राजेंद्र भण्डारी कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड

Rajendra Bhandari With ‘Raj-Rag’ राजनीति का नाम ही डील है साहब ! काबिना मंत्री राजेंद्र भण्डारी 

Raj Rag Youth icon Special .
By : Shashi Bhushan Maithani ‘Paras’

*महाराज जी मेरे गुरू हैं आदर्श हैं। मुझे नहीं पता कि महाराज जी चुनाव लडेंगे या  नहीं लडेंगे।  

*बागी डुबोएंगे भाजपा की लुटिया । 

 परिचय : 

 

राजेंद्र भण्डारी कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड
बद्रीनाथ की चिंगारी राजू भंडारी जो कभी फुटबाल में गोल दागा करते थे, आज वो राजनीति में दनादन गोल दाग रहें हैं। राजराग में इस हफ्ते हमारे खास मेहमान हैं कृषि,आपदा प्रबन्ध और नागरिक उड्यन मंत्री और बद्रीनाथ विधानसभा से विधायक राजेन्द्र भंडारी। छात्र नेता के रूप में राजनीति में पहला कदम रखने वाले भंडारी ने अभी तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। गोपेश्वर महाविधालय में छात्र संघ के अध्यक्ष, उसके बाद भेषज संघ के अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष और फिर कैबिनेट मंत्री उत्तराखण्ड सरकार। भंडारी की गिनती देश के उन चंद नेताओं में होती है जिन्होंने किसी की कृपा से नहीं बल्कि अपनी मेहनत और लगन के बल पर मंजिल तक पहुंचने का रास्ता तय किया।
राजेन्द्र भंडारी का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। चार भाइयों में सबसे छोटे राजेन्द्र भंडारी की प्रारिम्भक शिक्षा गांव के ही स्कूल से हुई। छात्र राजनीति में आने के बाद सतपाल महाराज के प्रभाव में आए, जिसके बाद राजनीतिक कार्यों में बढ चढ़ कर शिरकत करने लगे। जिला पंचायत का अध्यक्ष बनने के बाद राजेन्द्र भंडारी का अगला लक्ष्य था विधानसभा पहुंचना। 2007 विधानसभा चुनाव में भंडारी ने अपनी इच्छा अपने राजनीतिक गुरू सतपाल महाराज के सामने रखी। महाराज ने इन्हें समझाया कि इस बार सत्येन्द्र बर्त्वाल के लिए सीट छोड दो, लेकिन विधानसभा क्षेत्र की स्थितियों और जनता की मांग को देखते हुए इन्होंने नंदप्रयाग सीट से निर्दलीय ताल ठोकी और जीत हासिल करने के साथ ही भाजपा की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने, महाराज भले ही भाजपा में चले गए, लेकिन भंडारी ने कांग्रेस और हरीश रावत के प्रति अपनी विश्वसनीयता बरकरार रखी, जिसका उन्हें ईनाम मिला और सरकार में कैबिनेट मंत्री का दायित्व सौंपा गया। एक बार फिर 2017 में भंडारी जनता के बीच हैं। तीसरी बार अपनी जीत को लेकर कितना आश्वस्त हैं भंडारी ? अगर सतपाल महाराज बद्रीनाथ से चुनाव लड़ते हैं तो क्या भंडारी फिर भी चुनाव लडेंगे? राजराग में  मेरे सवालों का किस तरह दिया राजेन्द्र भंडारी ने जवाब आप भी पढि़ए । 
देखिए हम काम करने वाले व्यक्ति हैं। हमें सभी के साथ काम करने में मजा आया। हम तो पत्थर से पानी निकालने वाले लोग हैं, सभी अच्छे हैं। हां हरीश रावत में एक बात देखी है कि वह पहाड़ का बेटा है। अंतिम व्यक्ति तक जाना चाहता है। पहाड़ के विकास की सोच रखता है। हर तबके को समाज की मुख्यधारा से जोडऩा चाहता है। इस तरह की सोच का व्यक्ति बहुत कम मिलता है । 
यूथ आइकॉन विशेष : Yi राज-राग में सवाल जवाब आज मेरे साथ मौजूद हैं बद्रीनाथ विधान सभा से विधायक व उत्तराखंड सरकार में कृषि मंत्री राजेंद्र भण्डारी ।
यूथ आइकॉन विशेष : Yi ‘राज-राग में सवाल जवाब आज मेरे साथ मौजूद हैं बद्रीनाथ विधान सभा से विधायक व उत्तराखंड सरकार में कृषि मंत्री राजेंद्र भण्डारी ।

Yi शशि पारस –  तीसरा विधानसभा चुनाव है आपका इस बार, आसान लग रहा है या संघर्ष ज्यादा दिखाई दे रहा है ?

