Good work should be appreciated : कठिन डगर पर सधे हुए कदमों से चलते त्रिवेन्द्र ! सरकार की सिर्फ आलोचना नहीं, अच्छे फैसलों की भी हो तारीफ । 

त्रिवेन्द्र सिंह रावत अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनके कार्यकाल में दो राष्ट्रपतियों ने चारधाम यात्रा की है। पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुर्खजी और अब वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। सभी ने यहां आकर देश और दुनिया को सुरक्षित चारधाम यात्रा का संदेश दिया। त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल को अभी महज 6 माह का समय हुआ है और इस दौरान उनके काम की तारीफ कम और आलोचनाएं ज्यादा हुई हैं। अगस्त महीने में तो सोशल मीडिया में एक ऐसा कोकस बना दिया गया कि मुख्यमंत्री बदले जा सकते हैं। सोशल मीडिया के इस कोकस पर विराम लगाया हाल ही में उत्तराखंड दौरे पर आये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने, यह कहकर कि त्रिवेन्द्र सरकार बेहत्तर काम कर रही है और अफवाहों पर ध्यान न दें।

अवधेश नौटियाल Awadhesh Nautiyal
Awadhesh  Nautiyal

सरकार चाहे केन्द्र की हो या राज्य की जब जनहित से जुड़े फैसले लेने में देरी करती है या फिर कुछ ऐसे फैसले लेती है, जिससे जनता का लाभ कम और पूंजीपतियों का लाभ ज्यादा होता दिखाई दे, तो मीडिया सरकार की आलोचना करता है और सरकार को आईना दिखाने का काम करता है। कभी-कभी मीडिया सरकार पर इतना हाबी हो जाता है कि सरकार को अपने फैसले भी बदलने पड़ते हैं। लेकिन जब सरकार अच्छा काम करती है और जनऊपयोगी फैसले लेकर प्रदेश के विकास के प्रति अपना इरादा जाहिर करती है तो आखिर क्यों पत्रकारों की कलम को सांप सूंघ जाता है। मेरा मानना है कि पत्रकार को सरकार के गलत कामकाज की आलोचना के साथ ही अच्छे कामकाज की भी खुले हृदय से तारीफ करनी चाहिए। आखिर पत्रकार ही तो जनता का चश्मा होता है। वह जिस तरह से खबर को जनता के सामने रखेगा जनता उसी प्रकार की विचारधारा अपनी सरकार के प्रति बनायेगी। इस लिए अगर सरकार अच्छा काम करती है तो वह भी और अगर गलत काम करती है तो वह भी जनता के सामने जाना चाहिए।
उत्तराखंड की जनता ने जिस जानदार-शानदार तरीके से भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में बहुमत दिलाया था, उससे बीजेपी और खासकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के ऊपर अपेक्षाओं का बोझ बढ़ गया था। बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान बदहाल उत्तराखंड को बड़ा मुद्दा बनाया था। पद्भार ग्रहण करने के बाद त्रिवेन्द्र सरकार की सुस्त रफ्तार की काफी आलोचनाएं हुई। मीडिया उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और त्रिवेन्द्र रावत की कार्यशैली की तुलना करने लगा, और योगी के मुकाबले त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सुस्त करार देने लगा। लेकिन मीडिया की बातों पर ध्यान न देकर त्रिवेन्द्र सिंह रावत धीमे मगर सधे हुए कदमों से चलते रहे। राज्य की आर्थिक स्थित और तमाम जन उपयोगी योजनाओं के लिए बजट की व्यवस्था बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से लेकर केन्द्र के हर मंत्री से मिलते रहे। जिसका असर दिखाई भी देने लगा है। केन्द्र ने उत्तराखंड से जुड़ी कई योजनाओं के लिए करोड़ों का फंड मंजूर भी किया है। यही नहीं देश और दुनिया में चारधाम सुरक्षित और सुखद यात्रा का संदेश जा इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक को चारधाम यात्रा का निमत्रंण देकर देवभूमि उत्तराखंड लेकर आये। त्रिवेन्द्र सिंह रावत अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनके कार्यकाल में दो राष्ट्रपतियों ने चारधाम यात्रा की है। पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुर्खजी और अब वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। सभी ने यहां आकर देश और दुनिया को सुरक्षित चारधाम यात्रा का संदेश दिया। त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल को अभी महज 6 माह का समय हुआ है और इस दौरान उनके काम की तारीफ कम और आलोचनाएं ज्यादा हुई हैं। अगस्त महीने में तो सोशल मीडिया में एक ऐसा कोकस बना दिया गया कि मुख्यमंत्री बदले जा सकते हैं। सोशल मीडिया के इस कोकस पर विराम लगाया हाल ही में उत्तराखंड दौरे पर आये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने, यह कहकर कि त्रिवेन्द्र सरकार बेहत्तर काम कर रही है और अफवाहों पर ध्यान न दें।
खैर, किसी भी सरकार के कामकाज की समीक्षा के लिये 06 माह का समय काफी छोटा होता है, इस लिये त्रिवेन्द्र सरकार को भी इसका फायदा मिलना चाहिए। भले ही नई सरकार के गठन के बाद भी उत्तराखंड में हालात बहुत ज्यादा नहीं बदले हों, लेकिन जनता का त्रिवेन्द्र सरकार पर विश्वास बना हुआ है। सीएम त्रिवेन्द्र पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम कर रहे हैं और सबको यही उम्मीद है कि देर-सवेर त्रिवेन्द्र रावत की मेहनत रंग लायेगी। परंतु इसके लिए मुख्यमंत्री को सरकारी मशीनरी के पेंच और टाइट करने होंगे।

