यूथ आइकॉन मीडिया कार्यालय में मुख्यमंत्री हरीश रावत ।

Be patient : विरासत में मिली मुझे विसंगतियां, शिक्षक धैर्य बनाए रखें – सीएम हरीश रावत

Raj Rag Youth icon Special .
By : Shashi Bhushan Maithani ‘Paras’

आज मेरे साथ यूथ आइकॉन राज-राग की इस विशेष कड़ी में मौजूद हैं सूबे के मुखिया हरीश रावत, मैने उत्तराखण्ड के सियासी हालात पर उनके मन को पढऩे की कोशिश की, और जनतंत्र से जुड़े कई अहम मुद्दों पर सीधे और सटीक सवाल-जवाब किए। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी हर सवाल का जवाब अपने सधे हुए राजनीतिक अंदाज में दिया। क्या कुछ कहा उन्होनें आप भी जरूर पढि़ए।  लेकिन सबसे पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत के अब तक के जीवन पर एक  नजर ।

परिचय :
मुख्यमंत्री हरीश रावत

नाम – हरीश रावत, जन्म – 27 अप्रैल 1947, पिता- राजेंद्र सिंह रावत,  मां – देवकी देवी, गांव – मोहानारी जिला अल्मोड़ा,शिक्षा – लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी,  ग्राम स्तर से राजनीति शुरू कर युवा कांग्रेस में शामिल हुए ।

* 1980 से 2000 तक कांग्रेस सेवा दल के प्रमुख रहे।
* 1980 में भाजपा के मुरली मनोहर जोशी को हराकर लोकसभा चुनाव जीता।
* 1984 में 8वीं लोकसभा के सदस्य चुने गये
* 1989 लगातार तीसरी बार लोकसभा सदस्य चुने गये।
* 2001 से 2007 तक उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष
* 2002 तक राज्यसभा के लिए चुने गये।
* 2009 तक लोकसभा के लिए चौथी बार चुने गये।
* 2009 तक केंद्रीय मंत्रीमंडल में राज्य मंत्री बने
* 28 अक्टूबर 2012 तक केंद्रीय मंत्री मंडल में कैबिनेट मंत्री बन
* एक फरवरी 2014 से राज्य के 8वें सीएम के रूप में शपथ ली।  

* राज-राग में बोले सीएम, सरकार है शिक्षकों के साथ ।

* गैरसैण  में हम क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं जनता जानती है । विपक्ष को  सवाल पोछने का अधिकार ही नहीं ।

* भाजपा बताए गैरसैण मसले पर उनकी सरकारों ने क्या-क्या काम किया है अपने  शासन काल में । 

आगे पढ़िए यूथ आइकॉन राज-राग और जानिए सीएम रावत के मन की बात : 

यूथ आइकॉन मीडिया कार्यालय में मुख्यमंत्री हरीश रावत ।

Yi शशि पारस –  पहाड़ के लोग 16 साल बाद भी विकास के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहें हैं। आपको नहीं लगता राजनैतिक दलों के वादों से लोग अब हताश और निराश हो चुके हैं ?

सीएम-   मैठानी जी देखिए ऐसा नहीं है, मुझे लगता है पहाड़ो के ही नहीं, राज्य के मैदानी क्षेत्रों के लोग भी हताश-निराश तो  बिल्कुल भी नहीं हैं। देवभूमि उत्तराखण्ड की जनता बेहद समझदार है। वह जानती है पहाड़ के विकास के लिए हमारी सरकार पूरी तरह वचनबद्ध है, हम चरणबद्ध तरीके से सुनियोजित विकास कर रहे हैं और आने वाले 5 से 7 सालों के भीतर उसके परिणाम भी हम सबके सामने होंगे । जब पौधा लगाया जाता है तो उसे पहले सींचना पड़ता है और फिर कुछ इंतजार के बाद ही अच्छा फल भी मिलता है ।
Yi शशि पारस – युवाओं को रोजगार देने में कितनी सफल रही सरकार ?

सीएम-  वर्तमान वित्तीय वर्ष में 30 हजार से अधिक पदों पर नियुक्तियां होंगी।  16 हजार से अधिक पदों पर नियुक्तियां की जा चुकी हैं। हम 50 हजार युवाओं को उद्यमी बनाएंगे। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी स्वरोजगार योजना के लिए 10 करोड़ रूपए का स्टार्ट अप फण्ड बनाया गया है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के तहत 2000 युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जाय। पारम्परिक शिल्पकारों व एससी के एक हजार युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम संचालित किया जाएं। सौर ऊर्जा आधारित सूर्योदय स्वरोजगार योजना का शुभारम्भ किया गया है।