भण्डारी –   परिस्थतियां समय के अनुसार हर बार बदलती रहती है। कई बार अनुकूल होती है, कई बार विपरीत होती हैं। हम लोग घबराने वालों लोगों में से नहीं है। मैंने अपने जीवन में बहुत उतार चढाव देखें हैं। इसलिए जो भी परिस्थिति  हो हम लोग मुकाबला करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं, मैं कभी परिणाम की कल्पना नहीं करता हूं, काम पर विश्वास रखता हूं, में एक किसान मजदूर का बेटा हूं अपने संघर्षों के बल पर राजनीति में आया हूं। हमें कोई विरासत में राजनीति नहीं मिली है, जो भी किया है जीरो से लेकर यहां तक पहुंचा हूं, सब मेहनत के बलबूते पाया है, आगे जो भी होगा में जनता की सेवा में लगा रहूंगा। 
Yi शशि पारस – पूर्व नौकरशाह विनोद फोनिया भी बदरीनाथ से चुनावी ताल ठोक रहें हैं। पूर्व पर्यटन मंत्री केदार सिंह फोनिया के पुत्र हैं। क्या उनके आने से इस बार मुकाबला दिलचस्प होगा ? 
भण्डारी – देखिए प्रजातन्त्र में किसी भी व्यक्ति  को चुनाव लडऩे का हक है। व्यक्ति बड़ा होगा या छोटा होगा यह जनता डिसाइड करेगी। हम आप डिसाइड नहीं कर सकते हैं। मै कैसे बोल दूं मेरे से बड़ा नेता कोई नहीं हैं। 2017 की जब वोटिगं होगी तब जनता तय करेगी कि बड़ा नेेता कौन है। लोकतन्त्र में प्रत्याशी आने चाहिए, मुकाबला होना चाहिए, लेकिन हां चुनाव मुद्दों और मर्यादा के बल पर लड़ा जाना चाहिए। 
Yi शशि पारस – चर्चाएं गर्म हैं कि सतपाल महाराज अपना पहला विधानसभा चुनाव बदरीनाथ सीट से लड़ सकते हैं। आपको दुविधा तो नहीं हो रही है कि गुरू से शिष्य किस तरह मुकाबला करेगा ?
भण्डारी – महाराज जी मेरे गुरू हैं आदर्श हैं। मुझे नहीं पता कि महाराज जी चुनाव लडेंगे या नहीं लडेंगे। वह बदरीनाथ से लडेंगे या केदारनाथ से लडेंगे मेरी जानकारी में नहीं है। राजनीति में सबकुछ जायज है, यह चलता रहता है। जनता ने मुझे आशा और उम्मीद से चुना है और आज तक मैं उनकी  उम्मीदों पर खरा उतरा हूं। जो व्यक्ति एक ग्राम सभा का प्रधान नहीं बन सकता था उसको जनता ने मंत्री की दहलीज तक पहुंचा दिया। ये सब चमोली बदरीनाथ की जनता का आर्शिवाद है। आगे भी जनता पिछले कामों के आधार पर आंकलन करेगी।
Yi शशि पारस – 2007 में भाजपा को समर्थन दिया, पांच साल मंत्री रहे। फिर 2012 में कांग्रेस को समर्थन दिया, फिर एक बार मंत्री हैं। आरोप लगते हैं कि आप से कुछ डील होती है हर बार ?
राजनीति का नाम ही डील है । भाजपा यह भी तो जनता को यह भी तो बताए कि जब मैंने उनकी सरकार बनाने में सहयोग किया था तब उन्होने राजेंद्र भण्डारी के साथ कितने में डील की । भाजपा यह खुलासा क्यों नहीं कर लेती । - राजेंद्र भण्डारी
राजनीति का नाम ही डील है । भाजपा यह भी तो जनता को बताए कि जब मैंने उनकी सरकार बनाने में सहयोग किया था तब उन्होने राजेंद्र भण्डारी के साथ कितने में डील की । भाजपा यह खुलासा क्यों नहीं कर लेती ।
– राजेंद्र भण्डारी

