Unhygienic Diplomatic Politics पर ठोको ताली : क्रिकेट के मैदान पर अब्बल और राजनीतिक मैदान में डब्बल सिद्धू । क्या रोड रेज प्रकरण में क्रिकेटर से बने राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक भविष्य की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है..?Unhygienic Diplomatic Politics पर ठोको ताली : क्रिकेट के मैदान पर अब्बल और राजनीतिक मैदान में डब्बल सिद्धू । क्या रोड रेज प्रकरण में क्रिकेटर से बने राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक भविष्य की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है..?

Unhygienic Diplomatic Politics पर ठोको ताली : क्रिकेट के मैदान पर अब्बल और राजनीतिक मैदान में डब्बल सिद्धू ।

 

क्या रोड रेज प्रकरण में क्रिकेटर से बने राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक भविष्य की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है..?

हिमांशु पुरोहित । Himanshu Purohit । youth icon media । news । report । Yi award । shashi bhushan maithani paras । यूथ आइकॉन । शशि भूषण मैठाणी पारस । Avikasit Bhroon Gairsain : शहीदों के रक्त से संचित और आज की सियासत का एक अविकसित भ्रूण "गैरसैंण" 
हिमांशु पुरोहित । 

नवजोत सिंह सिद्धू शब्दों का जादूगर, एक बेहतरीन व्यंगकार, अगर राजनीति में न होते तो यथातथ्य आलोचक, क्रिकेटर, पॉलिटीशियन, कमेंटेटर, एंटरटेनर…और न जाने क्या-क्या कलाओं के धनि हैं सिद्धू । लेकिन कभी-कभी ऐसी शख्सियत अपने किरदार से हट एक ऐसा रूप भी ले लेती है जिसको नजरंदाज भी नहीं किया जा सकता ।

Unhygienic Diplomatic Politics पर ठोको ताली : क्रिकेट के मैदान पर अब्बल और राजनीतिक मैदान में डब्बल सिद्धू । क्या रोड रेज प्रकरण में क्रिकेटर से बने राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक भविष्य की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है..?

कहानी तक़रीबन 30 साल पुरानी है जब राजनीति की परिभाषा भी पढ़ कर नहीं बोल पाते थे सिद्धू । क्रिकेट जगत में सौहरत शिखर चढ़ रही थी । एकाएक एक शाम कुछ घटा कि सिद्धू की दुनिया ही सिमट गयी थी । नवजोत सिंह सिद्धू  की जिस पर एक बुज़र्ग की हत्या का मामला दर्ज है । जिसे चलते उनको जेल भी जाना पड़ा था । बात 27 दिसम्बर 1988 की उस शाम की जिसने बाद में सिद्धू के राजनीतिक सफर का आगाज तक़रीबन शुरू ही हो गया था । सिद्धू उस समय क्रिकेटर थे ।  इंटरनेशनल करियर में एक साल का सफर बीत चूका था । उस दिन देर शाम दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ वो पटियाला के शेरावाले गेट की मार्किट पहुंचे थे । वहां कार पार्किंग के लिए स्व. गुरनाम सिंह से तू-तू, मैं-मैं शुरू होती है, जो फिर हाथापाई तक जा पहुंचती है । इस झगड़े में स्व. गुरनाम सिंह घायल हो जाते हैं, जिनका अस्पताल में डॉक्टरी देखभाल के समय दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है । लेकिन ठोस सबूत न होने के कारण उन्हें 1999 में पटियाला सत्र न्यायाधीश ने बरी कर दिया जाता है । फिर राज्य सरकार और मृतक के पुत्र ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी ।

