Youth icon Yi National Creative Media Report
Youth icon Yi National Creative Media Report

Cause Of Fire ! ओहो …! तो इसलिए जलाए गए जंगल !

आग लगाने का प्लान मार्च मे ही तय हो गया था ..?

Pankaj mandoli , Srinagar , Yi Report
Pankaj mandoli , Srinagar , Yi Report

उत्तराखण्ड के जंगलों मे आग का लगना कोई नई बात नहीं है । यह हर वर्ष लगती है और लगती भी रहेगी । लेकिन  असल मुद्दा तो यह है कि, इस साल की आग इतनी भयानक कैसे हो गयी  ?  कोई भी इस विषय पर सोच विचार या चर्चा करता हुआ नहीं दिखाई दे  रहा है ।

जंगलों में लगी आग को काबू करने कोशिस करते लोग ।
जंगलों में लगी आग को काबू करने कोशिस करते लोग ।

हद तो तब हो गई है जब जिम्मेदार विभाग आग लगाने के जुर्म मे पहाड़ी काश्तकार महिलाओं व पुरुषों को पकड़ कर एक तरफा कार्यवाही कर रहा है । इस तरह की कार्यवाही से पहाड़वासियों मेँ गुस्सा भी पनपने लगा है ।

वर्तमान हालात देख स्थानीय लोगों का ध्यान अब से तीन महीने पहले यानी कि जनवरी और फरवरी माह की मीडिया कबरेज पर जाना भी स्वाभाविक ही है ।  अगर तबके समाचार पत्रों मे छपी खबरों को आधार माना जाय तो वह रिपोर्ट्स कुछ और ही इसारा करते हुए कई संगीन सवाल भी खड़े करती हैं ।

दरअसल  पहाड के जिन जंगलो में सबसे अधिक आग लगी है, उन स्थानो से बिजली की बडी लाईने (high tension line) गुजरनी थी, और उन स्थानों से लाईन बिछाने के नाम पर मानको से अधिक पेड़ काटे गये थे । जिसका तब खूब विरोध भी हुआ था । अगर सूत्रों की माने तो यह सारा खेल अधिकारियों की सह पर वन माफियाओ ने खेला है । और अब जांच से बचने के लिए

ग्रामिणों महिलाओ व पुरुषों को सम्मानित करने का प्रविधान भी बने जो बीते अप्रैल माह भर से जंगलों मे आग बुझाने के काम में जुटे हैं । फोटो मे - घाट ब्लाक के बंगाली गाँव की महिलाएं जो दिन रात जंगलों में फैली आग को बुझाने में जुटी रहती हैं ।
ग्रामिणों महिलाओ व पुरुषों को सम्मानित करने का प्रविधान भी बने जो बीते अप्रैल माह भर से जंगलों मे आग बुझाने के काम में जुटे हैं । फोटो मे – घाट ब्लाक के बंगाली गाँव की महिलाएं जो दिन रात जंगलों में फैली आग को बुझाने में जुटी रहती हैं ।

विभाग और लकडी माफियाओ की साँठ गांठ पर उन जंगलो को आग के हवाले कर दिया ।

सूत्रों से मालूम हुआ है कि इस योजना की रूपरेखा मार्च मे ही तय हो गयी थी, इस बात की तसदीक जलने वाले जंगल व इन जंगलो से गुजरने वाली लाईने भी करती है । क्योंकि इस वर्ष जनवरी एवं फरवरी माह मे जब ये जंगल काटे जा रहे थे तो तब स्थानीय समाचार पत्रों एवं न्यूज चैनलो ने अवैध रूप से काटे जा रहे पेड़ों की खबरे भी खूब चलाई थी ।

तब कोटद्वार मे जंगलो के अवैध रूप से काटे जाने की शिकायत डीएफओ तक भी पहुंची थी दूसरी ओर  पौडी जनपद के खिर्सू ब्लाक में भी  जिन जंगलो मे सबसे अधिक आग लगी है वहां भी कुछ माह पूर्व जंगलो में पेडो पर रात के अंधेरे मे खूब आरियाँ चलने की खबरें  भी पहाड़ो में आम थी । लेकिन ताज्जुब कि किसी ने भी इस घटना का संज्ञान नहीं लिया ।

सूत्रो का कहना  कि अधिक पेड काटे जाने की जांच की आंच से बचने के लिए ही इन क्षेत्रों को आग के हवाले किया गया जो बाद में विकराल रूप धर एक जिले की सीमावों से बेकाबू होकर अन्य ईलाकों तक पहुँच गई ।

दूसरी ओर जंगलो से सटे गांवो के ग्रामीणों ने भी स्वीकारा है कि भले ही  अधिक घास की उपज के लिए ग्रामीण भी आसपास के क्षेत्रों में आग लगाते हैं, लेकिन उससे पहले पूरे जंगल की सीमाओं को ग्रामीण सामूहिक रूप से घास की लाईन काटते हैं जिससे आग एक निश्चित घेरे से बाहर जाती ही नहीं है ।  फिर ग्रामीण एक सिरे से आग लगाकर उसे बुझा भी देते हैं । और यह हर साल होता है जो  पूर्व से होता चला आ रहा है । ग्रामीणो का भी मानना है कि इस बार  की आग किसी बड़ी साजिश का हिस्सा ही लगता है ।

एक ओर अब,  जब पहाड़ के अधिकांश जंगल जल कर राख हो गए तब पूरा अमला इस आग से निपटने के लिए लगा हुवा है । अगर सहीं मे प्रशासन पहाडो के जंगलो के लिए गंभीर एवं संवेदनशील था तो यह कदम समय रहते क्यों नहीं उठाया गया ?  अगर राज्य सरकार गम्भीर है तो वह शीघ्र ही इसकी जांच करवाए और फिर दोषी पाए जाने पर स्थानीय लोग, वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी हो या फिर लकड़ी माफिया चिन्हितों को कठोर से कठोर सजा दी जाय एवं उन ग्रामिणों महिलाओ व पुरुषों को  सम्मानित करने का प्रविधान भी बने जो बीते अप्रैल माह भर से जंगलों मे आग बुझाने के काम में जुटे हैं ।

 Youth icon Yi National Creative Media Report ,  03.05.2016

By Editor

One thought on “Cause Of Fire ! ओहो …! तो इसलिए जलाए गए जंगल !”
  1. उत्तराखंड में अब भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंच गया है
    माफिया और नेता वर्ग तो पहले ही से इस प्रदेश को खोखला कर रहा था पर अब तो अधिकारी भी खुलेआम इस लूट में शामिल हो गये है।
    हे प्रभु ….

Comments are closed.