The festival of Phooldei : सिर्फ बातें नहीं कुछ ख़ास कर दिखाना है जिद्द मेरी . Shashi Bhshan Mathani ParasThe festival of Phooldei : सिर्फ बातें नहीं कुछ ख़ास कर दिखाना है जिद्द मेरी . Shashi Bhshan Mathani Paras

The festival of Phooldei, Culture of Uttarakhand : सिर्फ बातें नहीं कुछ ख़ास कर दिखाना है जिद्द मेरी .Logo Youth icon Yi National Media Hindi

*क्या आप मेरी इस मुहीम में मेरे साथ हैं ?

The festival of Phooldei : सिर्फ बातें नहीं कुछ ख़ास कर दिखाना है जिद्द मेरी . Shashi Bhshan Mathani Paras
The festival of Phooldei . Culture of Uttarakhand
shashi bhushan maithani paras editor and director Youth icon yi national media
शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ संस्थापक रंगोली आंदोलन

#दैनिक_जागरण समाचार पत्र का विशेष धन्यवाद आज 9 मार्च के अंक में पेज नंबर 11 पर दैनिक जागरण ने जागरण विशेष कॉलम में मेरी मुहीम रंगोली आंदोलन को स्थान दिया है ।
दरअसल 15 मार्च को उत्तराखंड में #फूल_देई_पर्व #फूल_फूल_माई है और मैंने पिछले तीन वर्षों से पहाड़ की इस खूबसूरत परम्परा को अपनी विशेष मुहीम रंगोली आंदोलन के तहत संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है । तीन साल पहले मैंने इस बाल पर्व की शुरुआत हिल फाउंडेशन स्कूल से आरम्भ की थी और दो साल से लगातार कुछ स्कूलों के बच्चों के सहयोग से बच्चों की अलग-अलग टोली बनाकर कर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में घर घर जाकर घरों पुष्प वर्षा भी करवाता हूँ । मेरी इस मुहीम में आज दर्जनों स्कूल जुड़ चुके हैं । आप लोग पिछले वर्षों की कुछ फोटो ग्राफ इस पोस्ट में देख सकते हैं ।
मैं यहाँ यह भी स्पष्ट करना चाहूंगा कि मेरी आज कोई भी NGO / संस्था नहीं है । इस बात का जिक्र इसलिए मैं कर रहा हूँ क्योंकि पिछले एक दो साल से कुछ लोगों को यह गलत फहमी है कि शशि भूषण मैठाणी की कोई बड़ी NGO है जिसमे उसे सरकार या वर्ल्ड बैंक से फंडिंग होती है । लेकिन आज आप सबको बताना चाहूंगा कि मैं वर्ष 1992 से विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मुहीम चलाता रहता हूँ लेकिन कभी भी संस्था रजिस्टर्ड करवाने की नहीं सोची । और संस्था न बनाने के पीछे भी एक वजह है दरअसल 1996 में, मैं जब देहरादून स्थित रजिस्ट्रार कार्यालय में संस्था बनाने हेतु कुछ तैयार दस्तावेज लेकर गया तो तब वहां मौजूद एक बाबू ने मुझसे 3 हजार स्टाफ के लिए व 2 हजार अंदर बैठे साहब के लिए घूस मांगी तो तभी मैंने उसके हाथ से अपने पेपर छीने और उसी की टेबल पर फाड़ दिए थे । उसी वक़्त यह संकल्प लिया कि अब मै कभी भी NGO नहीं बनाऊंगा । और तब से आज तक बिना NGO के अपनी विभिन्न मुहीम को चला रहा हूँ जिसमे मुझे आपमें से कई रचनाकर्मियों, संस्कृतिकर्मियों, लेखकों , पत्रकारों , समाजसेवियों का शाररिक और मानसिक सहयोग मिलता रहता है । इसी हफ्ते भाई Manoj Istwal जी ने भी अपने सुन्दर आलेख में रंगोली आंदोलन की मुहिम का विस्तार से वर्णन किया था मैं उनका भी विशेष आभारी हूँ ।

#दैनिक_जागरण समाचार पत्र का विशेष धन्यवाद आज 9 मार्च के अंक में पेज नंबर 11 पर दैनिक जागरण ने जागरण विशेष कॉलम में मेरी मुहीम रंगोली आंदोलन को स्थान दिया है ।
#दैनिक_जागरण समाचार पत्र का विशेष धन्यवाद आज 9 मार्च के अंक में पेज नंबर 11 पर दैनिक जागरण ने जागरण विशेष कॉलम में मेरी मुहीम रंगोली आंदोलन को स्थान दिया है ।