और यहीं से शुरू हुआ एक सियासी किरदार, वो वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली (वर्तमान वित्त मंत्री भारत सरकार) के सम्पर्क में आये और 2004 में भाजपा को गले लगा लिया और अमृतसर लोकसभा सीट के राजसी किरदार बन बैठे । लेकिन फिर भी सिद्धु और उनके मित्र संधू को 2006 में उच्च न्यायालय जेल ने 304 (द्वितीय) (हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए हत्या) के तहत तीन साल की सजा सुनाई गई । जिस वजह से उनको सांसद पद से इस्तीफा देना पड़ा । लेकिन सिद्धू ने, जेटली का हाथ थाम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसने अपनी सजा को रोक दिया और जनवरी 2007 में सजा को मुअत्तल कर दिया गया । और फरवरी 2007 में सिद्धू को अमृतसर लोकसभा सीट से दुबारा चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी।
इसके बाद 2007 में हुए उप-चुनाव में उन्होंने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के पंजाब राज्य के पूर्व वित्त मन्त्री सुरिन्दर सिंगला को भारी अन्तर से हराकर अमृतसर की यह सीट पुनः हथिया ली। फिर 2009 के आम चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को हरा अमृतसर की सीट पर तीसरी बार विजय हासिल की ।
इसी बीच देश 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर आगाज हुआ और एक बार फिर सिद्धू अमृतसर लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी ठोकते दिखाई दिए आखिरकार गढ़ था उनका अमृतसर । लेकिन इस बार बीजेपी ने पंजाब की सबसे हॉट सीट अमृतसर पर सिद्धू के बजाय जेटली पर पासा खेलना चाहा, जिससे सिद्धू नाराज हो गये । उन्होंने फिर भी बीजेपी आलाकमान का सम्मान करते हुए मोदी लहर का अपने शब्दों से खूब प्रचार किया और व्यंगबाजी कई बार कांग्रेस आलाकमान सोनिया गाँधी, मनमोहन सिंह, यहां तक कि इतिहास में लिखे कांग्रेसी नेताओं नामों का भी खूब मजाक उड़ाया लेकिन दिल मैं ठीस तो बाकि थी । पंजाब 2017 विधानसभा चुनाव को देख उन्होंने बीजेपी से बागी होने का मन बना लिया और कभी आम आदमी की भूमिका में दिखाई दिए तो कभी अपने नये दल की शुरुआत की दलीलों में सुनाई दिए । लेकिन अंत में कांग्रेस का दामन थाम पंजाब 2017 विधानसभा चुनाव में अमृतसर (पूर्व) से विधायक बने और वर्तमान में पंजाब में कांग्रेस के विजय के बाद पंजाब सरकार में कला, पर्यटन, संस्कृति मंत्री के रूप में कार्यरत हैं ।

लेकिन एक बार फिर कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में उन्होंने अपने शब्दों के बाणों से बीजेपी पर प्रहार किये, यहां तक कि सोनिया गांधी पर आरोप लगाने वाले सिद्धू उनके चरणवंदन करते दिखाए दिए और भरे अधिवेशन में मन मोहन सिंह से माफ़ी मांगते नजर आये ।

लेकिन कैसा छलावायुक्त परिधान है सियासत का ?

जब सिद्धू पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप था तब यही कांग्रेस निचली अदालत के फैसले से बरी सिद्धू को उच्चतम अदालत में चुनौती देने पहुँच गयी थी और  फिर  तब सिद्धू को उच्चतम अदालत ने 3-3 साल की सजा सुना दी थी । सजा के दिन ही सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने जेटली और वकील हरीश साल्वे के साथ जमानत की अर्जी डाल दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए  उनको जमानत देने का फैसला किया !
और राजनीति का फेर देखिए अब सिद्दू कांग्रेस अधिवेशन  में बीजेपी  पर जमकर कटाक्ष कर रहे हैं ।  जिसके बाद अब यह भी चर्चा है कि  बुरे वक्त में सिद्दू के काम आई   बीजेपी इस बार सिद्धू को उनकी असलियत बताने का पूरा मन बना लिया है ।  सुनने में तो यह भी आ रहा है कि 2006 से दबे केस की फाइल से धुल  हटाने का काम जल्दी शुरू हो सकता है जिससे सिद्धू की मुसीबत थोड़ी नहीं बहुत अधिक बढ़ सकती है ।

इरादा क्या है जनाब आपका क्योंकि…… ठोको ताली

By Editor