Sangita kothiyal farasi srinagarपहाड़ की यह शिक्षिका आज मिसाल बन गई सबके लिए ! श्रीनगर गढ़वाल की संगीता जला रही है उम्मीद की एक अलग लौ । ● गरीब बच्चों को शिक्षा की अलख जागाती संगीता । वंचित बच्चों के भविष्य को संवारने का काम कर रही है, विशेषकर, गरीब बच्चें, झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए संगीता एक देवदूत ही कही जाएगी, बिना किसी सरकारी सहायता या किसी भी अन्य सहायता के अपने संसाधनों से इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाली मातृशक्ति संगीता फरासी समाज के लिए मिसाल से कम नहीं हैं। जहाँ एक तरफ सरकारी शिक्षक सुगम दुर्गम के लिए सरकार से लड़ते देखे जाते हैं वहीं संगीता जैसी शिक्षिका भी है जो सरकारी सेवा के बाद अपने समाज के लिए...Sangita kothiyal farasi srinagarपहाड़ की यह शिक्षिका आज मिसाल बन गई सबके लिए ! श्रीनगर गढ़वाल की संगीता जला रही है उम्मीद की एक अलग लौ । ● गरीब बच्चों को शिक्षा की अलख जागाती संगीता । वंचित बच्चों के भविष्य को संवारने का काम कर रही है, विशेषकर, गरीब बच्चें, झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए संगीता एक देवदूत ही कही जाएगी, बिना किसी सरकारी सहायता या किसी भी अन्य सहायता के अपने संसाधनों से इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाली मातृशक्ति संगीता फरासी समाज के लिए मिसाल से कम नहीं हैं। जहाँ एक तरफ सरकारी शिक्षक सुगम दुर्गम के लिए सरकार से लड़ते देखे जाते हैं वहीं संगीता जैसी शिक्षिका भी है जो सरकारी सेवा के बाद अपने समाज के लिए...

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पहाड़ की यह शिक्षिका आज मिसाल बन गई सबके लिए ! श्रीनगर गढ़वाल की संगीता जला रही है उम्मीद की एक अलग लौ ।

● गरीब बच्चों को शिक्षा की अलख जागाती संगीता ।

वंचित बच्चों के भविष्य को संवारने का काम कर रही है, विशेषकर, गरीब बच्चें, झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए संगीता एक देवदूत ही कही जाएगी, बिना किसी सरकारी सहायता या किसी भी अन्य सहायता के अपने संसाधनों से इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाली मातृशक्ति संगीता फरासी समाज के लिए मिसाल से कम नहीं हैं। जहाँ एक तरफ सरकारी शिक्षक सुगम दुर्गम के लिए सरकार से लड़ते देखे जाते हैं वहीं संगीता जैसी शिक्षिका भी है जो सरकारी सेवा के बाद अपने समाज के लिए…

   

Abhay kaintura अभय कैंतुरा
● अभय कैंतुरा

श्रीनगर। कुछ लोग सदैव समाज सेवा को समर्पित रहते हैं उन्हें इन बातों से मतलब नही रहता कि उनके कार्यों का कोई प्रचार प्रसार हो भी रहा या नही, या फिर वो स्वयं के अपने कार्य अथवा नौकरी के अतिरिक्त सदैव समाज को संवारने में चुपचाप लगे रहते हैं।

शिक्षिका संगीता फरासी भी एक ऐसी महिला हैं। जो स्वयं सरकारी शिक्षक होने के बावजूद भी अपनी ड्यूटी के बाद समाज के पिछड़े, गरीब, असहाय बच्चों को शिक्षा देती हैं, उनके लालन पालन में उन्हें सहायता करती हैं। खिर्सू ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय गहण की शिक्षिका का परिवार श्रीनगर के अपर बाजार में रहता है। इनके पति बीआरओ में तैनात है।

Sangita kothiyal farasi srinagarपहाड़ की यह शिक्षिका आज मिसाल बन गई सबके लिए ! श्रीनगर गढ़वाल की संगीता जला रही है उम्मीद की एक अलग लौ । ● गरीब बच्चों को शिक्षा की अलख जागाती संगीता । वंचित बच्चों के भविष्य को संवारने का काम कर रही है, विशेषकर, गरीब बच्चें, झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए संगीता एक देवदूत ही कही जाएगी, बिना किसी सरकारी सहायता या किसी भी अन्य सहायता के अपने संसाधनों से इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाली मातृशक्ति संगीता फरासी समाज के लिए मिसाल से कम नहीं हैं। जहाँ एक तरफ सरकारी शिक्षक सुगम दुर्गम के लिए सरकार से लड़ते देखे जाते हैं वहीं संगीता जैसी शिक्षिका भी है जो सरकारी सेवा के बाद अपने समाज के लिए...

संगीता कोठियाल फरासी वर्षो से समाज के वंचित बच्चों के भविष्य को संवारने का काम कर रही है, विशेषकर, गरीब बच्चें, झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए संगीता एक देवदूत ही कही जाएगी, बिना किसी सरकारी सहायता या किसी भी अन्य सहायता के

Sangita kothiyal farasi srinagarपहाड़ की यह शिक्षिका आज मिसाल बन गई सबके लिए ! श्रीनगर गढ़वाल की संगीता जला रही है उम्मीद की एक अलग लौ । ● गरीब बच्चों को शिक्षा की अलख जागाती संगीता । वंचित बच्चों के भविष्य को संवारने का काम कर रही है, विशेषकर, गरीब बच्चें, झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए संगीता एक देवदूत ही कही जाएगी, बिना किसी सरकारी सहायता या किसी भी अन्य सहायता के अपने संसाधनों से इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाली मातृशक्ति संगीता फरासी समाज के लिए मिसाल से कम नहीं हैं। जहाँ एक तरफ सरकारी शिक्षक सुगम दुर्गम के लिए सरकार से लड़ते देखे जाते हैं वहीं संगीता जैसी शिक्षिका भी है जो सरकारी सेवा के बाद अपने समाज के लिए...

अपने संसाधनों से इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाली मातृशक्ति संगीता फरासी समाज के लिए मिसाल से कम नहीं हैं। जहाँ एक तरफ सरकारी शिक्षक सुगम दुर्गम के लिए सरकार से लड़ते देखे जाते हैं वहीं संगीता जैसी शिक्षिका भी है जो सरकारी सेवा के बाद अपने समाज के लिए एक बड़ी मिशाल बन चुकी है।
 

By Editor