देहरादून की सोनिया लड़कों से है परेशान । अब तो उसकी क्लास में जाने लगे हैं नशेड़ी मनचले । हर माँ बाप ध्यान दीजिए कहीं सोनिया आपकी ही बेटी तो नहीं है । देहरादून की सोनिया लड़कों से है परेशान । अब तो उसकी क्लास में जाने लगे हैं नशेड़ी मनचले । हर माँ बाप ध्यान दीजिए कहीं सोनिया आपकी ही बेटी तो नहीं है । 

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नशे में धुत आवारा मनचले लड़के अब तो सोनिया की क्लास में घुसने लगे हैं । आखिर कब तक सहमी रहेगी सोनिया ! 

खबरदार ! हर माँ बाप ध्यान दीजिए कहीं सोनिया आपकी ही बेटी तो नहीं है । 

बहुत दिनों बाद अपने दोस्त से मिलने का मौका मिला ।  हम जब कभी भी मिलते हैं तो कुछ न कुछ अपने अनुभवों को आपस में साझा भी करते हैं । जैसा कि हर कोई करता ही है , आप भी जरूर करते हैं । बहरहाल इस बार मेरे दोस्त ने जो किस्सा सुनाया वो वाकही समाज के लिए बेहद चिंता जनक है । आज देशभर में छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर उम्रदराज महिलाओं के साथ में बेहद विकृत घटनाएं घट रही हैं । लेकिन सिर्फ दर्जनभर कैंडिल, कुछ बैनरों के साथ सड़कों पर उतरने से कुछ नहीं होने वाला है । बल्कि आने वाली घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि आप भी परिवार या बेटियों को समय दीजिए । मेरे दोस्त के सामने की एक सच्ची घटना का वर्णन आगे पढ़ें । घटना देहरादून की है । 

अवनीश मलासी Avanish Malasi . Encroachment : सरकार की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में ! विधायक गणेश जोशी, खजानदास सहित अन्य के अनुरोध पर सरकार रुकवाएगी अतिक्रमण अभियान । youth icon यूथ आइकॉन मीडिया
अवनीश मलासी

उस दिन की शुरुआत भी आम दिनों जैसी ही हुई थी। मैं जब सुबह की पहली क्लास ले रहा था, तो तभी अचानक से एक क्लास का दरवाज़ा खुला । मैंने मुड़ कर देखा तो एक 20-21 साल का एक अनजान युवक भरी क्लास में मेरे सामने खड़ा था। और वह खुद को क्लास में बैठी एक स्टूडेंट (सोनिया) का भाई बता रहा था । लेकिन उसकी लड़खड़ाती जुबान और मुंह से आते भभके से यह मालूम हो गया था कि वह नशे में है ।
कक्षा में बैठी सोनिया जिसे वह अपनी बहिन बता रहा था वह भी नशेड़ी युवक के बर्ताव से घबराने के अलावा असहज हो गई थी ।
मैंने उसे पूछा कि “क्या ये वाकही आपका भाई है ?”
लड़की ने धीमी आवाज में कहा हाँ….!

लेकिन फिर भी जब संदेह हुआ तो मैंने क्लास में बैठी लड़की से बात करनी चाही कि आखिर बात क्या है ? तो तभी बाहर खड़ा एक और नशेड़ी युवक सीधे क्लास में आ धमका और कहने लगा कि सोनिया मेरी गर्ल फ्रेंड है । यानी कि नशे में धुत 20 से 21 साल के युवक का साफ संदेश था कि लड़की मेरी गर्लफ्रैंड है और वह जब चाहे जहां चाहे उसे मिलने या लेने आ सकता है । इस पीढ़ी का यह दुस्साहस देखकर मैं हतप्रभ था ।

देहरादून की सोनिया लड़कों से है परेशान । अब तो उसकी क्लास में जाने लगे हैं नशेड़ी मनचले । हर माँ बाप ध्यान दीजिए कहीं सोनिया आपकी ही बेटी तो नहीं है । 
देहरादून की सोनिया लड़कों से है परेशान । फोटो : कॉन्सेप्ट

