धरने पर बैठे पूर्व सैनिक व उनके परिजन ।
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ये खबर सैनिकों के नाम पर राजनीतिक करने वालों का सर शर्म से झुका देगी…!  

*ये है वतन पर मरने मीटने वालों के हाल

घाटों के निर्माण की डीपीआर एवं घाटों को बनाने की लागत सहित अन्य कई विन्दुओं को लेकर आयोजकों के पास कोई भी स्पष्ठ जवाब नहीं है। आलम यह है कि आयोजकों ने जिन घाटों के उद्घाटन के लिए निमंत्रण जारी किये है उसमे नैथानी घाट श्रीनगर भी दर्ज किया है लेकिन पूरे श्रीनगर क्षेत्र में कही भी नैथानी घाट है ही नहीं। Pankaj mandoli , Srinagar , Yi Report
Pankaj mandoli , Srinagar , Yi Report
धरने पर बैठे पूर्व सैनिक व उनके परिजन ।
रने पर बैठे पूर्व सैनिक व उनके परिजन ।

हमारे देश में गाय व सैनिकों की एक जैसी स्थिति है। गाय जब तक दूध देती है तब तक गाय को मां का दर्जा दिया जाता है। गाय के दूध देना बंद करने के बाद उसको उसके हाल पर छोड दिया जाता है। अगर बात सैनिकों की हो तो जब तक सैनिक शरहदों पर तैनात रहते हुए देश की रक्षा मे खडे रहते हैं। तब तक उनकी इज्जत की जाती है उनकों खूब सम्मान दिया जाता है। लेकिन रिटायर्ड होने के बाद इनका हाल भी कुछ इसी तरह दिख रहा है। अगर इस बात पर गहराई से विचार करोंगे तो सैनिकों व गांय के नाम पर राजनीतिक करने वालों के सर शर्म से झुक जायेंगे।

     यहां आज बात देश के उन पूर्व सैनिकों की कि जा रही है जिन लोगों की बदोलत कारगील युद्ध, आॅपरेशन ब्लू स्टार व नाॅर्थ ईस्ट सहित कश्मीर घाटी के कई बबालों को सफलता पूर्ण निपटाया गया। लेकिन आज वे लोग पूर्ण तरीके से उपेक्षित है। क्योंकि वे आज सैनिक नहीं रहे वे पूर्व सैनिक हो गये है।
 यहां बात उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल के उन पूर्व सैनिकों कि जा रही है जो पिछले 418 दिनों से श्रीनगर गढ़वाल में धरने पर हैं। धरना भी किसी और के लिए नहीं अपने बच्चों को पढ़ाने के स्कूल में सीटे बढाने व उनके इलाज के लिए एक सरकारी हाॅस्पिटल खोलने की मांग को लेकर पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर रक्षा मंत्री तक कई बार ये पूर्व सैनिक अपनी मांगों को लेकर पत्र भेज चुके हैं लेकिन इनकी मांगों पर अब तक भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है। अब पूर्व सैनिकों सरकारी तंत्र को जनागे के लिए हवन यज्ञ का शारा ले रहे हैं ।
यहां बात उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल के उन पूर्व सैनिकों कि जा रही है जो पिछले 418 दिनों से श्रीनगर गढ़वाल में धरने पर हैं। धरना भी किसी और के लिए नहीं अपने बच्चों को पढ़ाने के स्कूल में सीटे बढाने व उनके इलाज के लिए एक सरकारी हाॅस्पिटल खोलने की मांग को लेकर पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर रक्षा मंत्री तक कई बार ये पूर्व सैनिक अपनी मांगों को लेकर पत्र भेज चुके हैं लेकिन इनकी मांगों पर अब तक भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है। अब पूर्व सैनिकों सरकारी तंत्र को जनागे के लिए हवन यज्ञ का शारा ले रहे हैं ।

यहां बात उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल के उन पूर्व सैनिकों कि जा रही है जो पिछले 418 दिनों से श्रीनगर गढ़वाल में धरने पर हैं। धरना भी किसी और के लिए नहीं अपने बच्चों को पढ़ाने के स्कूल में सीटे बढाने व उनके इलाज के लिए एक सरकारी हाॅस्पिटल खोलने की मांग को लेकर पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर रक्षा  मंत्री तक कई बार ये पूर्व सैनिक अपनी मांगों को लेकर पत्र भेज चुके हैं लेकिन इनकी मांगों पर अब तक भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है। पिछले एक साल दो महीने से श्रीनगर, पौडी, व कीर्तिनगर ब्लाक के पूर्व सैनिक रोजाना श्रीनगर गढ़वाल के पीपल चैरी पर आते है और धरना देते है। इनमे से अधिकांश देश की रक्षा में घायल हुए है तो कुछ महिलाओं ने युद्ध में अपने पति को खोया है। लेकिन इनकी मांगों की ओर किसी भी राजनीतिक दल ने तवज्जों नहीं दी और ना ही किसी राष्ट्रीय चैनलों ने अपने प्राईम टाईम में इनकी समस्याओं को बहस का रूप दिया। क्योंकि इनकी समस्या किसी राजनीतिक दल का तारगेट सैटल नहीं करती और ना ही इनकी मांगे राष्ट्रीय चैनलों की टीआरपी प्रभावित करती। फेसबुक एवं व्हटस्एप पर सैनिकों के सम्मान में अपनी प्रोफाइल फोटो व डीपी बदलने वाले बीरों ने भी इनकी सुध लेने की जरूरत तक महशूस नहीं की। इन पूर्व सैनिकों के आंदोलन का नेतृत्व अवकाश प्राप्त कैप्टन मथुरा प्रसाद सिलोडी कर रहे हैं। सिलोडी उन जाबांजों में हंै जिन्होंने कमश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक दुश्मनों के दांत खट्टे किये है। सिलोडी सरकारों को कोसते हुए कहते है कि नगर के केन्द्रीय विद्यालय में सीटों की संख्या कम होने के चलते सैनिक व पूर्व सैनिकों के पाल्यों का नगर के एक मात्र विद्यालय में प्रवेश नहीं हो पा रहा है वे केन्द्रीय विद्यालय मे सीटे बढाने की मांग कर रहे है व पूर्व सैनिकों के लिए एक छोटा सा सैनिक हास्पिटल खोलने की मांग कर रहे है। जिसकी सभी नियमों को वे पूरा करते है। फिर भी गढ़वाल सांसद से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का ध्यान इस और नहीं है।

*पंकज मैंदोली

Copyright: Youth icon Yi National Media, 26.07.2016

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By Editor

3 thoughts on “Report Pankaj : ये खबर सैनिकों के नाम पर राजनीतिक करने वालों का सर शर्म से झुका देगी…!”
  1. पूर्व सैनिको का ऐसा अपमान सचमुच समझ से परे है, पूरा जीवन देश को समर्पित करने वाले सैनिको को अब अपनी मांगो के लिए सड़को पर उतरना होगा,,, बेहद शर्मनाक!!

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