भण्डारी – राजनीति का नाम ही डील है मैठानी जी। इधर से लडें से तो उधर वाले कहते हैं डील हो गई। उधर से लडें तो इधर वाले कहते हैं  डील हो गई। लेकिन में एक नेता हूं, निर्णय लेने की क्षमता मेरी होनी चाहिए, और अगर मेेरे में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है तो फिर में नेता ही नहीं हूं। डील के आरोप तो राजनीति में लगते रहते हैं।  

राजनीति का नाम ही डील है मैठानी जी। इधर से लडें से तो उधर वाले कहते हैं डील हो गई। उधर से लडें तो इधर वाले कहते हैं  डील हो गई। लेकिन में एक नेता हूं, निर्णय लेने की क्षमता मेरी होनी चाहिए, और अगर मेेरे में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है तो फिर में नेता ही नहीं हूं। डील के आरोप तो राजनीति में लगते रहते हैं।

Yi शशि पारस – मार्च 2016 में जो राजनीतिक उठापटक हुई, उसमें भी आरोप लगे कि सौदा बढिय़ा नहीं पटा तो आप जाते-जाते रह गए भाजपा में ?
भण्डारी – अगर में भाजपा में चले जाता तो बहुत अच्छा आदमी हो जाता, और अगर में भाजपा में नहीं गया तो मेरी कोई डील नहीं हुई। मैने 2007 में भाजपा को भी तो समर्थन दिया था, मीडिया वाले पूछें न भाजपा वालों से उन्होंने क्या-क्या डील मेरे साथ की। क्यों नहीं वो मुझे एक्सपोज करते हैं? क्यों नहीं भाजपा वाले मीडिया के अन्दर कहते कि राजेन्द्र भंडारी ने जब हमें समर्थन दिया था तो ये डील हमसे की थी। राजेन्द्र भंडारी सिंद्वातों की राजनीति करता है, मुद्दों की राजनीति करता है, उोछी राजनीति  राजेन्द्र भंडारी नहीं करता है। मैं डील पर विश्वास नहीं करता हूं। भाजपा को समर्थन दिया मेरा निर्णय था। कांग्रेस में शामिल हुआ मेरा निर्णय था, में हमेशा अपने निर्णय से ही फैसला करता हूं।
Yi शशि पारस – सतपाल महाराज आपके गुरू हैं, आपको क्या लगता है कि महाराज जी की भाजपा में ज्यादा पूछ हो रही है या फिर  कांग्रेस में उनकी ज्यादा पूछ होती थी ?
भण्डारी – महाराज जी के बारे में कुछ नहीं बोल सकता, उनके निर्णय पर बोलने वाला में कौन होता हूं। कांग्रेस में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे, जब-जब उनका आदेश हुआ साथ खड़े रहे, 25 साल तक उनके साथ रहा। अब उनके और मेरे सिद्धांतों  में अंतर आ गया है। 
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Yi शशि पारस – किस तरह का अंतर आ गया है। आपके व सतपाल महाराज के सिद्धांतों में ?