मैं अपनी भिन्न भिन्न मुहीम के लिए आर्थिक व्यवस्था अपने संसाधनों से स्वयं तो करता ही हूँ साथ ही कई लोग जिन्हें मेरा काम समझ आता है वह मुझे नगद पैसा न देकर अलग अलग मद में मदद कर लेते हैं उनका भी मैं सदैव आभारी हूँ ।

बाकी कुछ लोग जो कभी सहयोग तो नहीं कर पाते हैं पर बे-वजह बहुत कुछ इधर उधर का भी सोच लेते हैं लेकिन उनकी सोच भी मुझे और अधिक ऊर्जावान बना देती है इसलिए उनका भी विशेष धन्यवाद ।

और आज मेरा आग्रह है आप सभी से कि आप भी 15 मार्च को अपने -अपने बच्चों के हाथ में फूलों की टोकरी देकर आस-पड़ोस के घरों में फूल डलवाने के लिए भेजें । और अगर जो लोग 15 मार्च को देहरादून में अपने बच्चों को मेरी टोली में शामिल करना चाहते हैं वह भी संपर्क करें ।

#दैनिक_जागरण समाचार पत्र का विशेष धन्यवाद आज 9 मार्च के अंक में पेज नंबर 11 पर दैनिक जागरण ने जागरण विशेष कॉलम में मेरी मुहीम रंगोली आंदोलन को स्थान दिया है ।
#दैनिक_जागरण समाचार पत्र का विशेष धन्यवाद आज 9 मार्च के अंक में पेज नंबर 11 पर दैनिक जागरण ने जागरण विशेष कॉलम में  रंगोली आंदोलन की मुहीम को स्थान दिया है ।

मेरी रंगोली की टोली राजभवन से फूलपर्व की शुरुआत करेगी फिर राजपुर रोड, बलबीर रोड , तेगबहादुर रोड, बसन्त बिहार, इंद्रानगर, पटेल नगर , के घरों के अलावा अमर उजाला , दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, राष्ट्रिय सहारा, सहित अन्य संस्थानों पर भी जाकर फूल बरसाएंगे ।

खूबसूरत बालपर्व के अवसर पर देहरादून के एक घर में जब पहुंची बच्चों की यह टोली तो मिले उन्हें उफार ।
खूबसूरत बालपर्व के अवसर पर देहरादून के एक घर में जब पहुंची बच्चों की यह टोली तो मिले उन्हें उफार ।

इस मुहीम में शहर के दर्जन भर स्कूलों के बच्चे रंग बिरंगी पोशाक पहनकर हाथों में फूलों की टोकरी लेकर चलेंगे । इस दिन बच्चों को परम्परानुसार गेहूं और चावल तो शगुन में मिलेगा ही साथ ही उन्हें घर घर से सुन्दर सुन्दर उपहार भी मिलेंगे ।
आप लोग फोटो में देखिए ये सभी बच्चे मेरी मुहीम का हिस्सा हैं जो हर साल शहर में इस पर्व को व्यपकता दे रहे हैं । साथ ही मै डी आई एस , मैपलबियर कनेडियन स्कूल, हिल फाउंडेशन स्कूल, दून इंटर नेशनल स्कूल सहित अन्य सभी सहयोगियों का भी विशेष आभारी हूँ जिनके सहयोग के बिना इस मिशन को व्यापकता देना मेरे अकेले बस में नहीं था ।
तो चलो देर किस बात की आओ खेलें फूलों की होली बच्चों के संग 15 मार्च का दिन भूलिएगा नहीं ।

फुल फुल माई दाल द्ये चौंळ द्ये खुल खुल खाज्जा ।

आज ही संपर्क करें
शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
संस्थापक
रंगोली आंदोलन
आयोजक
फूलदेई पर्व
9756838527
7060214681
9412029205

By Editor

One thought on “The festival of Phooldei, Culture of Uttarakhand : सिर्फ बातें नहीं कुछ ख़ास कर दिखाना है जिद्द मेरी .”
  1. फूल देई प्रोग्राम का आयोजन बहुत ही शानदार हे

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