पर्यटन प्रदेश की सड़क । यह लिंक रोड नहीं बल्कि हाईवे है । प्रदेश मे हो रहे विकास यह ताजा तस्वीर है । जो नेताओं के दावों और वादों की पोल खोलने के लिए काफी है ।
शशि भूषण मैठाणी 'पारस' Youthicon Yi Report
शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Youthicon Yi Report

महामहीम के निर्देशों का भी पालन नहीं हो रहा है ।

15 मार्च की  सुबह साढ़े सात बजे देहरादून से चले थे । हरिद्वार, नजीबाबाद, कोटद्वार, पौड़ी, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली होते हुए कल रात के करीब  11 बजे  जोशीमठ पहुंचे साथ में  मित्र राकेश बिजल्वाण भी थे  ।

कोटद्वार से श्रीनगर तक का मोटरमार्ग  बहुत ही शानदार  हॉटमिक्स ब्लैक टॉप हुई थी, इस सड़क पर बहुत ही आराम दायक सफर रहा । श्रीनगर  आते ही नेशनल हाइवे 58 से सामना हो गया । अब यहां से सड़क पर पड़े गड्ढों से दो-चार होना पड़ा  । बताते चलें कि यह मार्ग बदरीनाथ एवं केदारनाथ धाम का मुख्य यात्रा मार्ग भी है ।

खस्ताहाल बदरीनाथ यात्रा मार्ग , NH 58
खस्ताहाल बदरीनाथ यात्रा मार्ग , NH 58

अब श्रीनगर से जोशीमठ तक के सफर में सड़क कम और गड्ढे ज्यादा दिखने लगे

पर्यटन प्रदेश की सड़क । यह लिंक रोड नहीं बल्कि हाईवे है । प्रदेश मे हो रहे विकास यह ताजा तस्वीर है । जो नेताओं के दावों और वादों की पोल खोलने के लिए काफी है ।
पर्यटन प्रदेश की सड़क । यह लिंक रोड नहीं बल्कि हाईवे है । प्रदेश मे हो रहे विकास यह ताजा तस्वीर है । जो नेताओं के दावों और वादों की पोल खोलने के लिए काफी है ।

या यूं कहें कि गड्ढों मे सड़क ढूंढनी पड़ी । खस्ताहाल नेशनल हाइवे के गड्ढों से अब जोड़-जोड़ दर्द से कराह गया । यह हाल है मुख्य बदरी – केदार सड़क मार्ग का जबकि इसी मार्ग से देश-विदेश के श्रद्धालुओं को अब चंद दिनों बाद यानी मई के पहले पखवाड़े से उत्तराखंड मे चारधाम यात्रा पर आने का न्योता भी दिया जा रहा है । यात्रा मार्गों पर कहीं भी ऐसा एहसास नहीं हो रहा है  जिससे कि यह उम्मीद जग सके  कि 9 मई से शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा के लिए यह मार्ग आरामदायक सफर का आनंद श्रद्धालुवों को करा सकेंगे । सबसे बुरा हाल तो जोशीमठ से बद्रीनाथ तक के यात्रा मार्ग का है । सवाल यह है कि आखिर जिम्मेदार विभाग पिछले 6 महीनों से क्या करता रहा । हालांकि राष्ट्रपति शासन लगते ही  राज्यपाल के के पॉल ने संबन्धित विभागों को सख्त निर्देश भी दिए हैं कि यात्रा आरंभ होने पहले ही मार्गों की स्थिति मे सुधार लाया जाय । वहीं बीआरओ ने भी महामहिम को पक्का भरोषा दिया है कि वह 9 मई से पहले सड़क स्थिति मे सुधार ले आएंगे । लेकिन वर्तमान जिम्मेदार विभाग की सुस्तचाल व खस्ताहाल सड़कों को देख तो यही कहा जा सकता है कि अधिकारियों पर राज्यपाल के निर्देशों का भी असर दूर-दूर तक देखने को नहीं मिल रहा है ।

दूसरी ओर लैंसडाउन से लेकर ज्वालपादेवी, पाटीसैण, पौड़ी, रुद्रप्रयाग , चमोली, बिरही (भीमतल्ला) तक 8 जगहों पर हाइवे से लगे जंगल धू-धू कर जल रहे थे ।  मजेदार बात कि इस बीच कहीं भी वन विभाग का एक गार्ड तक नजर नहीं आया, अधिकारी तो दूर की बात है । आग लगने का बड़ा कारण साफ़-साफ  पता चला रहा था कि यह आग या तो किसी ने शरारत से लगाई है,