भण्डारी – देखिए में कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास करता हूं। महाराज जी भाजपा में चले गए हैं अब वह भाजपा की विचारधारा में विश्वास करते हैं। दोनों पार्टियों की विचारधारा अलग दोनों के सिद्धांत अलग हैं। आप खुद ही समझ सकते हैं कि व्यक्तियों के वही सिद्धांत होंगे जो पार्टी के होते हैं। 
Yi शशि पारस – उधान घोटाले को लेकर भाजपा ने सड़क से विधानसभा तक खूब हो हल्ला किया, महाराज का नाम उछाला। आज वहीं उनके यहां मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं ?
भण्डारी – भाजपा के यहां जायेंगे तो आप ईमानदार हो जायेंगे। दूसरे दल में जायेंगे तो बेईमान हो जायेंगे। भाजपा को ये सर्टिफिकेट देने की पॉवर कहां से मिल गई। किसने भाजपा को  ये पॉवर दे दी है? अच्छाई बुराई का निर्णय कोर्ट करेगा। जनता करेगी। भाजपा कौन होती है अच्छे-बुरे का निर्णय करने वाली?  
Yi शशि पारस –  बागियों के भाजपा में जाने से कांग्रेस को फायदा हुआ या नुकसान ? 
भण्डारी – विल्कुल फायदा हुआ है। हमारे घर की लड़ाई भाजपा में चली गयी है, अगर वो सब यहां रहते तो बड़ा संग्राम होता। हमारी पार्टी को जो नुकसान होना था। वो तीन-चार महीने पहले हो गया, पर अब जो नुकसान होगा वो भारतीय जनता पार्टी को होगा।  सड़कों पर होगा द्वन्द, देख लीजिएगा आप भारतीय जनता पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पडेगी, 10 लोग बागी गए हैं। जिन्होंने 10-20 साल पार्टी की सेवा की है। आप उनसे कहेंगे तू पानी सारेगा, तू पोस्टर लगाएगा, लेकिन तुझे टिकट नहीं मिलेगा, तो उसकी हालत क्या होगी ? उनके ऊपर आप नेता थोप दोगो तो वह कार्यकर्ता मानेंगे क्या ?
Yi शशि पारस – नोट बंदी पर हरीश रावत जी का बयान आया है, अच्छा होता कि मोदी जी नोट बंदी का फैसला मार्च के बाद लेते हमारी बकरियां कटने से बच जाती। आप इस बयान के क्या मायने निकालते हैं ?
भण्डारी – राजनीति में मुद्दों और तर्को के आधार पर बात होनी चाहिए। नोट बंदी का फैसला समझ से परे है। आप ने पांच प्रतिशत लोगों को पकडऩे के लिए ये फैसला लागू किया है। यहां 95 प्रतिशत लोग आपके फैसले के कारण सफर कर रहें हैं। हमारे गांव में लोग आलू, राजमा, कीड़ा जड़ी के साथ ही स्थानीय उत्पाद बेचतें हैं और पैंसा घरों में रखते हैं। हम नेताओं से हजार गुना ज्यादा पैंसा हमारे गांव के लोगों के पास होता है।  धान, सब्जी, दूध का पैसा होता है, लोग अपने बेटों-बेटी की शादी नहीं करा पा रहें हैं। अराजकता फैल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहीं दंगे न फैल जाएं। अगर सरकार को पता है कि कालाधन नेताओं ने रखा हुआ है तो क्यों नहीं उनको अरेस्ट करते हैं? विदेश में जमा कालाधन तो लाओ। नोट बंदी के फैसले से देश में आपातकाल की स्थिती पैदा हो गई है। 
Yi शशि पारस – आगामी चुनाव में नोट बंदी से कितना नुकसान होगा? चर्चाएं हैं कि अब नेता पैसा नहीं बांट पाएंगे। निर्दलीय और ईमानदार प्रत्याशी ज्यादा जीत कर आएंगे। आपको भी लगता है कि ऐसा होगा?  
भण्डारी – प्रत्याशी की किस्मत जनता तय करती है नोट नहीं। जनता को लगता है कि प्रत्याशी ईमानदार है, क्षेत्र के लिए काम करने की क्षमता इसके अंदर है। यह सुख दु:ख में हमारे साथ खड़ा रहता है तो वह चुनती है। केजरीवाल के 40 से 45 विधायक ऐसे चुनकर आये जिनके पास चाय तक के लिए पैंसे नहीं थे। मेरे खिलाफ विधानसभा चुनाव में एक बहुत बड़ा साहूकार आया हुआ था घाट में।  खूब पैंसा बंाटा उसने क्या हाल हुआ? कितने वोट पड़े उसे? यहां से दिल्ली तक पैदल जाना पड़ा जब एक रूपया जेब में नहीं हुआ, तो पैसे वालों को वोट पड़ते हैं क्या? अगर पैसे वालों को वोट पड़ते तो टाटा बिरला इस देश के प्रधानमंत्री होते। हम जैंसे का नम्बर ही नहीं आता। नोट का समाज में कोई असर नहीं पड़ता। 
Yi शशि पारस – आपको बदरीनाथ की चिंगारी कहा जाता है। किसने आपको यह नाम दिया, कैसा लगता है ? 
