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Youth icon yi Media logoRajniti ke Tarane : क्या एक महिला को अपने पती की गलती के लिए क्षमा माँगनी जरूरी है  ?

Yogesh Dhasmana , Srinagar
Yogesh Dhasmana , Srinagar

भाजपा नेता दयाशंकर ने मायावती के टिकट वितरण मामले को जिन अपमानजनक शब्दों के साथ तुलना करने की कोशिश की थी उसके लिए उन्हें पार्टी से निष्काषित होना पड़ा और चौतरफा आलोचना भी झेलनी पड़ी; परंतु बसपा के कार्यकर्ताओं द्वारा दयाशंकर की बात का विरोध करने का जो तरीका अपनाया गया वह अपमानजनक तो है ही साथ ही विरोध करने की परंपरा पर भी कलंक है। बसपा कार्यकर्ताओं द्वारा दयाशंकर के परिवार पर व्यक्तिगत हमला किया जाना एवं उनकी पुत्री तथा पत्नी के लिए अभद्र टिप्पणियाँ करना भी शर्मनाक घटना है। बसपा कार्यकर्ता विरोध की आग में अपनी मर्यादा लांघ गए और उन्हें खुद की शब्दावली का होश नहीं था। ये सभी कार्यकर्ता दयाशंकर को अपनी बेटी एवं पत्नी को सामने लाने जैसे नारे लगा रहे थे। यहाँ तक यह मामला सिर्फ अभद्र भाषाओं का इस्तेमाल तक था । परंतु जब दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी उसके बाद जिस तरह की प्रतिक्रियाएं लोगो ने सोशल मीडिया पर देना शुरू किया वह इन सबसे ज्यादा शर्मनाक था। कुछ लोग स्वाति सिंह का विरोध यह कह कर करने लगे की उन्होंने अपनी बात में कहीं भी यह नही कहा कि उनके पति ने मायावती के लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल किया। वहीँ कुछ लोग यह तुलना करते नजर आये की दयाशंकर के परिवार को इस घटना में जोड़ना दयाशंकर के लिए एक सबक है।

 स्वाति सिंह से यह उम्मीद करना की वह अपने पति दयाशंकर के कृत्य के लिए कुछ कहे एक मनोस्तिथि को दर्शाता है की हम आज भी महिलाओं को किस नजरिये से देखते हैं। वह लोग वास्तव में एक महिला के मुख से यह सुनना चाहते थे कि मेरे पति ने गलत शब्द कहे, मैं उनके लिए छमा माँगती हूँ; अर्थात वे लोग एक महिला को कमजोर साबित कराने के पक्षधर हैं, एक महिला को पुरुष की गलती के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहते हैं। शायद वे उस रूढ़िवादी विचारधारा को समर्थन करते हैं कि स्वाति सिंह अपने माथे पर लिख दे मेरे पति ने मायावती के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। इस तरह की मानसिकता महिलाओं के लिए रखना उन्हें समाज में कमजोर करने के सिवाय और कुछ नहीं है। एक ताकतवर महिला मायावती भी उस आम महिला से यही उम्मीद लगाये बैठी थी, लेकिन वह आम महिला स्वाति सिंह एक वास्तविक ताकतवर महिला बनकर सबके सामने आई और अपनी बात रखी। वह एक ताकतवर माँ थी जो अपनी 12 साल की बच्ची के लिए इस्तेमाल हो रहे शब्दों की विरुद्ध खड़ी हुई साथ ही एक बहु बेटी के रूप में 80 साल की सासू-माँ के ईमान के लिए लड़ने को आ खड़ी हुई।

 दयाशंकर के द्वारा किये गए कृत्य के लिए उसके परिवार की सारी महिलाओं को बसपा कार्यकर्ताओं द्वारा निशाना बनाया जा रहा था। अपशब्द चीख-चीखकर कहे जा रहे थे और मकशद था एक पावरफुल महिला के इमान की लड़ाई। क्या यही विरोध करने की गरिमा है? यह तो हास्यात्मक है कि एक महिला के ईमान के लिए अन्य महिलाओं का ईमान बेचा जा रहा था। एक महिला को अपमानित करने वाले दयाशंकर को सबक सिखाने के लिए अन्य महिलाओं को अपमानित किया जा रहा था। एक 12 साल की बच्ची जो इस उम्र में राजनीती शब्द से परिचित भी ना हो पायी होगी उसे ऐसी घिनौनी राजनीती का हिस्सा बनाया जा रहा था। आखिर क्या भविष्य दिखाया जा रहा था ऐसे नारों से 12 साल की उस बच्ची को ?
मामला राजनितिक था तो उद्देश्य भी राजनीती थी परंतु अपमानित दोनों तरह महिलाओं को ही होना पड़ा। शर्मनाक है ऐसी राजनीती ।

योगेश धस्माना

 

By Editor

15 thoughts on “Rajniti ke Tarane : क्या एक महिला को अपने पती की गलती के लिए क्षमा माँगनी जरूरी है ?”
  1. बहुत खूब,,आपने महिलाओं के मनोस्तिथि को बखूबी समझा और सही आंकलन किया ।
    सुंदर लेख।

  2. अति सुन्दर लेख श्री योगेश धस्माना जी आप इसी तराह समाज को आईना दिखाते रहिये।

  3. Bilkul bhi zaroori nahi.
    Pati aur patni Dono seperate individual Hai, how can one be responsible for others mistakes

  4. सुन्दर आति
    सुन्दर
    वास्तव में रिश्तोंको राजनीति की भेंट चढ़ा देना किस राजनीति की ओर इंगित करता है समझ से परे है..

  5. आपने सही लिखा है। बसपा की नेता ने तो संसद में महिलाओं के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। लोकसभा स्पीकर ने उनके वक्तव्य को कार्यवाही से निकाला भी नहीं। मेरे विचार से ये गलत है।

  6. Hat’s off yogesh well said
    But you know this world is hypocrite no body aware the root cause of so called gandi rajniti .
    भीड़ में जाने वाले को थे जनता थी उसने सोचा की कल अगर हमारे साथ ऐसा हुआ तो बीच बाजार में हमारे घरवालों को भी लाया जाएगा नहीं
    आरोप प्रत्यारोप राजनीतिक लोग करे ये उनकी मानसिकता दर्शाता हैं पर् जनता बिन सौचे समझे ये करे तो दोषी कौंन सौचे ।और मीडिया सबसे बड़ा दोषी जो बिन बात 24 घंटे बहस करेंगे और जालंत और सुधर के मुदो पर् चुप आपका नैतिक अधिकार है ये की खबर की महत्ता पर् धयान दे कर मुद्दा उठाये
    आपका कार्य सराहनीय हैं

  7. Hat’s off yogesh well said
    But you know this world is hypocrite no body aware the root cause of so called gandi rajniti .
    भीड़ में जाने वाले को थे जनता थी उसने सोचा की कल अगर हमारे साथ ऐसा हुआ तो बीच बाजार में हमारे घरवालों को भी लाया जाएगा नहीं
    आरोप प्रत्यारोप राजनीतिक लोग करे ये उनकी मानसिकता दर्शाता हैं पर् जनता बिन सौचे समझे ये करे तो दोषी कौंन सौचे ।और मीडिया सबसे बड़ा दोषी जो बिन बात 24 घंटे बहस करेंगे और ज्वलन्त और सुधार के मुदो पर् चुप आपका नैतिक अधिकार है ये की खबर की महत्ता पर् धयान दे कर मुद्दा उठाये
    आपका कार्य सराहनीय हैं

  8. Truly such hypocrisy and cheap mentality people will always try to rule over women’s emotions.

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