सरकार मायने विश्वसनियता, सहारा, सुरक्षा, भरोसा लेकिन उत्तराखंड में इन सबके मायने आज सरकार नहीं है। आज भरोसे और विश्वसनियता के मायने हैं 'द हंस फाउंडेशन'। इधर सरकारें लगातार उत्तराखंड में जनता के बीच भरोसा खोती जा रही हैं, उधर माता मंगला देवी और भोले जी महाराज की संस्था पर आमजन का भरोसा मजबूत होता जा रहा है। आखिर क्यों न हो ? जहां सरकार 'आमजन' को सामाजिक , बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा देने में नाकाम है वहीं हंस फाउंडेशन बखूबी इन्हें अंजाम दे रहा है। शिक्षा व खेल क्षेत्र में मेधावियों को प्रोत्साहन हो या जरूरतमंद की आर्थिक मदद, कला- संस्कृति को बढ़ावा देने का सवाल हो या प्रदेश में जीवन स्तर सुधारने और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत करना। हर क्षेत्र में हंस फाउंडेशन आज सरकार से आगे है। आज हाल यह है कि सरकार भी हंस फाउंडेशन के भरोस है। किसी संस्था का प्रभाव इतनी तेजी से बढ़ना हालांकि कई सवालों और शंकाओं को भी जन्म देता है, लेकिन सच यह है कि हंस फाउंडेशन पर आम लोगों का भरोसा दिनों दिन बढ़ रहा है। हंस फाउंडेशन की स्थापना को अभी दस वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं, 2009 में स्थापित यह संस्था आज उत्तराखंड के लिये वरदान बनी हुई है। - योगेश भट्ट , संपादक दैनिक उत्तराखंड ।

Youth icon yi Media logoFreedom is a responsibility : आजादी जश्न ही नहीं, जिम्मेदारी भी है…! 

अतिथि संपादकीय । 

योगेश भट्ट , संपादक दैनिक उत्तराखंड ।
योगेश भट्ट , संपादक दैनिक उत्तराखंड ।

यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जादू ही तो है कि यहां एक साधारण राजनैतिक कार्यकर्ता भी देश का प्रधानमंत्री बन जाता है। निसंदेह यह उसी आजादी से संभव हो पाया है जो सत्तर साल पहले अनेक कुर्बानियों के बाद हमने हासिल की । इस देश ने हमें क्या नहीं दिया? आज देश में हमें अपने तरीके से जीने की आजादी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। आज जरूरत है इस आजादी की अहमियत को समझने की। आजादी का मतलब स्वच्छंदता या अराजकता कतई नहीं। यूं ही नहीं पायी गयी है यह आजादी। इसे हासिल करने के लिए देश ने और देश के तमाम महापुरुषों ने बड़ी कीमत चुकायी है। आज हमारे पास सपने हैं, तो आजादी के चलते हौसले और उन्हें पूरे करने के अवसर भी हैं। जरूरत थोड़ी सी जिम्मेदारी की है। आजादी को सिर्फ अवसर के तौर पर न लेकर जिम्मेदारी के तौर पर लिया जाए। देश ने हमेंimages क्या दिया इसके बजाय देश को हमने क्या दिया यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। आजादी के सत्तर सालों में देश के भीतर तमाम तरह की अराजकता, विसंगतियां जन्म ले चुकी हैं। सच्ची आजादी इन कुरीतियों और विसंगतियों का विरोध करना है। आजादी का हर जश्न तब तक अधूरा है जब तक देश का हर नागरिक देश के प्रति जिम्मेदार नहीं हो जाता। सच यह है कि देश से ऊपर कुछ नहीं। जो देश का नहीं हो सकता वो अपने राज्य और अपने शहर का भी नहीं हो सकता। इस आजादी की सार्थकता भी तभी है जब रचनात्मक व सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रगति पथ पर बढ़ा जाए। आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर उल्लास में है। होना भी चाहिए। यह इस देश की अस्मिता का पर्व है। यह उल्लास तो पूरे वर्ष भर होना चाहिए। सरकारी दफ्तरों में काम करते वक्त, कालेजों में पढ़ते वक्त, व्यवसाय करते वक्त, कला-संस्कृति खेल के क्षेत्र में कार्य करते वक्त। हर घड़ी हर वक्त इस आजादी की अहमियत देश के हर नागरिक के जेहन में होनी चाहिए। आएं, आजादी के इस पावन पर्व पर हम संकल्प लें कि हम देश की प्रगति में निष्ठापूर्वक अपना योगदान सुनिश्चित करेंगे। आजादी का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ करेंगे।

‘जय हिंद, जय भारत।’

By Editor