भण्डारी – देखिए मैने कभी किसी से नहीं कहा मुझे चिंगारी बोलो। मेरे को लोग राजू भंडारी बालते हैं तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता है। 90 प्रतिशत लोग मुझे राजू भंडारी कहते हैं, जो अपने बेटे का नाम है अपने भाई का नाम है अपने दोस्त का नाम है अपने सखा का नाम है। मुख्यमंत्री जी भी मुझे राजू भंडारी कहते हैं यह मेरा टाईटल नेम है। 
Yi शशि पारस – बदरीनाथ क्षेत्र का जो परिसीमन जो हुआ है, उसको लेकर क्या कुछ कहना है अपना है ? 
भण्डारी – बिल्कुल जिन 12 से 14 गांवों को बदरीनाथ विधानसभा से अलग किया गया है, वह गलत किया गया। मैं भी लगातार उसके खिलाफ आवाज उठा रहा हूं। आगे भविष्य में जो भी परिसीमन होगा उसमें उसे ठीक किया जायेगा। 
Yi शशि पारस – आपदा विभाग भी आपको दिया गया है। कितना काम आपदा में अबतक हुआ है? क्या कुछ और करने की आवश्यकता है ? 
भण्डारी – आपदा में काम करने के लिए बहुत कम समय मिला है। कम समय में ज्यादा कोशिश करने में लगा हूं,ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करना चाहता हूं। आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में एक जो बड़ी समस्या उन बुर्जुग लोगों की आ रही है, जिनका आपदा में बेटा मारा गया है और बहू ने दूसरी शादी कर ली है। मैने ऐसे लोगों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री जी से विशेष आग्रह किया है। 
Yi शशि पारस – चर्चाएं गर्म हैं कि केदारनाथ से आपकी धर्मपत्नी रजनी भंडारी भी चुनाव मैदान में उतर सकती है ? 
भण्डारी – कोई मेरा प्रशंसक व मित्र होगा वह चला रहा होगा। ऐसा अभी तक कुछ नहीं है, में पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं। देखिए पार्टी क्या निर्णय करती है? देखिए लाईन पर जो लोग लगे रहते हैं हमेशा उनको टिकट मिलता है क्या? कभी-कभी पार्टी लाईन से बाहर के व्यक्ति को टिकट मिल जाता है। टिकट को लेकर तो पार्टी को फैैसला करना है। एक परिवार से दो लोगों को टिकट मिल सकता है क्या? 
Yi शशि पारस – खंडूडी, निशंक, बहुगुणा, हरीश रावत चारों मुख्यमंत्री का शांसनकाल आपने करीब से देखा है। बेहत्तर मुख्यमंत्री कौन लगा चारों में ?
भण्डारी – देखिए हम काम करने वाले व्यक्ति हैं। हमें सभी के साथ काम करने में मजा आया। हम तो पत्थर से पानी निकालने वाले लोग हैं, सभी अच्छे हैं। हां हरीश रावत में एक बात देखी है कि वह पहाड़ का बेटा है। अंतिम व्यक्ति तक जाना चाहता है। पहाड़ के विकास की सोच रखता है। हर तबके को समाज की मुख्यधारा से जोडऩा चाहता है। इस तरह की सोच का व्यक्ति बहुत कम मिलता है। 
Yi शशि पारस – आपको नहीं लगता कि गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी  की घोषणा सरकार कर देती तो आपको आगामी चुनाव में बहुत लाभ होता। आरोप लग रहें हैं कि मैदानी बोट बैंक खिसकने के डर से आप लोग चुप रहे ? 
भण्डारी – कांग्रेस का नहीं भाजपा का काम है विधानसभा के अंदर चुप रहना, और बाहर सड़क पर आकर हल्ला करना। कांग्रेस गैरसैंण का विकास करने में लगी है। हमने वहां विधानसभा भवन, सचिवालय, ऑफिसर हॉस्टल, विधायक आवास के साथ ही अन्य सुविधाएं विकसित की है, जब पूर्ण रूप से सब बन जायेगा, तब घोषणा भी हो जायेगी।
तो यह थे मेरे साथ आज के यूथ आइकॉन राज राग में बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के विधायक व उत्तराखंड सरकार में काबीना मंत्री राजेंद्र भण्डारी उर्फ राजू भण्डारी । जिनहोने बड़ी ही वेबाकी से राज राग में पूछे गए सवालों का जवाब अपने ही अंदाज में दिया । अगले कड़ी मेरे साथ फिर होंगे किसी अन्य दल से कोई एक राजनेता जिनसे पूछेंगे हम जनता से जुड़े सवालों को । तब तक के लिए नमस्कार । प्रणाम । 
©  प्रस्तुति:  शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ,  

Copyright: Youth icon Yi National Media, 29.12.2016

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यूथ  आइकॉन : हम न किसी से आगे हैं, और न ही किसी से पीछे ।

By Editor

3 thoughts on “Rajendra Bhandari With ‘Raj-Rag’ राजनीति का नाम ही डील है साहब ! काबिना मंत्री राजेंद्र भण्डारी”
  1. जमीन से जुड़े नेता हैं हमारे विधायक
    राज़ू भण्डारी जी!

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