Kartvya_Karma Talla Gethiya Nainital पहाड़ की इन महिलाओं की मेहनत का बॉलीवुड कनैक्शन ! विदेशों से आ रहे है लोग इस गांव में । एक युवक की रचनात्मक सोच ने बदल दी गांव की तकदीर । gaurav agrawal । गौरव अग्रवाल नैनीताल shashi bhushan maithani paras शशि भूषण मैठाणी पारसKartvya_Karma Talla Gethiya Nainital पहाड़ की इन महिलाओं की मेहनत का बॉलीवुड कनैक्शन ! विदेशों से आ रहे है लोग इस गांव में । एक युवक की रचनात्मक सोच ने बदल दी गांव की तकदीर । gaurav agrawal । गौरव अग्रवाल नैनीताल shashi bhushan maithani paras शशि भूषण मैठाणी पारस

Youth icon yi media logo . Youth icon media . Shashi bhushan maithani paras

पहाड़ की इन महिलाओं की मेहनत का बॉलीवुड कनैक्शन ! विदेशों से आ रहे है लोग इस गांव में ।

एक युवक की रचनात्मक सोच ने बदल दी गांव की तकदीर ।

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शशि भूषण मैठाणी पारस

मैं समय – समय पर अपने विशेष अभियान के तहत देशभर के कुछ खास चुनिंदा युवाओं की प्रेरणादायक स्टोरी अपने ब्लॉग के मार्फ़त अपने पाठकों के सामने लाता रहता हूँ, और वही यूथ आइकॉन का मकसद भी है । यूथ आइकॉन का अपना विशेष अभियान है ऊर्जावान व प्रतिभाशाली युवाओं की तलाश करना, उनके कार्यों को समाज के सामने रखना, प्रोत्साहित करना व फिर अपने राष्ट्रीय अभियान के तहत उन्हें यूथ आइकॉन के नेशनल अवार्ड सेरेमनी के मंच पर लाकर सम्मानित करना ।

इसी क्रम में, मैं आज आप सबके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ उत्तराखंड के एक ऐसे होनहार युवा को जिसकी रचनात्मक सोच, मेहनत, लगन व समाज में खासकर महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ खास कर गुजरने जिद्द ने उसे एक रोड मॉडल बना दिया है । हालाँकि यह युवक कभी भी खुद को श्रेय देने से बचता है । प्राप्त सफलता को यह अपनी नहीं बल्कि परिवार की सामूहिक मेहनत व लगन का फल बताता है ।

Kartvya_Karma Talla Gethiya Nainital पहाड़ की इन महिलाओं की मेहनत का बॉलीवुड कनैक्शन ! विदेशों से आ रहे है लोग इस गांव में । एक युवक की रचनात्मक सोच ने बदल दी गांव की तकदीर । gaurav agrawal । गौरव अग्रवाल नैनीताल shashi bhushan maithani paras शशि भूषण मैठाणी पारस
गौरव अग्रवाल नैनीताल 

आइए अब आपका परिचय कराता हूँ उस प्रतिभाशाली युवक से जिसका नाम है गौरव अग्रवाल । गौरव जिसे अपना परिवार मानता है वह उसकी संस्था “कर्तव्य कर्मा” है ।  इस संस्था में दर्जनों महिलाओं को गौरव ने अपने साथ जोड़ा है । गौरव का उद्देश्य मात्र इतना है कि महिलाओं को उनकी रचनात्मकता के बूते स्वावलंबी बनाया जाए । और देखते ही देखते गौरव की सोच धीरे-धीरे जमीन पर मूर्त रूप लेने लगी,  जिसके फकस्वरूप उत्तराखंड में कुमायूं मण्डल के नैनीताल से सटा तल्ला गेठिया गांव का नाम आज देश विदेश में अपनी विशेष रचनात्मकता के रूप में पहचान स्थापित कर चुका है ।

