आस्था और पर्यावरण के बीच गन्दगी का अंबार ! सिखों के धाम हेमकुंड में । ◆ क्या नई पीढ़ी के सिख श्रद्धालुओं में कम हो रही है आस्था ! ◆ सिख धर्म में साफ सफाई का रखा जाता है विशेष ख़याल, यहां कर गए गन्दा ।  ◆हेमकुंड साहिब में ये क्या कर गए भक्त ! ◆आस्था के पहाड़ पर लगाया गंदगी का अंबार ।आस्था और पर्यावरण के बीच गन्दगी का अंबार ! सिखों के धाम हेमकुंड में । ◆ क्या नई पीढ़ी के सिख श्रद्धालुओं में कम हो रही है आस्था ! ◆ सिख धर्म में साफ सफाई का रखा जाता है विशेष ख़याल, यहां कर गए गन्दा ।  ◆हेमकुंड साहिब में ये क्या कर गए भक्त ! ◆आस्था के पहाड़ पर लगाया गंदगी का अंबार ।

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आस्था और पर्यावरण के बीच गन्दगी का अंबार ! सिखों के धाम हेमकुंड में ।

◆ क्या नई पीढ़ी के सिख श्रद्धालुओं में कम हो रही है आस्था !

◆ सिख धर्म में साफ सफाई का रखा जाता है विशेष ख़याल, यहां कर गए गन्दा । 

◆हेमकुंड साहिब में ये क्या कर गए भक्त !

◆आस्था के पहाड़ पर लगाया गंदगी का अंबार ।

आस्था और पर्यावरण के बीच गन्दगी का अंबार ! सिखों के धाम हेमकुंड में । ◆ क्या नई पीढ़ी के सिख श्रद्धालुओं में कम हो रही है आस्था ! ◆ सिख धर्म में साफ सफाई का रखा जाता है विशेष ख़याल, यहां कर गए गन्दा ।  ◆हेमकुंड साहिब में ये क्या कर गए भक्त ! ◆आस्था के पहाड़ पर लगाया गंदगी का अंबार ।

चमोली, सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब में गंदगी का अंबार लगा हुआ है । साफ-सफाई की उचित व्यवस्था न होने से जगह-जगह पर प्लास्टिक का कूड़ा फैला हुआ है । जबकि हेमकुंड साहिब उच्च हिमालयी क्षेत्र पर स्थित होने के साथ ही हेमगंगा का उद्गम स्थल भी है । चारों ओर फैले कूड़े से पर्यावरण में प्रदूषण तो फैल ही गया है साथ ही साथ सिख श्रद्धालुओं ने आस्था पर भी पहुंचा दी गहरी चोट ।

सिख धर्म में ऐसा कृत्य अविश्वसनीय, अकल्पनीय है । सिख धर्म महज एक आस्था मात्र नहीं है, बल्कि यह धर्म अपनी खूबसूरत अनुशासन व सेवाभाव के लिए भी अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है ।  लेकिन हेमकुंड साहिब में गुरुद्वारे के सामने यह मंजर देख अब यही कहा जा सकता है कि नए दौर  में  सिख श्रद्धालुओं का यह एकदम नया संस्करण सामने आया है । ऐसे विचलित करने वाले दृश्यों ने सिख धर्म मे अस्थावान लोगों की भावनाओं को भी आहत किया है । ऐसे में इस गैर जिम्मेदारी के लिए सिर्फ श्रद्धालुओं को ही नहीं कोसा जा सकता, बल्कि इसके लिए गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी सबसे ज्यादा गुनहगार है । आखिर वह आस्था के केंद्र हेमकुंड यह सब होता देख क्यों चुप्पि साधे रहे । कहीं न कहीं इसमें रजामंदी तो रही है ।

खैर …. अस्थावान लोगों की भावनाएं टूटी हैं वह विलाप करने से ज्यादा कुछ नहीं कर सकते लेकिन अब एक्शन लेने की बारी आती है पर्यावरण के लिहाज से । आखिर जोशीमठ में स्थित वन विभाग प्रशासन यहां पर कर क्या रहा था ? और अगर सब कुछ नंगी आंखों से दिख रहा था तो क्यों नहीं कोई कार्रवाई विभाग ने की ? बहरहाल विभाग भी हमारी इस खबर के बाद सम्भत: अपनी फाईल सजाने की तैयारी में जुटेगा । लेकिन होना कुछ नहीं है , चिंताजनक व दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि उत्तराखंड साफ सुथरी स्वच्छ हिमालय चोटी में ऐसा कृत्य करने की छूट देकर यहां से निकलने शुद्ध हवा व निर्मल पानी को दूषित कर दिया गया है । जो कि विभाग की कार्यशैली पर भी एक बड़ा कलंक है ।

यहां बता दें कि हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल में 6 माह के लिए बंद रहने के बाद बीते माह 1 जून को खुले थे । अब तक यहां 1,70,333 तीर्थयात्रियों ने मत्था टेका था । इन दिनों हेमकुंड में श्रद्धालुओं का जमवाड़ा लगा हुआ है । हेमकुंड साहिब में कई स्थानों पर 3 फीट तक बर्फ जमी हुई है । कई स्थानों पर विगत वर्ष और इस साल काफी कूड़ा जमा हुआ है । जिसे इस धाम में साफ देखा जा सकता है ।

हेमकुंड से निकलने वाली हेमगंगा के उद्गम स्थल पर प्लास्टिक कूड़ा बिखरा हुआ है । जो उच्च हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन के लिए खतरा बना हुआ है ।
बता दें कि हर साल लाखों की संख्या में हेमकुंड साहिब में श्रद्धालु पहुंचते हैं. साथ ही अपने साथ प्लास्टिक पैकिंग सामान ले जाते हैं । वहीं श्रद्धालु लौटते समय सारा कूड़ा वहीं फेंक देते हैं । जिससे प्रत्येक वर्ष कूड़ा बढ़ता ही जा रहा है, जो पर्यावरण के लिहाज से बड़ा खतरा है ।

रिपोर्ट :  मोहन बुलानी  ।

Mohan Bulandi 

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