Rekha Dhasmana singer : हाँ.... कलाकार की जगह कोई नेता अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा होता तो ये सबके सब फूलों के गुच्छे लेकर अस्पताल पहुँच जाते ।Rekha Dhasmana singer : हाँ.... कलाकार की जगह कोई नेता अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा होता तो ये सबके सब फूलों के गुच्छे लेकर अस्पताल पहुँच जाते ।

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हाँ…. कलाकार की जगह कोई नेता अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा होता तो ये सबके सब फूलों के गुच्छे लेकर अस्पताल पहुँच जाते ।

उत्तराखंड के गायकों व संस्कृति कर्मियों को वरिष्ठ पत्रकार ●वेद विलास उनियाल की खरी-खरी !

वेद विलास उनियाल , वरिष्ठ पत्रकार । ved vilas uniyal . Youth icon media यूथ आइकॉन मीडिया
◆ वेद विलास उनियाल , वरिष्ठ पत्रकार । 

यह उत्तराखंड का असली आंइना है । यहाँ के कलाकार मंच पर गीत गाने या प्रस्तुति देने से पहले बड़ी ऊँची ऊँची बातें करते है। परंपरा, लोकसंस्कृति पर बोलते है। थाति परंपरा की बातें कर अपने मंच को ज़माने की कोशिश करते है लेकिन कितना नक़ली है उनका व्यवहार कि अपने बीच की अंक सम्मानित बड़ी लोकगायिका के स्वास्थ्य के बारे मे दो मिनट का फ़ोन तक नहीं करते । ..…. हाँ कलाकार की जगह कोई नेता अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा होता तो ये सब अवश्य फूलों के गुच्छे लेकर अस्पताल पहुँच जाते ।

Rekha Dhasmana singer : हाँ.... कलाकार की जगह कोई नेता अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा होता तो ये सबके सब फूलों के गुच्छे लेकर अस्पताल पहुँच जाते ।

किसकी थाती किसकी संस्कृति किसका उत्तराखंड – क्या आप यक़ीन करेंगे कि उत्तराखंड की लोकप्रिय गायिका रेखाधस्माना को हार्ट अटेक पड़ा लेकिन उत्तराखंड के कला संस्कृति जगत के दो तीन लोगों को छोड़ किसी ने मिलना तो दूर फ़ोन तक नहीं किया । अस्पताल में केवल प्रीतम भर्तवाण बलराज नेगी पूनम सती महेश प्रकाश उन्हें देखने आए । यह उत्तराखंड का असली आंइना है । यहाँ के कलाकार मंच पर अपना गीत गाने या प्रस्तुति देने से पहले बड़ी ऊँची ऊँची बातें करते है। परंपरा भाईचारा लोकसंस्कृति पर बोलते है। थाति परंपरा की बातें कर अपने मंच को ज़माने की कोशिश करते है लेकिन कितना नक़ली है उनका व्यवहार कि अपने बीच की अंक सम्मानित बड़ी लोकगायिका के स्वास्थ्य के बारे मे दो मिनट का फ़ोन तक नहीं करते । जबकि मीडिया ने यह जानकारी दी थी लेकिन कलाकारों की इतनी व्यस्तता और कार्यक्रमों की इतना जुगाड़ कि एक फ़ोन का समय नहीं निकाल पाए । भूल गए ये कलाकार कि जीवन क्षणभंगुर होता है कब किसका ऊपर से बुलावा आ जाए । कम से कम कला क्षेत्र में जो है उसे संवेदनशील होना चाहिए। अगर नहीं है ते कला फिर उसके लिए दुकान है । हाँ कलाकार की जगह कोई नेता हमार पड़ता तो ये सब फूलो के गुच्छे लेकर अस्पताल पहुँच जाते । कला जगत थोड़ा समझे। इतनी दुनियादारी भी ठीक नहीं । उम्मीद करते है उत्तराखंड के आपके गीत संगीत नृत्य दिखावटी न हो । रेखा धस्माना स्थापित गायिका हैं अस्सी के दशक से उनके गीत उत्तराखंड में गूँज रहे हैं । क्या हम बदलेंगे ?

वेद विलास उनियाल ।

By Editor

One thought on “हाँ.. कलाकार की जगह कोई नेता अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा होता तो ये सबके सब फूलों के गुच्छे लेकर अस्पताल पहुँच जाते ।”
  1. ईश्वर रेखा जी को स्वस्थ रखे। मैं दिल्ली में हूँ नहीं तो ज़रूर आता। आप यदि उनका मोबाइल नंबर दे तो उनसे बात कर हालचाल पूछने का प्रयास करूँ।
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