◆ देश विदेश में उत्तराखंड की नई पहचान फैबरिक ज्वैलरी के रूप में :
 

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वैसे तो हैंडीक्राफ्ट में उत्तराखंड की कई ऐसी कलाएं हैं जिनका नाम दुनिया भर में मसहूर है, लेकिन “कर्तव्य कर्मा” संस्था की मुहिम धीरे-धीरे  अपना रंग जमाने लगी है। उत्तराखंड की कला और संस्कृति जो परंपरागत तरीके से आगे बढ़ती चली आ रही थी, उसमें तल्ला गेठिया गांव की महिलाओं का ये प्रयास एक नया अध्याय जोड़ चुका है। आज तल्ला गेठिया गांव की पहचान “फैबरिक ज्वैलरी ” बनाने वाले गांव के तौर पर बन चुकी है।

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कपड़े की ज्वैलरी हो या फिर राम झोला, कुशन कवर्स, कोस्टर्स, जूट बैग्स हों या फिर छोटे पर्स और पाउच, ये सभी प्रोडेक्ट बिल्कुल नए तरीके के हैं। यही नहीं ऐपण कला की स्टेशनरी भी इस गांव की शान बनती जा रही है। नैनीताल या उसके आस-पास घूमने आने वाले लोगों को जब ये पता चलता है कि यहीं पास में तल्ला गेठिया गांव में कपड़े की खूबसूरत ज्वैलरी बनाने का काम होता है तो देशी विदेशी पर्यटक दौड़े चले आते हैं। आज कारवां बढ़ते-बढ़ते 45 महिलाओं तक पहुंच चुका है। जिसमें रजनी देवी हैंडीक्राफ्ट ट्रेनर के तौर पर, नेहा आर्या ज्वैलरी एक्सपर्ट के तौर पर और पूजा और फिरोजा ज्वैलरी ट्रेनर के तौर पर संस्था में काम कर रही हैं।

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हालांकि यहां कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं लेकिन खास प्रोडक्ट है कपड़े की ज्वैलरी जो पूरी तरह से हैंडमेड है। यही नहीं इस ज्वैलरी की खास बात ये है कि ये पूरी तरह से अपसाइकल्ड और ईकोफ्रेंडली प्रोडक्ट है। और तो और इसे सावधानी से धोकर दोबारा पहना भी जा सकता है। ये ज्वैलरी काफी मनमोहक और आकर्षक हैं। सबसे खास बात ये है कि ज्वैलरी में जितने भी नए डिज़ाइन बाज़ार में आते हैं वो किसी डिज़ाइन आर्टिस्ट के द्वारा बताए हुए नहीं बल्कि महिलाओं के द्वारा ही बनाए हुए होते हैं। कहने का मतलब ये कि किसी भी ज्वैलरी के नए डिज़ाइन के बारे में पहले ये महिलाएं खुद सोचती हैं फिर उसे नई तरीके से बनाती हैं, और फिर उसे सबके राय मशविरा के बाद ही फाइनल करती हैं । फिर उसी को और बेहतर बनाने का काम किया जाता है। इतनी प्रक्रियाओं से गुज़रने के बाद ये ज्वैलरी बेहद आकर्षक बनती है, जो कि पर्यटकों को खूब भाती हैं ।

◆ विदेशों तक धूम मचा रहा है उत्तराखंड का ‘पहाड़ी हाट’ :  

