लब व ट्यूबलाईटें उर्जा सरक्षंण के नाम पर खरीदी गई है। इसके लिए बकायदा शासनस्तर पर आदेश निकालकर कहा गया कि स्कूलों मे कक्षाओं व आॅफिसों के लिए

 इसके लिए बकायदा शासनस्तर पर आदेश निकालकर कहा गया कि स्कूलांे मे कक्षाआंे व आॅफिसांे के लिए उर्जा की बचत करने वाले बल्ब व ट्यूबलाईटंे खरीदी जाये। उच्च अधिकारियांे के आदेश के बाद स्कूल के प्रधानचार्य को लिखित आदेश दिया गया कि स्टूडंेट फड्ंस व कम्प्यूटर आदि के मद से इसका भुगतान किया गया है। यही नही साथ मे दिया गया है एक फर्म का नाम व कोटेशन की फोटोकाॅपी जिससे इन बल्बांे को खरीदना गया।
इसके लिए बकायदा शासनस्तर पर आदेश निकालकर कहा गया कि स्कूलांे मे कक्षाआंे व आॅफिसांे के लिए उर्जा की बचत करने वाले बल्ब व ट्यूबलाईटंे खरीदी जाये। उच्च अधिकारियांे के आदेश के बाद स्कूल के प्रधानचार्य को लिखित आदेश दिया गया कि स्टूडंेट फड्ंस व कम्प्यूटर आदि के मद से इसका भुगतान किया गया है। यही नही साथ मे दिया गया है एक फर्म का नाम व कोटेशन की फोटोकाॅपी जिससे इन बल्बांे को खरीदना गया।

उर्जा की बचत करने वाले बल्ब व ट्यूबलाईटें खरीदी जाये। उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद स्कूल के प्रधानचार्य को लिखित आदेश दिया गया कि स्टूडेंट फड्ंस व कम्प्यूटर आदि के मद से इसका भुगतान किया गया है। यही नही साथ मे दिया गया है एक फर्म का नाम  व कोटेशन की फोटोकाॅपी जिससे इन बल्बों को  खरीदना बताया गया।

अब इस कोटेशन पर नजर डालिये तो 5 वाट का बल्ब 460 रूपये, 7 वाट का बल्ब 640 रूपये 6 वाट की ट्यूब 1290 रूपये, 20 वाट की ट्यूब 2310, 25 वाट की 1450, 35 वाट 21200 रूपये। ये वो मूल्य है जो बाजार मे उपलब्ध अन्य कई कंपनियों से कई गुना अधिक है। कुछ स्कूलांे का जायजा लेने पर हमने पाया कि स्कूलों मे 50 हजार से 75 हजार तक के बल्ब खरीदे गये हैं।

अब इस कोटेशन पर नजर डालिये तो 5 वाट का बल्ब 460 रूपये, 7 वाट का बल्ब 640 रूपये 6 वाट की ट्यूब 1290 रूपये, 20 वाट की ट्यूब 2310, 25 वाट की 1450, 35 वाट 21200 रूपये। ये वो मूल्य है जो बाजार मे उपलब्ध अन्य कई कंपनियों से कई गुना अधिक है। कुछ स्कूलांे का जायजा लेने पर हमने पाया कि स्कूलों मे 50 हजार से 75 हजार तक के बल्ब खरीदे गये हैं।
अब इस कोटेशन पर नजर डालिये तो 5 वाट का बल्ब 460 रूपये, 7 वाट का बल्ब 640 रूपये 6 वाट की ट्यूब 1290 रूपये, 20 वाट की ट्यूब 2310, 25 वाट की 1450, 35 वाट 21200 रूपये। ये वो मूल्य है जो बाजार मे उपलब्ध अन्य कई कंपनियों से कई गुना अधिक है। कुछ स्कूलांे का जायजा लेने पर हमने पाया कि स्कूलों मे 50 हजार से 75 हजार तक के बल्ब खरीदे गये हैं।
श्रीनगर राजकीय इण्टर काॅलेज के प्रभारी  प्रधानचार्य, वर्तमान प्रधानचार्य बताते हैं कि उन्हें उच्च अधिकारियों ने आदेश देकर जल्द से जल्द बल्ब खरीदने के लिए कहा जिसके बाद उन्होने 74,000 के बल्ब खरीदे जो आॅफिस मे पड़े हैं क्योंकि यहां स्कूल भवन मे बिजली की फिटिंग ही नही है।  वही राजकीय बालिका इण्टर कालेज श्रीनगर की प्रधानाध्यापिका ने 52,189 के बल्ब खरीदे जिसमे कुछ पहले से फ्यूज है और जब उन्होने फर्म से बात करनी चाही तो उसके दोनो नम्बर बन्द पड़े हैं। इसी तरह राज्य के कई इण्टर कालेजों मे बल्ब व ट्यूबलाईटें खरीदी गयी है। अक्षय उर्जा विकास प्राधिकरण व वीटी इण्टरप्राईजेज के द्वारा ये प्रस्ताव शासन को भेजा गया जिसके बाद  बाजार मूल्यों से अधिक मूल्यों पर बल्ब खरीदे गये व स्कूलों तक पहुंचाकर भुगतान लिया गया।  शासनस्तर पर अधिसूचना निकालकर लाखों के ये बल्ब जिस तरह बद्हाल स्कूलों व बिना  बिजली की फिटिंग वाले स्कूलों मे पहुंचाए गये उससे  साफ होता है कि प्रदेश मे कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है।

*पंकज मैंदोली

Copyright: Youth icon Yi National Media, 11.08.2016

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