Sukama : जवानों के गुप्तांग भी काटे गए ! पुलिस के आला अधिकारियों ने इस घटना का खंडन नहीं किया है, कहा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का है इंतज़ार ।Logo Youth icon Yi National Media Hindi

  • करीब 6 जवानों के गुप्तागों को काट दिया गया था : सूत्र
  • छ्त्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारियों ने इस घटना का खंडन नहीं किया है लेकिन कहा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का इंतज़ार करना होगा।
  • माओवादियों की इस कार्रवाई को बस्तर के इस इलाके में महिलाओं के साथ कथित बलात्कार की घटना से जोड़कर देखा जा रहा है।
  • नक्सलियों के हमले में हुई इस कार्रवाई को कथित मानवाधिकार उल्लंघन से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले कुछ वक्त में बस्तर के गांवों में सुरक्षा बलों औऱ पुलिस द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे।
Senior journalist Hridayesh Joshi, Chhattishgarh Sukama : जवानों के गुप्तांग भी काटे गए ! पुलिस के आला अधिकारियों ने इस घटना का खंडन नहीं किया है, कहा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का है इंतज़ार ।
Hridayesh Joshi, Senior journalist

त्तीसगढ़ के सुकमा में 25 जवानों के मारे जाने के बाद अब नक्सलियों द्वारा सीआरपीएफ के जवानों के अंग काटे जाने की बात सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक गांव वालों और पुलिस के कुछ लोगों ने मौके पर गये स्थानीय पत्रकारों को बताया की करीब 6 जवानों के गुप्तागों को काट दिया गया था। कुछ जवानों के हाथ भी काटे जाने की बात सामने आ रही हैं। माओवादियों की इस कार्रवाई को बस्तर के इस इलाके में महिलाओं के साथ कथित बलात्कार की घटना से जोड़कर देखा जा रहा है। छ्त्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारियों ने इस घटना का खंडन नहीं किया है लेकिन कहा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का इंतज़ार करना होगा। हालांकि मंगलवार को मीडिया को दिये एक बयान में सीआरपीएफ के डीआईजी डीपी उपाध्याय ने जवानों के साथ बर्बरता की बात मानी थी लेकिन सीआरपीएफ के कार्यवाहक डीजी सुदीप लखटकिया ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वो अभी कुछ नहीं कह सकते।

सुकमा ज़िले के बुरकापाल गांव में सोमवार को नक्सली हमले में मारे गये जवानों की तस्वीरें छत्तीसगढ़ के अखबार नई दुनिया ने छापी। इसके साथ ही कुछ वेब पोर्टलों में खबर आई। इन खबरों में जवानों के गुप्तागों को काटा बताया गया है। नक्सलियों के हमले में हुई इस कार्रवाई को कथित मानवाधिकार उल्लंघन से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले कुछ वक्त में बस्तर के गांवों में सुरक्षा बलों औऱ पुलिस द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे। घटनास्थल से कुछ ही दूर चिंतागुफा गांव में कुछ दिन पहले सीआरपीएफ के जवानों पर14 साल की एक नाबालिक लड़की के साथ रेप का आरोप लगा। गांव वालों ने न केवल इसके खिलाफ प्रदर्शन किया बल्कि मीडिया वालों के कैमरों के आगे बयान भी दर्ज कराया।

दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नंदिनी सुंदर ने कहा, “चिंतागुफा मामले  में पीड़ितों ने मुझे शिकायत भेजी थी और मैंने उसे मानवाधिकार आयोग को दिया है।” सवाल है कि क्या जवानों के साथ ये क्रूरता इन्हीं घटनाओं का नतीजा है। किसानों के अधिकार और बस्तर में मानवाधिकार के लिये काम कर रहे संकेत ठाकुर का कहना है, “असल में चिंतागुफा की घटना कोई एक घटना नहीं है। 11 मार्च को सुकमा के ही भेज्जी के पास 12 जवानों को नक्सलियों ने मारा। उसके बाद से उस इलाके में सीआरपीएफ लगातार कार्रवाई कर रही है। माओवादियों की ये हरकत (गुप्तांग काटना) सुरक्षा बलों के खिलाफ बदले की कार्रवाई हो सकती है। हम नक्सिलयों की क्रूरता की जमकर निंदा करते हैं।”

छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजी (नक्सल ऑपरेशन) डीएम अवस्थी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, “हम इस बारे में अभी कोई बयान नहीं दे सकते। इस बारे में हमें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार करना पड़ेगा।” उधर सीआरपीएफ के कार्यवाहक डीजी सुदीप लखटकिया ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते और उन्हें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है। हालांकि सीआरपीएफ के ही एक डीआईजी ने कैमरा पर बयान दिया था कि जवानों के शवों के साथ बर्बरता हुई है।

By Editor