माँ अनुसूया के धाम पहुँचती हैं क्षेत्र समस्त देव डोलियाँ, जिससे माहौल भक्तिमय हो जाता है । फोटो: साभार , सुरेन्द्र गड़िया की फेसबुक वॉल से

Youth icon yi Media logoDattatreya Jayanti, Jay maa Anusooya Devi : ‘आस्था और विस्वास’  है तो जरूर आइए…! 

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क्रांति भट्ट : हिंदुस्तान समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार हैं । 
माँ अनुसूया के धाम पहुँचती हैं क्षेत्र समस्त देव डोलियाँ, जिससे माहौल भक्तिमय हो जाता है । फोटो: साभार , सुरेन्द्र गड़िया की फेसबुक वॉल से
माँ अनुसूया के धाम पहुँचती हैं क्षेत्र समस्त देव डोलियाँ, जिससे माहौल भक्तिमय हो जाता है ।
फोटो: साभार , सुरेन्द्र गड़िया की फेसबुक वॉल से

Gopeshwar, Chamoli : हालांकि संतान की उत्पत्ति ” जेनिटिकल सांइस ” का विषय है । x और y क्रोमोजोम के संयुक्तन से ही संतान का होना न होना माना जाता है । घर में . जीवन सब कुछ हो मगर संतान न हो तो क्या अधूरा पन या सूनापन लगता है यह दर्द या रिक्तता उनसे पूछिये जो संतान प्राप्ति के लिए मेडिकली और तमाम उपाय . परीक्षण उपचार के बाबजूद भी बच्चे की किलकारी के लिए निराश हो जाते हैं । एक लोक आस्था है मान्यता है विस्वास है कि जो निसंतान दम्पति। पूर्ण आस्था विस्वास के साय सती माता अनसूया के दरबार में संतान की कामना के लिए आते हैं मां कभी उन्हें निराश नहीं करती । उनकी गोद अवश्य हरी होती है संतान की प्राप्ति अवश्य होती है । दतात्रेय जयंती 12 दिसम्बर की रात्रि को मंदिर में संतान कामना के लिए मंदिर में उपासना होती है निसंतान दम्पति मां के झोली फैलाते हैं रात्रि भर जागरण होता है और सच्ची श्रद्धा कभी बेकार नहीं जाती ऐसे दम्पति को समय पर अवश्य संतान प्राप्त होती है । 12 व 13 दिसंबरको दत्तात्रेय जयंती पर अनसूया मंदिर में विशाल मेला भी लगता है

 कौन हैं मां अनसूया…! 

माता अनुसूया की पवित्र दिव्य डोली ।
माता अनुसूया की पवित्र दिव्य डोली ।

सती मां अनसूया जो ममत्व की . साधना की . पतिव्रत धर्म की देवी हैं श्रृषि अत्रि की धर्म पत्नी हैं । मान्यता है एक बार मां लक्ष्मी . सरस्वती और पार्वती से देवर्षि नारद ने मां अनुसूया के इन गुणो के बारे में बताया तो तीनों ने ब्रह्मा विष्णु और महेश को मां अनसूया के सतित्व की परीक्षा लेने के लिए भेजा । मां अनसूया का रूप सौदर्य भी अदभुत है । तीनौ मां के पास साधु वेष में पहुंचे उस समय श्रषि अत्रि आश्रम में नहीं थे । तीनों ने मां से भोजन की अपेक्षा की और वह भी अधोवस्त्र में । सती मां अनसूया ने अपने पति के अतिरिक्त कभी भी किसी के आगे सिर से आंचल तक नहीं हटाया । मां समझ गयी कि तीनो साधुवेशी कौन हैं उन्होंने ने कहा ऐसा ही होगा । और अपने कंमडल से तीनों पर जल छिडका । तीनो शिशु बनकर मां की गोद और आंगन में आ गये । जब तीनो भगवान घर नहीं लौटे तो नारद जी से तीनो माताओं ने चिंता पूर्वक प्रश्न किया । नारद जी ने कहा कि माताओं आप चलकर देखिये आप के पति देव कहां है ं । तीनों लेकर जब मां के आश्रम में पहुंचे तो देखा कि तीन “” दुध मुहें बच्चे मां के सीने से चिपके हैः और मां उन्हें संतान की भांति स्नेह दे रही हैं दुलार रही है ं तीनो ने नारद से कहा हमारे पति कहाँ हैं ?  ये तो बच्चे है नारद ने कहा यही आपके पति हैं पहचानिये । तीनो जब असफल हो गयीं तो मां अनसूया से अपने अपराध की क्षमा मांगी कि हमने आपके सतित्व की परीक्षा लेने का दुत्तसाहस किया। मां अनसूया ने पुन: तीनो को मूल स्वरूप में लाकर उन्हें सपत्नीक वापस भेज दिया । यही रूप दत्तात्रेय बना । 

गोपेश्वर, से 10 किमी सडक मार्ग मंडल और उसके बाद 4 किमी पैदल मार्ग पर है मां अनसूया का मंदिर ।
सिर्फ संतान कामना ही नही साधना और श्रद्धा तथा मां के दिब्य दर्शनों के लिए आइये मां अनसूया के दरबार में । 

साभार : क्रांति भट्ट, वरिष्ठ पत्रकार गोपेश्वर ।

Youth icon Yi National Media, 12.12.2016

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