चमोली में के पास बिरही भीमतल्ला मे धधकते जंगल ।
चमोली में के पास बिरही भीमतल्ला मे धधकते जंगल ।

या फिर ग्रामीण अपने मवेशियों के लिए  हरे घास उगाने के लालच में जंगलों को स्वाहा कर रहे हैं । और कुछ स्थानों पर जब हमने ग्रामीणो से आग लगने के कारण को जानना चाहा तो अधिकांश का यह कहना था कि यह बहुत बड़ा खेल है,  जंगलों की आग कईयों के लिए वरदान साबित होती है…. !    कैसे ….. ?

स्थानीय लोगों ने आगे बताया कि,  ग्रामीण मवेशियों के लिए अच्छे घास के लालच मे , शिकारी शिकार के लालच मे तो जिम्मेदार विभाग वृक्षारोपण के मद मे हर साल आते करोड़ों के बजट को ठिकाने लगाने के चक्कर मे जंगलों मे आग-आग का खेल खेलते हैं ।

पूरे सफर मे देखा तो सुबह से रात तक जंगल धधक रहे थे, आसमान, नदी, घाटियां सब धुएँ से गुमसुम हैं, और बदहवास हुई चिड़ियों का शोर जगह सुनने को मिला । मानवीय संवेदनाओं को खो चुके लोगों मे से किसी को यह चिंता नहीं है कि आजकल जंगलों में चिड़ियों के बनाए घोसलों में नया

जंगलो मे लगी आग का असर जोशीमठ मे भी । यह दृश्य है जोशीमठ स्थित स्लीपिंग ब्यूटी माउन्ट का जिसको देखने पर्यटक दूर दूर से यहां पहुँचते हैं । लेकिन जबर्दस्त धुएँ के कारण आसपास की सारी खूबसूरत चोटियाँ ढकी हुई हैं ।
जंगलो मे लगी आग का असर जोशीमठ मे भी ।
यह दृश्य है जोशीमठ स्थित स्लीपिंग ब्यूटी माउन्ट का जिसको देखने पर्यटक दूर दूर से यहां पहुँचते हैं । लेकिन जबर्दस्त धुएँ के कारण आसपास की सारी खूबसूरत चोटियाँ ढकी हुई हैं ।

जीवन पनप रहा है जो सब इस आग की भेंट चढ़ रहे हैं । सड़क के ऊपर जंगल आग से धधक रहे थे तो हाईवे से गुजर रहे वाहनों पर पत्थर और आग के गोलों की बारिश हो रही थी, रुद्रप्रयाग से पहले हमारी जान भी बहुत मुश्किल से बची है । और यह सब शासन, प्रशासन और प्रजा की साझा लापरवाही और निजी हितों की पूर्ति के लिए हो रहा है ।

बहरहाल यही कहूँगा कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राज्यपाल ने यात्रा मार्गो की दशा सुधारने व जंगलों में लगी आग को बुझाने के सम्बन्ध में सख्त तेवर दिखाए थे, लेकिन जो मैंने देखा उस लिहाज से तो यही कहूँगा कि महामहिम जी आपका आदेश भी माननीयों के आदेश की तरह ही कर्ता – धर्ताओं ने पचा लिया है । धरातल पर सब उल्टा – पुल्टा ही है ।

Shashi Bhushan Maithani Paras

By Editor

3 thoughts on “पर्यटन प्रदेश का हाईवे ! यह है विकास की ताजा स्थिति ,महामहीम के निर्देशों का भी पालन नहीं हो रहा है ।”
  1. हर साल यात्रा शुरू होती है तो नये नए दावे किये जाते हैं लेकिन स्थितियां जस की तस हैं।

  2. बड़े बड़े दावों की खुली पोल आम आदमी तो होता ही है परेशानी झेलने के लिए ये सड़क तो केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है केंद्र और राज्य की लड़ाई में पिसता आम आदमी

  3. Very well written Maithani ji. What you have said is absolutely true. We are the biggest enemies of our state and country. Unattended forest fires are a matter of great concern.

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