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Yi शशि पारस- आप रोजगार देने की बात कर रहें लेकिन गेस्ट टीचरों को तो कोर्ट ने हटाने के आदेश दे दिए हैं। और अब सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं ? सोशल मीडिया पर आपकी वो तस्वीर खूब वायरल हो रही है जिसमें आप अतिथी शिक्षकों को आंदोलन की नई राह दिखाते हुए सड़क पर रात बिताते हुए दिखाई दे रहे हैं ?
सीएम-  देखिए आप तब की बात कर रहें हैं में तो तब और अब हमेशा उनके साथ खड़ा हूं। मैने हमेशा से इन लोगों से यह अपील की है। आप अपना धैर्य न खोयें आप धैर्य बनाए रखें क्योंकि इस मामले में बहुत सारी कानूनी बाधाएं हैं। मैं हर पल उन्हें दूर करने का गंभीरता से प्रयास कर रहा हूं। अतिथी शिक्षकों से मैं फिर आपके मार्फत अपील करता हूं कि वह सयंम बनाए रखें। यह तो आप भी जानते हैं कि मैं इस राज्य का आठवां मुख्यमंत्री हूं।  और मुझे ये जो विसंगतियां हैं विरासत में पूर्व के मुख्यमंत्रियों द्वारा दी गई हैं। लेकिन मैं नहीं चाहता हूं कि आगे आने वाली सरकारों को किसी नियुक्ति के मामले में कानूनी विसंगतियों का सामना करना पड़े इस लिए मैं एक-एक करके तमाम नियुक्तियों में जो विसंगतियां हैं उन्हें दूर कर एक मजबूत बीच का रास्ता तलाश रहा हूं। ताकि भविष्य में उन्हें किसी संकट का सामना न करना पड़े।
Yi शशि पारस- शिक्षकों के तबादलों को लेकर भी सियासत गर्माई हुई है। तमाम शिक्षक सोशल मीडिया पर अपनी-अपनी राय देकर 2017 विधानसभा चुनाव में वर्तमान सरकार को सबक सिखाने का फरमान जारी कर रहे हैं ?
सीएम- मेरे लिए राज्य की जनता का हित सर्वोपरी है। राज्य की मूल अवधारणा पूरी हो, सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सरकार की योजनाएं पहुंच पाएं । यह काम सिर्फ सरकार के द्वारा संभव नहीं है। हम सब को मिलकर अपनी-अपनी भूमिका का ईमानदारी से निर्वहन करना होगा। और इसमें शिक्षकों की भूमिका अग्रणीय हैं। सरकार ने हमेशा उनके हितों का ध्यान रखा है। राज्य का हर अधिकारी, कर्मचारी, आम नागरिक, नेता हो या अभिनेता, सब उत्तराखण्ड राज्य का संयुक्त परिवार है। और इसकी तरक्की के लिए हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। मुझे नहीं लगता है कि कोई शिक्षक या अन्य कर्मचारी मुझसे या हमारी सरकार से नाराजगी रखते हैं। बाकी जैसा कि आपने कहा कि एक मुहिम सोशल मीडिया पर चल रही है तो यह मैं उनके न्याय और विवेक पर छोड़ता हूं।
Yi शशि पारस- स्थाई राजधानी को लेकर 16 साल बाद भी असंजस की स्थिति क्यों बनी हुई है ? गैरसैण में विधानभवन के साथ अन्य निर्माणकार्य अंतिम चरण में है। फिर राजधानी की घोषणा करने से डर कैसा ?
सीएम-  हमारा रुख तो स्पष्ट है, कांग्रेस सरकार ने ही गैरसैण में विधानसभा सत्र शुरू किया था और उसके बाद आज वहां विधानभवन, सचिवालय व विधायक निवास सब बनकर धीरे-धीरे तैयार भी हो रहा है । यह सवाल आप उन लोगों से पूछिएगा जो दो बार इस राज्य में राज कर चुके हैं आखिर उन्होने गैरसैण को लेकर अब तक क्या किया है, आप लोग सवाल भी हमसे से ही करते हैं । अरे भाई कभी उनसे भी तो पूछ लीजिए आखिर उन्होने किया क्या है गैरसैण में ? या आगे उनकी मंशा है क्या ? अगर आपको कुछ बता दें तो मुझे भी बता दीजिएगा । बाकी कांग्रेस सरकार अपनी मंशा शब्दो से नहीं बल्कि जमीन पर काम करके दिखा रही है ।
Yi शशि पारस- पहाड़ वीरान होते चले जा रहें हैं, पलायन आज भी बदस्तूर जारी है, सरकार चाहे आपकी हो यह किसी और की, वादों और दावों में कोई पीछे नहीं रहता है, आखिर कब तक पहाड़ में जनता पालयन के इस दंश को झेलती रहेगी ?
सीएम-  देखिए मुझे सत्ता में आये हुए ढाई साल का समय मिला, और मैं बदस्तूर इस विषय पर खुद भी चिंतित हूं, और काम भी कर रहा हूं। रिर्वस पलायन को लेकर के हमारी सरकार ने बहुत छोटे-छोटे स्तर पर प्लान तैयार किए हैं। जिसका परिणाम आपको आज या कल में नहीं मिलेगा।  लेकिन मैं यह भी नहीं कहूंगा कि आपको बहुत लम्बा समय इंतजार करना पडेगा, महज अगले तीन से चार वर्षों में हमारी योजनाएं पहाड़ पर फलीभूत होने लगेेंगीं, और निश्चित तौर पर पलायन कर चुके लोग वापस पहाड़ जाते हुए दिखाई देंगे।
