यही वो पत्र है जिसने की DS Rawat DG Helth डीएस रावत, स्वास्थ्य महानिदेशक, उत्तराखंड की फजीहत ।

Letter of Health Director : लापरवाह अधिकारियों ने कराई डीजी हैल्थ की फजीहत…! Youth icon Exclusive ReportLogo Youth icon Yi National Media Hindi

* यूथ आइकाॅन की पड़ताल में हुआ गड़बड़झाले का खुलासा . 

* पीजी डिप्लोमा/डीपीएच को लेकर पीएमएचएस डाॅक्टरों में कन्फ्यूजन की स्थिति . 

अवधेश नौटियाल Awadhesh Nautiyal Youth icon Reporter
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यही वो पत्र है जिसने की डीएस रावत, स्वास्थ्य महानिदेशक, उत्तराखंड की फजीहत ।

देहरादून, (यूथ आइकाॅन)। उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कालेजों में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और डीपीएच के आवेदन को लेकर उत्तराखंड के पीएमएचएस डाॅक्टरों में कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई है। और इस कन्फ्यूजन को पैदा करने का काम किया है उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमे ने। दरसअल कोर्ट के आदेश के बाद एमडी एवं एमएस पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए केवल नीट पीजी ही प्रवेश परीक्षा है। भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 के अनुसार 2017 से मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों द्वारा आयोजित राज्य स्तर या संस्थागत स्तर की कोई अन्य प्रवेश परीक्षा मान्य नहीं होगी। वावजूद इसके उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कालेजों द्वारा उसको अलाॅट हुई 15 सीटों पर आवेदन आमन्त्रित कर दिए। प्रभारी महानिदेशक स्वास्थ्य डीएस रावत की ओर से 09 मार्च को राज्य के तमाम सीएमओ को पत्र भेजा गया, जिसमें आवेदन आमन्त्रित करने के विषय में जानकारी दी गई। स्वास्थ्य विभाग की यह चूक सामने भी न आ पाती लेकिन विभाग की ओर से जारी पत्र जब कई सीएमओ आॅफिसों में आवेदन की अंतिम तिथि 15 मार्च 2017 के

DS Rawat DG Helth डीएस रावत, स्वास्थ्य महानिदेशक, उत्तराखंड
डीएस रावत, स्वास्थ्य महानिदेशक,

इस तरह का प्रकरण नहीं होना चाहिए था। जिस स्तर से भी चूक हुई है उसकी जांच कराई जा रही है, इसके लिए डाॅ कैलाश जोशी को जांच अधिकारी बनाया गया है। यदि किसी ने जानबूझकर विभागीय छवि को धूमिल करने की नियत से इस तरह का काम किया है तो ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही की जाएगी।

डीएस रावत, स्वास्थ्य महानिदेशक, उत्तराखंड

बाद पहुंचा तो इस मामले को लेकर आवाज उठनी शुरू हुई। जिसके बाद यूथ आइकाॅन ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो पता चला कि विभागीय लापरवाही/लिपकीय लापरवाही के कारण यह पूरी फजीहत हुई। वहीं इस मामले में जब डीजी हैल्थ उत्तराखंड डीएस रावत से यूथ आइकाॅन ने जानकारी चाही तो उन्होंने भी गलती को स्वीकार करते हुए कहा कि पीजी की सीटों का आवंटन नीट पीजी की परीक्षा के जरिए होगा। विभाग केवल संबधित डाॅक्टरों को एनओसी जारी करेगा। गौरतलब है कि पूर्व में यह प्रक्रिया विभागीय स्तर पर होती थी, लेकिन कुछ लोगों द्वारा इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े करने और कोर्ट चले जाने के बाद इसका चयन नीट पीजी के जरिए होता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस बात का जरा सा भी ज्ञान नहीं था या फिर जानबूझकर कुछ कर्मचारी आला-अधिकारियों को गलत जानकारी देकर विभाग की छवि पर बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। डीजी हैल्थ डीएस रावत ने कहा है कि इस तरह का प्रकरण नहीं होना चाहिए था। जिस स्तर से भी चूक हुई है उसकी जांच कराई जा रही है, इसके लिए डाॅ कैलाश जोशी को जांच अधिकारी बनाया गया है। यदि किसी ने जानबूझकर विभागीय छवि को धूमिल करने की नियत से इस तरह का काम किया है तो ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही की जाएगी।  गौरतलब है कि एमडीए-एमएसए पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना को छोड़कर पूरे देश में अन्य सभी राज्यों में 50 प्रतिशत आरक्षित सीटें होंगी। यह परीक्षा देश भर के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों, संस्थानों और विश्वविद्यालयों में एमडी, एमएस, पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम तथा सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा संस्थानों में एमडी, एमएस, पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए होगी। आपको बता दें कि नीट यानि नेशनल एलिजीबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट, पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेस के लिए आयोजित किए जाने वाला एक तरह का सिंगल एलिजीबिलिटी कम एंट्रेंस एग्जाम है। केंद्र सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस यानि छठम्द्ध को डक्ध्डै और पीजी डिप्लोमा कोर्सेस में दाखिले के लिए छम्म्ज्.च्ळ को आयोजित करने को कहा है।

शैक्षणिक योग्यता : 
एमबीबीएस डिग्री, प्रोविजनल एमबीबीएस पास सर्टिफिकेट या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, या स्टेट मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी समकक्ष योग्यता।
 
यूथ आइकाॅन की पड़ताल में हुआ खुलासा
महानिदेशक स्वास्थ्य डीएस रावत के हस्ताक्षर युक्त एक पत्र विभाग की ओर से 09 मार्च को राज्य के तमाम सीएमओ को पत्र भेजा गया, जिसमें आवेदन आमन्त्रित करने के विषय में जानकारी दी गई। स्वास्थ्य विभाग की यह चूक सामने भी न आ पाती लेकिन विभाग की ओर से जारी पत्र जब कई सीएमओ आॅफिसों में आवेदन की अंतिम तिथि 15 मार्च 2017 के बाद पहुंचा तो इस मामले को लेकर आवाज उठनी शुरू हुई। जिसके बाद यूथ आइकाॅन ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो पता चला कि विभागीय लापरवाही/लिपकीय लापरवाही के कारण स्वास्थ्य विभाग और डीजी हैल्थ की फजीहत हुई।
 
डीजी साहब जरा संभलकर?
भले ही डीजी हैल्थ डाॅ डीएस रावत पूरे मामले में विभागीय गलती को स्वीकार कर जांच की बात कह रहे हों और विभागीय छवि को धूमिल करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कह रहों हों लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि विभाग ने जो पत्र जारी किया है उस पर हस्ताक्षर डीजी हैल्थ के हैं और अगर इसी तरह डीजी साहब के मातहत उनको बिना पूर्ण जानकारी देकर फाइलें साइन कराते रहे तो फिर क्या होगा ? ऐसे में डीजी हैल्थ के विवेक पर भी सवाल उठना लाजमी है।
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By Editor