Akhilesh Dimri : सोचिए आख़िर हमें कैसे जनप्रतिनिधि चाहिए .......? ऐसे या वैंसे !  Harish rawat . Anil baluni . Ajay Tamata . Trivendra Rawat . Ajay Bhatt . Youthicon report award dehradunAkhilesh Dimri : सोचिए आख़िर हमें कैसे जनप्रतिनिधि चाहिए .......? ऐसे या वैंसे !  Harish rawat . Anil baluni . Ajay Tamata . Trivendra Rawat . Ajay Bhatt . Youthicon report award dehradun

Youth icon Yi Media Award logo . यूथ आइकॉन वाई आई मीडिया अवार्ड लोगो । shashi bhushan maithani paras . शशि भूषण मैठाणी पारस . uttarakhand । उत्तराखंड

 

सोचिए आख़िर हमें कैसे जनप्रतिनिधि चाहिए …….? ऐसे या वैंसे ! 

 

माफ़ कीजिएगा लेकिन तय तो करना होगा कि जन प्रतिनिधियों से आपको पहाड़ के नाम पर आपको मुंगरी, काखड़ी के बदले खीरा और भुट्टा चाहिए या उस दर्द में साथ खड़े होकर हौसला ही सही पर वो हौसला देने की हिम्मत रखने वाले लोग …….!

 

अखिलेश डिमरी Akhilesh Dimri । youth icon media award report
अखिलेश डिमरी

आप फ़िलवक़्त की राजनैतिक बिरादरी को अगर काखड़ी मुंगरी के नाम पर हो रही दावतों की नौटंकियों से आंक रहें हैं तो फिर बहुत कुछ कहने सुनने की ज़रूरत नहीं क्योंकि इन नौटंकियों के प्रति हमारी अगाध श्रद्धा ने ही अब तक का बेड़ा गर्क किया हुआ है।

फिलहाल इस सूबे के सत्रह सालों से अधिक का कुल हासिल ये ही नौटंकियाँ तो हैं जहाँ आपको वो सब भुला दिए जाने को मजबूर कर दिया जाता है और आप लुटे पिटे मगर जयकारे लगाने को मजबूर हैं। फिलहाल राजनैतिक जमात की असंवेदनशीलता के बीच थोड़ा कुछ संवेदनशील अगर खोज पाता हूँ तो इस सूबे के दो राज्यसभा सांसदों पर बात की जा सकती है …. !

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पहले बात नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद श्री अनिल बलूनी की….. हालाँकि मैं बलूनी जी को न तो व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ और न ही उनसे कभी मेरी कोई बात चीत या मुलाकात ही हुई है , लेकिन धूमाकोट बस दुर्घटना के बाद तमाम राजनैतिक लोगों की बयान बाजी के बीच मुझे उनके इस बयान ने बहुत प्रभावित किया जिसमें उन्होने कहा कि वे दुर्घटना के दौरान पहाड़ की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अपनी सांसद निधि से अलग अलग जगहों पर गहन चिकित्‍सा इकाइयाँ ( आई सी यू) खोलने का निर्णय ले रहे हैं ताकि गंभीर चोटिल मरीजों को आई सी यू के अभाव में रेफर किए जाने के कारण जीवन की हानि को बहुत हद तक कम किया जा सके ।

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ये बात इसलिए भी कह रहा हूँ कि सूत्रों से यह भी पता चला कि उन्होने ये बयान देने के तुरंत बाद ही आई सी यू की लागत को समझने के लिए एक मार्केट सर्वे भी कराया जिसमें उन्हे ज्ञात हुआ कि एक आई सी यू चालीस लाख रुपये में स्थापित हो जाएगा , मुझे यकीन है कि उन्होने राज्य को इस बाबत प्रस्ताव भेजने को कहा होगा और अगर राज्य से अगर उन्हे अभी तक प्रस्ताव न मिला हो तो मैं कुछ कह नही सकता लेकिन अगर मिल गया होगा तो में गारान्टी के साथ कह सकता हूँ कि यह प्रस्ताव दो ढाई करोड़ के आसपास ही होगा उससे कम तो किसी भी कीमत पर नहीं …….?