नरेन्द्र मोदी देश के तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री जिन्होने बतौर पीएम बाबा केदारनाथ के दर्शन किए हैं । PM Modi in kedarnath 1

6 माह के कार्यों का लब्बोलुआब यह है कि त्रिवेन्द्र सरकार को दोधारी तलवार पर चलते हुए उत्तराखंड को पटरी में लाने के लिये कड़ी मशक्कत करनी होगी। एक तरफ प्रदेश का विकास करना होगा दूसरी तरफ विरोधियों के मंसूबों पर भी पानी फेरना होगा, जो त्रिवेन्द्र सरकार को बदनाम करने और अपने हित साधने के लिये किसी भी हद तक जाने को तैयार नजर आ रहे हैं। 2019 तक त्रिवेन्द्र सरकार के फैसले धरातल पर नहीं बदले और उत्तराखंड के हालात नहीं बदले जिनको बदलने का दावा भाजपा ने किया था तो लोकसभा चुनाव पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

फैसलों पर सवाल तो उठते रहते ही हैं आज बात त्रिवेन्द्र सरकार के कुछ जनहित से जुड़े फैसलों की जिनकी बात और प्रचार-प्रसार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से लेकर उनका पूरा मंत्रिमंडल और भाजपा कर रही है।

जनता से सीधा संवाद करते सीएम

मुख्यमंत्री जनता से स्वयं सीधा संवाद स्थापित कर रहे हैं, इसके लिए आधुनिक तकनीक का भी पूरा उपयोग कर रहे है। आज फेसबुक, टिव्टर जैसे सोशल मीडिया सबसे सरल माध्यम है, जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी समस्या सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकता है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को भी स्पष्ट निर्देश दिये हंै कि आम जनता से सीधा संवाद कायम किया जाय, जन समस्याओं का त्वरित निस्तारण किया जाय।

समाधान पोर्टल की सार्थक पहल

राज्य सरकार ने आम जनता की समस्याओं का शीघ्र समाधान हो, इसके लिए समाधान पोर्टल को और अधिक प्रभावी बनाया गया है। समाधान पोर्टल के साथ ही शिकायत दर्ज कराने के लिये टोल फ्री नम्बर 1905 हेल्पलाइन की व्यवस्था की गई है तथा आई.वी.आर.एस. के माध्यम से स्थानीय बोलियों में भी शिकायतें दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

ब्लॉक स्तर तक बायोमैट्रिक हाजिरी

ब्लॉक स्तर तक बायोमैट्रिक हाजिरी शुरू कर दी गई है। विभिन्न अनियमित्ताओं की त्वरित जांच हेतु एस.आई.टी. का गठन किया गया है। सीएम डेशबोर्ड जैसी अभिनव पहल शुरू की गई है। इसके माध्यम से विभागों से संबंधित जानकारी उपलब्ध होगी, जिस पर सीधा नियंत्रण मुख्यमंत्री कार्यालय का होगा। सेवा के अधिकार अधिनियम को और अधिक सशक्त बनाया गया है, इसके दायरे में अन्य आवश्यक सेवाओं को शामिल कर 150 सेवाओं की सूची तैयार की गई है।