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तल्ला गेठिया गांव की महिलाओं के प्रोडक्ट्स को विदेशी लोग काफी पसंद करते हैं। पायलट बाबा आश्रम में विदेशी सैलानियों का तांता लगा रहता है और वो गांव में इन महिलाओं के काम को देखने नीचे उतर आते हैं । फिर खरीददारी भी करते हैं। महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे इन प्रोडक्टस् को ‘पहाड़ी हाट’ नाम से बाज़ार में लॉन्च भी किया गया है। मुंबई, पुणे, फरीदाबाद और गुड़गांव में पहाड़ी हाट के कुछ प्रोडेक्ट्स लगातार जाते हैं। यही नहीं मेले और एक्ज़ीबीशन में भी पहाड़ी हाट के प्रोडेक्ट्स की काफी धूम रहती है। हाल ही में कनाडा की एक पार्टी ने भी पहाड़ी हाट से ज्वैलरी लेने का मन बनाया है , जिस पर बात फिलहाल जारी है। इन हुनरमंद महिलाओं का काम इतना साफ और सराहनीय है कि न्यूयॉर्क की वेडिंगप्लानर की कंपनी के प्रतिनिधि ने भी कर्तव्य कर्मा के सेंटर पर आकर इन महिलाओं द्वारा बनाई जा रही कपड़े की ज्वैलरी वगैरह की जानकारी ली।

दिसंबर में खुद इस कंपनी की मालकिन सेंटर पर विज़िट करने का प्लान बना रही हैं। इसके अलावा महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे ये प्रोडक्ट्स महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा भी मान्य हो चुके हैं। इन प्रोडेक्ट्स को इसी मंत्रालय की सरकारी वेबसाइट महिला ई हाट पर प्रदर्शित भी किया गया है।

◆ बॉलिवुड तक पहुंची पहचान, फ़िल्म सुई – धागे से जुड़ गई गांव की कहानी । अभिनेता वरुण धवन ने ट्वीट कर दी बधाई :

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कर्तव्य कर्मा की महिलाओं का काम ऐसा है जिसके चर्चे बॉलिवुड के स्टार एक्टर्स भी करने लगे हैं। तल्ला गेठिया गांव में बन रही कपड़े की ज्वैलरी फिल्म एक्टर वरुण धवन को भी लुभा गई। दरअसल हाल ही में वरुण धवन और अनुष्का शर्मा की फिल्म सुई-धागा रिलीज़ हुई थी जिसमें एक वरुण धवन और अनुष्का शर्मा के संघर्ष की कहानी को पर्दे पर उतारा गया था। फिल्म में दोनों एक्टर्स ने अपने काम को अपनी पहचान बनाते हुए दुनिया भर में अपना परचम लहराया था। इसी सपने को हमारे गांव की महिलाएं भी साकार करने में जुटी हैं। फिल्म सुई-धागा जैसी कहानी हमारी गांव की महिलाओं की भी है जो सुई-धागे का काम करते हुए काफी पहचान हासिल कर चुकी हैं। जब यही बात ट्विवटर के ज़रिए वरुण धवन को बताई गई कि हमारी कहानी भी आपकी फिल्म सुई – धागे से मिलती है तो उन्होंने भी हमें ना सिर्फ बधाई दी बल्कि ट्विटर पर टैग करके लिखा कि मैं उम्मीद करता हूं कि आपकी कहानी के पात्र भी फिल्म सुई-धागे की कहानी से ज़रुर मेल खाएंगे। वरुण धवन के इस ट्वीट ने तो कर्तव्य कर्मा संस्था और गांव की पहचान को बॉलिवुड तक पहुंचा दिया। मीडिया में इस बात के चर्चे होने लगे कि फिल्म सुई-धागे की कहानी नैनीताल जिले के एक गांव तल्ला गेठिया में काम करने वाली महिलाओं से मिलती है। फिर क्या, गांव की महिलाओं को दूर-दूर से बधाई संदेश आने लगे, लोगों ने हमारे काम को खूब सराहा और ये भी कहा कि हम भी आपके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। ये ऐसा बदलवा था जिसने इस गांव की किस्मत में चार चांद लगा दिए थे।

◆ देश के बड़े – बड़े संस्थानों के छात्र-छात्राएं इस गांव में आकर कर रहे हैं रिसर्च :

