फिर टूटता पुल और बन गया जनता की कमाई का अप्रैल फूल…..

हिमांशु पुरोहित । Himanshu Purohit । youth icon media । news । report । Yi award । shashi bhushan maithani paras । यूथ आइकॉन । शशि भूषण मैठाणी पारस । Avikasit Bhroon Gairsain : शहीदों के रक्त से संचित और आज की सियासत का एक अविकसित भ्रूण "गैरसैंण" 
हिमांशु पुरोहित । 

जैसा कि पता ही होगा सबको कि आज । अप्रैल है और आज दिन अप्रैल फूल के नाम से मशहुर है, और आज के दिन के हास्यपद कथानक में उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला भी हिस्सेदार हो गया । क्योंकि उत्तरकाशी में रविवार सुबह चीन सीमा की तरफ जाने लाइफ लाइन(गंगोत्री पुल) ताश के पत्ते की तरह ढह गया । इस अप्रैल फुल टूडे स्टोरी का एक्टर और डारेक्टर एक ट्रक था । जो रेत से भरा हुआ था और पुल के बीच पहुंचते ही पुल की अपने वजन से पुल की कमर तोड़ देता है ।

वैसे ये कोई नई बात नहीं है कि इस पुल की राहू-केतु (भ्रष्टता) का दशा पड़ने से आज ही टुटा है यह तो पहले ही 2 बार टूट चूका है और दोनों बार दुबारा से पुल बनाया गया  । दिसम्बर माह की घटना है कि इस स्थान पर पुल टूट गया था तब इसकी वजह ओवर लोड बताई गई थी । उसके बाद भारी भरकम वजन का संज्ञान लेते हुए 18 टन भार क्षमता का नया वैली ब्रिज बनाया गया । जो आज सुबह फिर से नेस्तानाबूद हो गया ।

पुल टूटने की खबर मिलते ही जिला प्रशासन की ओर से एसपी, एडीएम और एसडीएम मौके पर पहुंचे । अपनी गलतियों को नजरंदाजी और जिम्मेदारी से बचने के लिए कोई भी अफसर कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हुआ कि आखिरकार किस वजह से गंगोत्री हाईवे पर पुल धराशाही हो रहे हैं ?

फ़िलहाल जिला प्रशासन की ओर से एसडीआरएफ की टीम को मौके पर वैकल्पिक पुल निर्माण के निर्देश गये हैं, जो वैकल्पिक मार्ग बनाने में लगी है ।

इस स्थान पर पुल टूटने का इतिहास

यदि इस स्थान पर घटित इतिहास के पन्नों को पढ़ा जाये तो साल 2008 में गंगोत्री में इसी स्थान पर अस्सी गंगा पर बना वैली ब्रिज उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो गया था । उसके बाद 2012-13 की आपदा इस पुल पर क्लेश कर गयी अर्थात फिर टूट गया था पुल और आज के दिन भी पुल का पुनः पंचनामा हो गया  । यदि आज के दिन को भी इतिहास के पन्नों में समेट लिया जाये तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । 

जिले के अन्य जगह पर पुल टूटने के चर्चे बेहद मशहुर हैं ।साल 2012 में स्वारीगाड़ में बीआरओ का निर्माणाधीन वैली ब्रिज भी उद्घाटन के समय ध्वस्त हो गया था ।  साल 2014 में धौंतरी में पुल पर ओवर लोडिंग ट्रक गुजरने से पुल ध्वस्त हो गया था । साल 2014 में अस्सी गंगा में एनबीसीसी का वैली ब्रिज भी लॉन्चिंग के ध्वस्त हो गया था. साल 2015 में गंगोत्री हाइवे से लगे अठाली में बहुप्रतिक्षित दस करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन 80 मीटर स्पान पुल भरभरा कर ढहा था । साल 2015 फरवरी में गजोली में 18 लाख की लागत से निर्माणाधीन 19 मीटर स्पान का पैदल पुल कसते वक़्त टूट गया था । साल 2017 दिसंबर में दो ट्रकों की आवाजाही के दौरान गंगोरी वैली ब्रिज टूट गया था । 

इन सभी पुल टूटने वाली घटनाओं से बीआरओ की कार्यप्रणाली प्रश्नात्मक दायरे के अंदर आगयी है । क्योंकि इतने पुल जो अपनी समय सीमा और निर्धारित वजन से कम में टूट रहे हैं इससे राज्य के राजस्व की हानि हो रही है । और एक कार्य पर कई बार व्यर्थ का धन खर्च हो रहा है ।
Report : HIMANSHU PUROHIT

By Editor