2019 तक हर घर में बिजली का लक्ष्य

पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अन्तर्गत शेष 63 ग्रामों का विद्युतीकरण दिसम्बर, 2017 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। समस्त परिवारों को 2019 तक विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य है। बिजली चोरी रोकने के लिये ओवरहेड एल.टी. लाइनों को एल.टी.ए.वी. केबल प्रयोग करने का निर्णय लिया गया है। 05 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं को राज्य के स्थायी निवासियों हेतु आरक्षित किया गया है। उजाला एल.ई.डी. योजना के तहत 39 लाख एल.ई.डी. बल्ब वितरित कर दिए गये हैं। मार्च 2018 तक 100 लाख एल.ई.डी. बल्ब वितरण का लक्ष्य रखा गया है। सरकारी दफ्तरों में एल.ई.डी. का उपयोग अनिवार्य किया गया है।

शौच मुक्त होने वाला देश का चैथा राज्य

उत्तराखण्ड का ग्रामीण क्षेत्र खुले में शौच मुक्त होने वाला देश का चैथा राज्य बना है। राज्य में स्वच्छता अभियान को भारत सरकार का बैस्ट प्रैक्टिसेज दर्जा मिला है। शहरी स्वच्छता कार्यक्रम के लिए मार्च, 2018 तक सभी 92 शहरी निकायों को ओ.डी.एफ. बनाने का लक्ष्य पूरा करने का दायित्व जिलाधिकारियों को दिया गया है।

बेराजगारों को रोजगार, किसानों को लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और अन्य राजस्व कार्यों हेतु 1000 पटवारी भर्ती करने का निर्णय लिया गया है। पर्वतीय चकबंदी कार्य के लिए अधिनियम और नियमावली के लिए कृषि मंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के स्वयं के गाँव से चकबंदी आरम्भ करने का निर्णय लिया गया है। लघु एवं सीमांत कृषकों को 01 लाख रूपये तक ऋण मात्र 2 प्रतिशत ब्याज पर दिया जाएगा। हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर, पशुपालन, जड़ी-बूटी सगन्ध पादप, डेरी, फिशरीज, मशरूम में क्लस्टरों को विकसित किया जा रहा है। निवेश के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम लागू किया गया है। 1325 करोड़ रुपये धनराशि के निवेश प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है, जिसमें 5000 युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

डॉक्टरों की पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती

वर्षों से मैदानी जनपदों में तैनात डॉक्टरों की पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती सुनिश्चित की गयी है। प्रदेश में सेना के 70 सेवानिवृत्त डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी। राज्य में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी को देखते हुए टेलीमेडिसिन और टेली रेडियोलॉजी की व्यवस्था का निर्णय लिया गया है। उत्तराखण्ड में 100 जन औषधि केंद्र खोले जायेंगे। राज्य के 6 अस्पतालों में आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन सुविधा का लक्ष्य रखा गया है।

13 डिस्ट्रिक्ट- 13 न्यू डेस्टिनेशन्स

प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाने के लिए ’13 डिस्ट्रिक्ट-13 न्यू डेस्टिनेशन्स‘ के अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में कम से कम एक नये पर्यटन स्थल का विकास किया जाएगा। खरसाली-यमुनोत्री रोप-वे, गोविन्दघाट-घाघरिया रोप-वे व गुच्चुपानी-मसूरी रोप-वे का निर्माण किया जाएगा। प्रदेश में हॉस्पिटेलिटी यूनिवर्सिटी की स्थापना का निर्णय लिया गया है। कुमांऊ एवं गढ़वाल मण्डल विकास निगमों का विलय किया जाएगा। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एडवेंचर टूरिज्म, होम स्टे व ‘एपिक सर्किट’ विकसित करने पर विशेष फोकस किया जा रहा है।

2018 राष्ट्रीय खेलों की तैयारी

प्रदेश में वर्ष 2018 में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय खेलों के आयोजन हेतु तेजी से कार्य कराए जा रहे हैं। खिलाड़ियों को प्रतिदिन डाइट हेतु रूपये 250 देने का निर्णय लिया गया है। नेशनल गेम्स में अधिक पदक जीतने के उद्देश्य से 12 खेलों का चयन किया गया है।

जल स्रोतों के संरक्षण-संवर्द्धन की पहल

नेशनल रूलर ड्रिकिंग वाटर प्रोग्राम के अन्तर्गत 12 करोड़ रूपये का उपयोग जल स्रोतों के संरक्षण-संवर्द्धन हेतु किया गया। पर्वतीय क्षेत्रों की छोटी नदियों तथा गाड़-गदेरों पर छोटे-छोटे बांध, जलाशय बनाकर जलसंग्रह किया जा रहा है। नदियों को पुनर्जीवित करने लिये जिलों को लक्ष्य दिए गये हैं।

एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें लागू करने का निर्णय

10 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को एकीकृत करने के साथ ही सभी विद्यालयों में एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें लागू करने का निर्णय लिया गया है। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में छात्रों को मध्याह्न भोजन हेतु केन्द्रीयकृत किचन योजना आरम्भ की गई है। कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों का शैक्षिक कैलेण्डर लागू किया गया है। परीक्षा परिणाम के 30 दिन के भीतर शिक्षण कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया है। कॉलेजों ई-लाईब्रेरी की स्थापना की जाएगी। 100 रिसर्च स्कालरों को स्कॉलरशिप देने का निर्णय लिया गया है। काॅलेजों में 800 प्राचार्यों की भर्ती की जाएगी। सरकारी संस्थानों में ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय लिया गया है।

फरियादियों की समस्याओं को सुनते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत
फरियादियों की समस्याओं को सुनते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत

चारधाम आॅल वेदर रोड़

चारधाम आॅल वेदर रोड के भूमि अधिग्रहण, वन भूमि हस्तांतरण और मुआवजा वितरण काम के लिये सरकार ने 30 सितम्बर, 2017 की डेडलाइन तय की है। 250 से कम आबादी के 889 गांवों के लिए सड़क हेतु विश्व बैंक की न्यू फंडिंग में काम प्रस्तावित किया जा रहा है। जिन सड़कों में 75 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका हो, उन्हें प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा। हल्द्वानी, रूद्रपुर, हरिद्वार एवं देहरादून में रिंग रोड का निर्माण किया जाएगा।

’गौ-धाम‘ व आयुष-योग ग्राम की स्थापना

प्रत्येक जनपद में कम से कम एक आयुषध्योग ग्राम की स्थापना की जाएगी। राज्य में दो महिला सहकारी बैंक शाखाएं प्रारम्भ की गई हैं। प्रदेश में ’गौ-धाम‘ की स्थापना की जाएगी। स्थानीय नस्ल की बद्री गाय की दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि का लक्ष्य रखा गया हैं। उत्तराखण्ड को आर्गेनिक हर्बल स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की पहल
प्रदेश में ’उत्तराखंड की बेटियां’ सम्मान समारोह, नव विवाहित जोड़ों से बेटी बचाओ शपथ पत्र हस्ताक्षर कार्यक्रम, बेटी जन्मोत्सव एवं गोद भराई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर ’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का व्यापक प्रचार किया जा रहा है। कुपोषण से मुक्ति हेतु वृहद स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। टेक होम राशन की आपूर्ति महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से करायी जाएगी।

5904 देवभूमि जन सेवा केंद्रों की स्थापना

’डिजिटल इंडिया’ को साकार करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। राज्य में सभी ग्राम पंचायतों में जन्म-मृत्यु पंजीकरण व परिवार रजिस्टर पंजीकरण की ऑनलाइन सुविधा प्रदान की गई है। राज्य में 5904 देवभूमि जन सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनसे ई-डिस्ट्रिक्ट की 14 सेवाएं जुड़ी हैं। पी.एम.जी.डी.आई.एस.एच.ए. के तहत 32000 को ट्रेनिंग दी गई है। पंचायत स्तर पर भीम एप्प के प्रचार के लिए शिविर लगाये गये। ग्रामीण क्षेत्रों में 900 वित्तीय साक्षरता शिविरों का आयोजन किया जा चुुका है। हल्द्वानी, हरिद्वार व देहरादून में डिजिधन मेले आयोजित किए गये।

पाॅवर सेक्टर विकास के लिए 819.20 करोड़ का ऋण

केन्द्र सरकार द्वारा राज्य में पाॅवर सेक्टर के विकास के लिए ए.डी.बी. से मिलने वाले 819.20 करोड़ रूपये के ऋण के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे राज्य में नई ट्रांसमिशन लाईन के साथ ही नए सब स्टेशन स्थापित होंगे। साथ ही पुराने सब स्टेशनों की क्षमता में वृद्धि होगी। यह धनराशि ऊर्जा विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर सिद्ध होगी। राज्य को मिलने वाली इस धनराशि से समयबद्ध रूप से 173.5 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाएं पूरी होगी।

22 सड़कों को राष्ट्रीय हाईवे बनाने की सहमति

देहरादून, हल्द्वानी एवं हरिद्वार को जल्द नई रिंग रोड मिलेगी, इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है। गढ़वाल एवं कुमाऊं की कनैक्टिविटी के लिए कंडी मार्ग को खोलने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इसके लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर प्रभावी पहल की जा रही है। भारत सरकार से 22 सड़कों को राष्ट्रीय हाईवे बनाने के लिए भी सहमति मिल चुकी है। इससे राज्य की सड़कों के निर्माण और मरम्मत कार्य में सहायता मिलेगी।

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