यौन पिपासा को शांत करने का ये फार्मूला कहीं आपको मुशीबत में न डाल दे । समलैंगिकता के बाद अब विवाहेत्तर संबधों वाले कानून को किया खारिज । छिड़ी बहस ! Adultery Law 497 Supreme court ने समाप्त किया । youth icon media । shashi bhushan maithani parasयौन पिपासा को शांत करने का ये फार्मूला कहीं आपको मुशीबत में न डाल दे । समलैंगिकता के बाद अब विवाहेत्तर संबधों वाले कानून को किया खारिज । छिड़ी बहस ! Adultery Law 497 Supreme court ने समाप्त किया । youth icon media । shashi bhushan maithani paras
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यौन पिपासा को शांत करने का ये फार्मूला कहीं आपको मुशीबत में न डाल दे ।

समलैंगिकता के बाद अब विवाहेत्तर संबधों वाले कानून को किया खारिज । छिड़ी बहस ! 

 

शशि भूषण मैठाणी "पारस" Shashi Bhushan Maithani Paras संपादक यूथ आइकॉन । Editor Youth icon media Award . Dehradun . Maithana . Chamoli . Joshimath . Gopeshwar .
शशि भूषण मैठाणी “पारस” 

कुछ दिन पहले ही हिंदुस्तान की सर्वोच्च अदालत ने दो युवकों / वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए शारारिक यौन संबंध को आपराधिक कृत्य बताने वाली आईपीसी की धारा-377 समाप्त को समाप्त कर दिया ।  अब आपसी रजामंदी से मेल भी आपस में खूब खेल सकते हैं ।

जबकि  पहले 377 के मुताबिक इस तरह के अप्राकृतिक शारारिक यौन सबंधो को स्थापित करने वाले को उम्रकैद या जुर्माने के साथ 10 वर्ष तक सजा का प्राविधान था ।

अब एक और ऐसा ही फैसला जिसने भारतीय समाज की विवाह परम्परा को समाप्त कर दिया ।  ऐसा कुछ लोगों का मानना है । विवाह परम्परा पति पत्नी के संबंधों को स्थायित्व प्रदान करता है । परन्तु अब देश की सर्वोच्च अदालत ने विवाह के बाद गैर मर्द या गैर महिला से स्थापित संबंधों को भी अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है । 27 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट की पांच माननीय न्यायाधीशों वाली पीठ ने IPC की धारा 497 को अपराध की श्रेणि से निर्गत करने का आदेश दे दिया है।  जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि , “तो क्या अब नाजायज़ भी जायज़ हो जाएंगे !”

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यौन पिपासा को शांत करने का ये फार्मूला कहीं आपको मुशीबत में न डाल दे ।

 

 

कोर्ट के फैसले को एकतरफा न समझें : 

लेकिन ध्यान रहे माननीय कोर्ट के आदेश को एक तरफा समझकर ज्यादा न झूलें । माननीय कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि, धारा हटाई गई है परन्तु इस तरह के संबंध तलाक का कारण भी माने जाएंगे । मतलब कि पति और पत्नी ये  आपकी मर्जी है कि आप दोनों बाहर कहीं भी मुँह मारो लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि आपका वैवाहिक जीवन फिर सुरक्षित रहेगा । इस तरह के जायज संबंध आपके परिवार में टूट का कारण भी होगा ।

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इसलिए जो लोग ख़ुशी भी झूम रहे हैं वो एक नाव के होते हुए दूसरी नाव में सवार होने से पहले थोड़ा विचार भी कर लें । कहीं ऐसा न हो कि बाहर यौन पिपासा शांत करने के बाद ,  अंदर के दरवाजे आपके लिए हमेशा के लिए बंद हो जाएं ।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या और क्यों  दिया फैसला ? ध्यान से पढ़ें । 

हिन्दुस्तान की सर्वोच्च अदालत ने 27 सितम्बर 2018 को अपना  ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एडल्ट्री (व्यभिचार) कानून को खारिज़ कर दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले के तहत इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि महिला का सम्मान सबसे ऊंचा है ।

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Supreme court

महिला का मालिक पुरुष कैसे हो सकता है । इस लिहाज से पति किसी भी दशा में पत्नी का मालिक नहीं हो सकता है । और भारतीय दंड संहिता की धारा 497 किसी भी पुरुष को महिला / पत्नी के साथ मनमानी का अधिकार देने वाला है । लिहाजा माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि विवाहेतर स्थापित यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं हो सकता। इसलिए एडल्ट्री कानून को संवैधानिक नहीं माना जा सकता है । कोर्ट के फैसले में यह भी स्पष्ट है कि पुरुष या महिला जो कि पति पत्नी हैं और अगर उनके अन्यत्र अवैध संबंध हैं तो यह उनके तलाक के लिए आधार माना जाएगा ।

महिला की ख़ुदकुशी पुरुष को पहुंचा सकती है जेल : 

कोर्ट ने फैसले में यह भी साफ – साफ व्यवस्था दी है कि पत्नी अपने जीवन में व्यभिचार के कारण आत्महत्या कर लेती है तो , साक्ष्य प्रस्तुत करने के पश्चात उक्त मामले को महिला को खुदकुशी के लिए उकसाने वाला माना जाएगा, जिसमें कि जांच के पश्चात दोषी को सजा का भी प्राविधान है।
व्यभिचार (एडल्ट्री) पर यह ऐतिहासिक फैसला पांच जजों की बेंच में दिया गया । जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा शामिल थे । बेंच ने अपने अहम फैसले में IPC की धारा 497 को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का आदेश दे दिया ।

और अब छिड़ गई बहस ! महिला के अन्यत्र संबंधों में कानूनी स्थिति क्या रहेगी अब ?

कल यानी 27 सितम्बर 2018 को जैसे ही हिंदुस्तान की उच्च अदालत ने एडल्ट्री कानून पर अपना फैसला दिया तो उसके बाद सोशल मीडिया से लेकर अन्य तमाम संचार तंत्रों के माध्यम से जोरदार बहस भी शुरू हो गई है । आम लोग यह जानना चाहते हैं कि अवैध संबंधों के चलते महिला की ख़ुदकुशी मामले में जांच होगी और दोषी को सजा दी जाएगी , और अगर समान स्थिति में पुरुष आत्महत्या करता है तो क्या तब भी कोई जांच और सजा का प्राविधान रखा गया है ? जब महिला पुरुष को समान माना गया है तो फिर एक ही मामले में कानून भिन्न भिन्न क्यों ?
कुछ लोगों ने माना कि 158 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 497 में भारतीय विवाह परम्परा के साथ साथ परिवार और समाज की सुरक्षा भी थी जिसके अंतर्गत महिला हो या पुरुष दोनों द्वारा विवाहेतर संबंधों को अपराध माना गया था। परन्तु अब जिस तरह का फैसला आया है उससे समाज में विकृति आएगी परिवारों में विघटन बढ़ेगा ।

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By Editor

One thought on “यौन पिपासा को शांत करने का ये फार्मूला कहीं आपको मुशीबत में न डाल दे । समलैंगिकता के बाद अब विवाहेत्तर संबधों वाले कानून को किया खारिज । छिड़ी बहस ! Adultery Law 497 Supreme court ने समाप्त किया ।”
  1. वाकेही भारतीय संस्कृति खतरे मे है जो भारत की पहचान है। लन्दन वाले भारतीय संस्कृति के कायल है और हम पश्चिम सभ्यता के गुलाम होते जा रहे हैं

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