खैर …. वह दोनों नशेड़ी लड़के, लड़की को क्लास में देखने आए और न जाने इस व्यवहार से वे क्या संदेश देकर अचानक से बाहर चले गए, समझ से परे था ।
फिर मैं भी पढ़ाने लगा । साथ ही साथ यह सोचने लगा कि कहीं यह लड़की जो क्लास में बैठी है वह किसी बड़ी मुसीबत में तो नहीं आने वाली है । मनचले नशेड़ी लड़कों के इस व्यवहार से मन में खयाल आने लगा कि कहीं इन लड़ाकों की वजह से लड़की की जान को खतरा तो नहीं ! कहीं वह ब्लैकमेल तो नहीं की जा रही है । जैसा कि आप सब लोग भी जानते ही हैं आजकल पूरे देश में जिस्मानी हवस को लेकर लड़कियों के साथ किस तरह की विकृत घटनाओं को मनचलों द्वारा अंजाम दिया जा रहा है । सोच-सोचकर मेरी घबराहट बढ़ रही थी । एक अजीब सी दुविधा मन में थी कि यह बात किसे बताऊं जिससे लड़की के सुरक्षित हो सके । लेकिन मैंने निश्चय किया कि क्लास खत्म होने के बाद पहले सच्चाई मैं स्वयं सोनिया से जानने की कोशिश करूंगा ।

क्लास खत्म हुई इस बीच अन्य स्टूडेंट अपने अपने सवालों की जानकारी लेने मेरे पास आए जिसमें करीब 10 मिनट का समय लग गया था । जिसके बाद मैंने अब सोनिया को ढूंढा जिसे मिलने नशेड़ी मनचले युवक सीधे क्लास में घुस आए थे । तो पता चला कि लड़की बेहद शर्मिंदगी में सबकी नजरों से बचती-बचाती संस्थान से बाहर चले गई है ।

लेकिन लगभग आधे पौने घंटे बाद जब मैं अपने एक सेंटर से दूसरे सेंटर जा रहा था तो मुझे फिर से रास्ते में सोनिया  और साथ में वे दोनों लड़के नजर आये, मैंने रुक कर जानने की कोशिश की मगर मुझे देख कर सोनिया वहाँ से बेहद तेज़ गति से एक्टिवा चलाते हुए भाग निकली और एक ट्रक से टकराते-टकराते बची। अब ये सब देख कर मुझे हालात की गंभीरता का अंदाजा हो ही गया था।
लम्बे समय से युवाओं के साथ काम करते हुए मैं इतना कह सकता था कि सब कुछ सामान्य नहीं है। लेकिन कुछ भी कहने से पहले मैं स्थिति को समझ लेना चाहता था। इसलिए मैं अगले दिन उससे बात करनी की सोच ली थी। लेकिन मुझे अंदेशा था कि, क्या वो अगले दिन क्लास में आयेगी?

दिनभर में सुबह की उस बात के बारे मैं सोचता रहा। उस लड़के ने उसे अपनी गर्लफ्रैंड कहा था। मैं इस बात से बिल्कुल भी परेशान नहीं था, क्योंकि ये वर्तमान समय के अनुसार एक सामान्य परिदृश्य है। युवक युवतियों के प्रेम सम्बन्ध कोई असमान्य घटना नहीं है। लेकिन जिस रिश्ते में सम्मान न हो, जहाँ अधिकार छीन कर लेने की कोशिश हो, जहाँ भावनाओं की कोई कद्र न हो, ऐसे संबंध घुटन का कारण बनने लगते हैं।

अगले दिन सोनिया को क्लास में देख कर में खुश था। क्लास सामान्य रूप से लेने के बाद मैंने उसे ऑफिस में बुलाया और उसका हाल जानने की कोशिश की।

इतने में सोनिया ने कहा-
सर जो कल हुआ उसके लिए सॉरी, वो मेरा भाई गलत संगत में पड़ गया है।
कोई बात नहीं बेटा, आप ठीक हो?
हाँ सर मैं ठीक हूँ।
आपका अपना भाई है?
सर बुआ का बेटा है।
आपने अपनी बुआ को बताया, जो कल हुआ?
नहीं सर वो मार खायेगा।
लेकिन बेटा, हो सकता है उसके घर वाले उसका ट्रीटमेंट करवाएं। उसे नशा मुक्ति केंद्र भेजें। उसकी हालत बहुत खराब है। आपको उसके घर पर बात कर उसकी हेल्प करनी चाहिए।
ok सर
वो दुसरा लड़का कौन था?
सर उनका ही फ़्रेंड था। वो गलत संगत में है सर।
देखो बेटा, सच बताओ क्या आप किसी प्रॉब्लम में हो। आपको कोई ब्लैकमेल या फिर किसी और तरीके से परेशान तो नहीं कर रहा?