हिंदुस्तान बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले बच्चे भी उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल के छोटे से गांव में हो रहे काम पर रिसर्च करने को आने को तैयार हैं। गांधीनगर स्थित धीरू भाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्राफ्ट एंड डिज़ाइन, जयपुर के बच्चे यहां एनजीओ में इंटर्नशिप करने के लिए अपना मन बना चुके हैं। यही नहीं निफ्ट रायबरेली जैसे संस्थान के बच्चे भी हमारे एनजीओ के साथ मिलकर काम करने का मन बनाते हैं। उन्हें महिलाओं के हाथ से बनी ज्वैलरी और उसके डिज़ाइन्स बेहद पंसद आते हैं।

◆ बिना सरकारी मदद के हो रहा है काम, बढ़ रहा है प्रदेश का नाम :

ताज्जुब की बात ये है कि “कर्तव्य कर्मा” संस्था के संस्थापक गौरव अग्रवाल अब तक बिना किसी सरकारी मदद के ही ये सारा काम आगे बढ़ाते चले जा रहे हैं । गौरव एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं लेकिन फिर भी वो बिना किसी मदद के लगातार आगे बढ़ रहे हैं। इतने सालों से वो अपनी कमाई का ही पैसा लगाकर गांव की महिलाओं का उत्थान करने में लगे हैं। ऐसा नहीं कि सरकारी मदद के लिए कभी सोचा नहीं गया, लेकिन कागज़ी कार्रवाई और दौड़भाग में अगर उलझते तो जिस मुकाम पर आज खड़े हैं वो कभी हासिल नहीं हो पाता।

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Gaurav Agrawal ।

गौरव बताते हैं कि इस तरह का सामाजिक काम दो तरह से होता है। पहला, आप सरकारी मदद लेकर काम को आगे बढ़ाओ और दूसरा, कि अपने काम को इतना बड़ा कर लो कि मदद के लिए खुद लोगों के हाथ आगे बढने लगे। गौरव दूसरे वाले तरीके पर ज्यादा विश्वास करते हैं लिहाज़ा बस इंतज़ार अब उसी का है कि कोई मदद के लिए हाथ आगे आए और महिला उत्थान के लिए चल रही इस मुहिम और भी ताकत मिले। हालांकि कई बार बीच में आर्थिक बाधाओं के चलते काम रुकते-रुकते भी बचा है लेकिन फिर भी गौरव लगातार अपने मिशन में बिना किसी लोभ लालच के जुटे हुए हैं। गौरव कहते हैं – ईश्वर में आस्था है तो उलझनों में ही रास्ता है ।

◆ सिर्फ सोच नहीं, परिवार भी है कर्तव्य कर्मा :

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रचनात्मक सोच के युवक  गौरव अग्रवाल से एक मुलाकात । 

“कर्तव्य कर्मा” मिशन है कि युवाओं को अपने कर्तव्यों और कर्मों पर भरोसा रखने का हौसला बढ़ाने का । खुद पर विश्वास और अपने कर्मों में आस्था रखने की सोच को लेकर कर्तव्य कर्मा संस्था का अनावरण हुआ था । लेकिन ये अब सिर्फ सोच नहीं है बल्कि ये “कर्तव्य कर्मा परिवार” की हर व्यक्ति की सोच का हिस्सा है लिहाज़ा यहां ना कोई संस्थापक है, ना कोई काम करने वाले.. यहां सिर्फ एक परिवार है । जिसका नाम कर्तव्य कर्मा है। इसी सोच ने लोगों में वो भरोसा भर दिया है जिससे, ये सारी महिलाएं आज दुनिया के सामने सिर उठाकर चलने का भरोसा रखती हैं। कोई भी नया सदस्य भी जब इस परिवार के साथ जुड़ता है तो वो भी इसी सोच से आगे काम करता है जिसमें ये विश्वास जगता है कि वो दुनिया का ऐसा काम करने का माद्दा रखता है जो बहुत कम लोग कर पाते हैं ।

Script :  Shashi Bhushan Maithani Paras

 

By Editor