तो यह थे मेरे साथ आज के राजराग में सूबे के मुख्यमंत्री हरीश रावत । राज राग यानी राजनीति का हर वो राग जिसका सीधा सरोकार होता है जनतंत्र से। राजा भी जनता बनाती है और फकीर भी ।   आज से 16 साल पहले जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग की सरकार और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तो इस कार्यकाल में उत्तराखंड का जन्म हुआ। राज्य गठन के समय अंतरिम सरकार भाजपा की थी। कांग्रेस ने राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के रुप में हरीश रावत की ताजपोशी की। ये हरीश रावत की नेतृत्व क्षमता का ही करिशमा था कि उन्होंने ऐसा बदलाव ला दिया कि 2002 की शुरुआत में हुए पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करते हुए सरकार बना ली। हरीश रावत ने उत्तराखण्ड में कांग्रेस को सत्ता तक तो पहुंचा दिया लेकिन जब बारी मुख्यमंत्री बनने की आई तो मुख्यमंत्री पद पर इनकी दावेदारी वयोवृद्व कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी के सामने खारिज कर दी गई। नारायण दत्त तिवारी के मुकाबले मुख्यमंत्री पद की दावेदारी से बाहर होने के बाद, उसी साल नवम्बर में रावत को उत्तराखण्ड से राज्यसभा के सदस्य के रुप में भेजा गया।   पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने हरिद्वार संसदीय सीट सें चुनाव लड़ा, जहां उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। उनके निकटस्थ प्रतिद्वंद्वी से जीत का अंतर एक लाख वोटों से भी ज्यादा रहा। पिछले काफी समय से भाजपा, सपा या बसपा की झोली में रही हरिद्वार सीट जीतने वाले रावत को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में पहले राज्य मंत्री और बाद में कैबिनेट मंत्री का दायित्व सौंपा। उत्तराखण्ड में साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस सत्ता में आई तो हरीश रावत का नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चलता रहा, लेकिन इस बार भी पार्टी आलाकमान ने उनकी दावेदारी को नकार दिया और उनकी जगह विजय बहुगुणा को तरजीह दी। बहुगुणा के सत्ता संभालने के बाद से लगातार प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें चलती रहीं, जो जून-2012 में आई प्राकृतिक आपदा से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामी के आरोपों के चलते और तेज हो गईं। और आखिरकार विजय बहुगुणा को हटाकर कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को राज्य का मुख्यमत्री बना दिया। मुख्यमंत्री बनने के बाद से हरीश रावत भी तमाम चुनौतियों से जुझते नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, सुवोध उनियाल सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने उन पर हिटलर शाही के आरोप लगाते हुए कांग्रेस को अलविदा कह दिया। सरकार अल्पमत में आ गई थी जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फिर सीएम की कुर्सी पर बैठने के निर्देश दिए। यह उनके एक और राजनीतिक जीवन की शुरुआत है। यदि ऐसा न होता तो शायद उनके राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिह्न् लग जाता।
बागी विधायकों द्वारा हरीश रावत का एक स्टिंग भी सामने लाया गया। जिसमें बागी विधायकों द्वारा आरोप लगाया गया कि वह सरकार बचाने की एवज में लेन-देन की बात करते दिखाई दे रहे हैं। मामला फिलहाल कोर्ट में चल रहा है। हरीश रावत ने हर आरोपों का डट कर मुकाबला किया, और जनता के सामने मजबूती से अपना पक्ष रखा। लेकिन इस साफ्ट स्पोकन की पहचान रखने वाले व्यक्ति के पीछे एक तेज और कुटिल राजनीतिज्ञ का दिमाग काम करता है और इसमें शायद उनकी वकालत की पढ़ाई काम आती होगी। 18 मार्च 2016 को उत्तराखंड की विधानसभा में जो हुआ और जिस तरह कांग्रेस हाईकमान ने भी रावत को अकेले छोड़ दिया था उससे लग रहा था कि यह उनकी अंतिम पारी न हो लेकिन इस बार भी रावत उबरने में सफल रहे। इस जीत का असर मिशन-2017 में भी नजर आएगा। 2017 के शुरूआती महीनों में विधानसभा चुनाव होने है और कांग्रेस का सारा दारोमदार हरीश रावत के कंधों पर हैं। हरीश रावत भी लगें हैं कि कांग्रेस इस बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाए। लेकिन अब देखना यह दिलचस्प होगा कि जनता रावत के मनसूबों को परवान चढ़ाएगी या धराशायी कर देगी। 

 ©  प्रस्तुति : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ,  

Copyright: Youth icon Yi National Media, 15.12.2016

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