कुछ देर की खामोशी के बाद ….

सर वो मेरा बॉयफ्रेंड है, लेकिन अब मैं इन सब से निकलना चाहती हूँ। उसने मुझे कहा था। just give me one chance. और मैंने उसे दिया। ……
but now I regret..

क्या अब वो आपको ब्लैकमेल कर रहा है?
सर वो कहता है, अगर तूने मुझसे बात नहीं की तो मैं तेरे घर आ जाऊंगा। तेरे सेंटर में आ जाऊंगा। सर मेरी फैमिली बहुत स्ट्रिक्ट है। लेकिन सर अब वो यहां नही आएगा। मैन उससे कहा है, मैं बात करने को तैयार हूं। तू बस मेरे घर और सेंटर पर मत आना।

देहरादून की सोनिया लड़कों से है परेशान । अब तो उसकी क्लास में जाने लगे हैं नशेड़ी मनचले । हर माँ बाप ध्यान दीजिए कहीं सोनिया आपकी ही बेटी तो नहीं है । 
अब तो उसकी क्लास में जाने लगे हैं नशेड़ी मनचले । हर माँ बाप ध्यान दीजिए कहीं सोनिया आपकी ही बेटी तो नहीं है ।

बेटा कितने समझौते करोगी। अपने घर पर बात करो। घर वाले आपका बुरा नहीं चाहते। किसी और के डर से अच्छा है, घर वालों का डर। उनसे बात करो। अगर कुछ गलत हुआ है तो घर वालों से माफी माँगो। जो हमको जन्म दे सकते हैं, वो हमें माफी भी दे सकते हैं।

नही सर वो कभी नहीं समझते। इसी लिए तो मैंने उससे फ़्रेंडशिप की थी, कि कोई तो मुझे समझेगा। सर अगर घर वालों का डर नहीं होता तो शायद मैंने कल के बाद कोचिंग छोड़ दी होती।

ये तो अच्छा डर है, आप कुछ गलत करने से बच गई।
इसके बाद मैंने उससे समझाया कि वो डरे नहीं। डट कर मुकाबला करे। और अगर जरूरी हुआ तो पुलिस में भी रिपोर्ट लिखवाए। लेकिन एक तो वो किसी का बुरा नही चाहती थी, दूसरा उसे अपने परिवार के सपोर्ट का बिल्कुल भी यकीन नहीं था।

एसे में प्रश्न उठता है कि क्या आज हम अपने बच्चों से इतने दूर हो गए हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी वो हमें अपनी परेशानी नहीं बता पाते हैं। आप समाज को अपने नजरिए से देख कर गलत और सही के निर्णय में कहीं किसी मासूम से उसका बचपन तो नहीं छीन रहे हैं? कहीं आपका बच्चा या बच्ची ऐसे समय पर अकेला तो नहीं महसूस कर रहा जब उसे आपकी बेहद जरूरत है? बच्चों को संस्कार दीजिये प्रहार नहीं। ये घटना आज के समाज में जाने किनते ही बच्चियों की होगी। माता पिता और बच्चों में अविश्वास होना एक गंभीर समस्या है। जिसका यथा संभव निराकरण होना चाहिये।

 

(नोट : लड़की वास्तविक नाम नहीं खोला गया है । सोनिया काल्पनिक नाम रखा गया है । घटना सच्ची है जिसे कि दोस्त के द्वारा बताई गई घटना के आधार पर लिखा गया है ।)