में ये बात इसलिए कह रहा हूँ की पिछले सत्रह सालों से इस सूबे के कर्ताधार्ताओं ने जब भी कोई योजनाएँ बनाने की सोची तो उसमें आवाम का हित बाद में और ठेकेदार , दलाल और माफियाओं का हित पहले देखा है तो ज़रूर बालूनी जी की इस पहल पर भी संवेदनाएँ आवाम की तरफ कम ठेकेदारों, दलालों, और माफियाओं बिचौलियों की तरफ ही ज़्यादा होंगी माना कि अगर आई सी यू यूनिट की लागत चालीस पचास लाख ही रखी हो पर ये तो पक्का है कि वीरान पड़े अस्पतालों में भी नये भवन का प्रस्ताव उसमें ज़रूर होगा ।

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इसी सूबे से दूसरे राज्य सभा सांसद है श्री प्रदीप टम्टा …….! प्रदीप भाई से मेरी मुलाकात भी है, बात चीत भी है , ट्वीटर फेसबुक सब पर भी आदान प्रदान होता रहता है, प्रदीप भाई को मैने सुदूर मोरी ब्लाक के सान्व्णी। गाँव में अग्निकांड से पीड़ित लोगों के बीच लोगों को ढाढ़स बाँधाते हुए भी देखा है तो मैने उन्हे सुदूर सर बाड़ियार गाँव में भी लोगों के बीच देखा है . मैने उन्हे गैर सैण पर राजधानी बनाए जाने पर भी स्पष्ट पक्ष रखते हुए देखा है , और अभी दो दिन पहले ही पिथौरागढ़ , मुन्स्यारी में आपदा के चौबीस घंटे के भीतर ही मैने उन्हे आपदा प्रभावितों के बीच फिर से देखा , यकीन मानिए किसी जनप्रतिनिधि की यही प्रतिबद्धता उसे बाके सबसे अलग करती है कि वो दुख के समय अपने लोगों के बीच खड़ा है ।

मुझे प्रदीप भाई और अनिल बालूनी जी में कम से कम इस बात का अंश तो दिखता है कि वे जैसे कैसे ही सही पर जनता की संवेदनाओं से जुड़ने की कोशिश करते हैं , वरना विकास के नाम पर हो रही ठेकेदारी और पहाड़ के नाम पर भांग , मुंगरी, काखड़ी बताई तो जा सकती है लेकिन खाना आपको खीरा , भुट्टा, जामुन और दशहरी आम ही पड़ेगा …….? और भांग तो हो सकता है कि आपकी ज़मीन पर कांट्रेक्ट फार्मिंग से नयार घाटी में भी कोई बिल्डर उगाए और आपको उस जगह से गुज़रते हुए उस बिल्डर को अरोड़ा जी नमस्ते कहने पर मजबूर किया जाये……..!

ये बातें मैं इसलिए लिख कह रहा हूँ कि राजनैतिक विचारधारा की प्रतिबद्धता और काखड़ी मुंगरी के नाम पर हो रही नौटंकियों के बाद भी आख़िर हमें सोचना ही होगा कि एक जनप्रतिनिधि से से आख़िर हमें चाहिए क्या …….? हमें काखड़ी चाहिए ….? हमें मुंगरी चाहिए …..? हमें जुमले चाहिए …..? हमें ज़ीरो टॉलरेंस के बोल चाहिए ……? या हमें चाहिए कि वो कम से कम हमारे सुख दुख में हमारे साथ खड़ा हो हमारे बारे में सोचे ……, कुछ कर पाए या न पाए पर कम से कम हमारे साथ दो घड़ी को खड़ा होकर हमें ढाढ़स बाँधाए …….!

हमें तय करना ही होगा कि हमें कैसा जनप्रतिनिधि चाहिए ……? हमें किसी मालिक का गुलाम चाहिए जब मालिक आदेश करे तब गुलाम हाजिर …….? हमें कोई मुनीम चाहिए ….? या हमें चाहिए कि वो अगर मालिक का नौकर या मुनीम भी है तब भी हमारे बीच आए , हमारी सुने , हमारे कहे ………?

सोचिए आख़िर हमें कैसे जनप्रतिनिधि चाहिए …….?

Report : Akhilesh Dimri

साभार : अखिलेश डिमरी, फेसबुक वॉल से ।

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By Editor