By Editor

3 thoughts on “देहरादून की सोनिया लड़कों से है परेशान । अब तो उसकी क्लास में जाने लगे हैं नशेड़ी मनचले । हर माँ बाप ध्यान दीजिए कहीं सोनिया आपकी ही बेटी तो नहीं है । ”
  1. यह बड़ी गंभीर स्थिति है| अभिभावकों और बच्चों के बीच बढ़ती दूरी ऐसी समस्याओं का मूल है| तीन वर्ष की उम्र में एक “अच्छे” स्कूल में दाखिला करवाने और स्कूल के बाद उसकी “ट्यूशन” का इंतजाम करने के बाद अभिभावक बच्चे की शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था करके अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं| यहीं से दोनों के बीच दूरी पैदा होने लगती है| इसके बाद माता-पिता का उनके बच्चों के साथ आमना-सामना होता है, तो वह अधिकांशतः बच्चों द्वारा किसी चीज की मांग करने पर, या बच्चों की कोई शिकायत मिलने पर अथवा कुछ ख़ास मौकों पर स्कूल द्वारा उनका समय मांगे जाने पर होता है| बच्चों के साथ एक-आध घंटे का समय देना आज के अभिभावकों की दिनचर्या का हिस्सा नहीं है| परिवार द्वारा बच्चों को अच्छे संस्कार देने की ज़रुरत को आज के अभिभावक महत्वहीन समझने लगे हैं| स्कूल प्रबंधन, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ इस विषय पर आए दिन मेरा वार्तालाप होता है और समस्या की गंभीरता को देखते हुए मैं ऐसे अवसरों की खोज करता रहता हूँ| और जब कभी भी अवसर मिलता है तो मैं बड़े विश्वास और ज़िम्मेदारी के साथ सभी से यह कहता हूँ किशोरों के जीवन में इस प्रकार की संकटपूर्ण स्थितियां उत्पन्न करने के लिए परिवार के वतावारण (विशेषकर माता-पिता और बच्चों के बीच संबंधों में मधुरता, विश्वास, सम्मान और तालमेल की कमी) सबसे अधिक ज़िम्मेदार है और इसके लिए बच्चों को दोष नहीं दिया जा सकता| एकमात्र उपाय यह है कि अभिभावक अपने तौर-तरीकों में बदलाव करें और अपनी दिनचर्या में बच्चों के लिए समय का प्रावधान करें| इसके अतिरिक्त कोई उपाय नहीं है| अभिभावकों द्वारा समाज, शिक्षण संस्थानों के वातावरण और शिक्षा-व्यवस्था को दोषी ठहराया जाना एक प्रकार से अपने दायित्व से पलायन का प्रतीक है|

  2. A SECURITY SHELTER MUST BE GIVEN TO SO CALLED SONIA NOT TO BE HELPLESS. POLICE SHOULD INITIATE THE MATTER BY TAKING SELF NOTICE OF THIS CRIME MAY TAKE PLACE AT ANY TIME. NOW THIS IS NOT THE MATTER OF ONLY SONIA BUT OF THE CIVILIZED SOCIETY TOO AS THE ACCUSED CAN BE ENCOURASED BY NO ACTION NEITHER FROM SONIA NOR FROM CIVIL SOCIETY AS WELL AS BY POLICE ADMINISTRATION. DRUG CONSUPTION IS ONE OF THE CRIME DIFINED IN IPC & CRPC THEN HOW THEY ARE ROAMING ARROUND LIKE UNBRIDULLED HORSE.

  3. देहरादून वास्तव में नशे का केंद्र बन रहा है,कई युवक इस दल-दल में फॅस कर अपने शरीर के साथ-साथ अपने भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। ड्रग्स माफिया सक्रिय है हो सकता है पुलिस की भी मिलीभगत भी हो वरना ये धंधा इतना फलफूल नहीं सकता। दूसरा पहलू माॅ- बाप द्वारा बेतहाशा कमाया काला धन जिगर के टुकड़े को कोई सवाल है और पैसों के हिसाब को पूछने से रोकता है। हम सभी को सजगता दिखानी होगी,और बहरी सरकार जो गाडियाँ में एक जगह से दूसरी जगह शराब बेचने के धंधे में ज्यादा दिलचस्पी दिखाती हो ,को एक एहसास दिलाना चाहिए कि कहीं आपका बच्चा भी कहीं इसी नवजवान की तरह नशे की इसी हालात में न मिल जाए………….। जय जोशी लंदन ,यूके

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