अर्जुन व अन्नू के जब्बे को सलाम । बहिनों को बचाने के लिए करते रहे प्रयास। devendra rawat gopeshwar देवेंद्र रावत गोपेश्वर रिपोर्टअर्जुन व अन्नू के जब्बे को सलाम । बहिनों को बचाने के लिए करते रहे प्रयास। devendra rawat gopeshwar देवेंद्र रावत गोपेश्वर रिपोर्ट

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बहिनों के इन्तजार में अर्जुन व अन्नू के जब्बे को सलाम । बहिनों को बचाने के लिए करते रहे प्रयास।

अर्जुन व अन्नू के जब्बे को सलाम । बहिनों को बचाने के लिए करते रहे प्रयास। devendra rawat gopeshwar देवेंद्र रावत गोपेश्वर रिपोर्ट◆ देवेंद्र रावत वरिष्ठ पत्रकार ।
◆ देवेंद्र रावत वरिष्ठ पत्रकार ।

आज भाई बहिन के प्यार ,स्नेह व भरोशे का रिश्ता रक्षा बंधन है । बहिन भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और भाई अपनी बहिन की सुरक्षा का वचन देता है । लेकिन आज नन्हें अर्जुन की पथराई आंखे बार बार अपनी बहिनों को खोज रही है ।  चंद रोज पहले अर्जुन अपनी जिन बहिनों के साथ खेल रहा था वो अब इस दुनियां में ही नहीं हैं । अर्जुन के सामने ही उसकी बहिनें दुनियाँ से हमेशा हमेशा के लिए विदा हो गई । मासूम से अर्जुन को यह दुःख है कि वह कई कोशिशों के बाबजूद भी विधाता के क्रूर मजाक से उन्हें न बचा सका । आज अर्जुन तड़प रहा है अपनी बहिनों की राखी पाने व पहनने के लिए । उसकी आँखें हरदम आंसुओं से डबडबाई हुई हैं । मासूम बच्चे की तड़प व बहिनों के लिए कभी खत्म न होने वाला इंतजार देख इलाके के लोग भी भावुक हो रहे हैं ।  

दरअसल बादल फटने से, 12 अगस्त के तड़के अचानक  मलवा आने से ग्राम लाखी के छाती नामक तोक में शकर लाल की दो बेटिंयां व एक भांजे की मृत्यु हो गई थी इस घर में भाई बहिनों के साथ सो रहे शकर लाल का 10 वर्षीय पुत्र अर्जुन 10 व 12 वर्षीय भतीजा अनु भी उन भाग्यशाली लोगों में थे जो कालग्रास होने से बच गए थे। इन किशोरों ने हिम्मत व जज्बे को सभी सलाम कर रहे हैं। 

बादल की.गर्जना व मलबा आने की आहट से अर्जुन व अनू ने अपनी छोटी बहिनों को खतरे से बचाने का प्रयास किया परंतु वे समय पर नहीं उठे । घर

अर्जुन व अन्नू के जब्बे को सलाम । बहिनों को बचाने के लिए करते रहे प्रयास। devendra rawat gopeshwar देवेंद्र रावत गोपेश्वर रिपोर्ट

का दरवाजा मलबे के चलते नहीं खुला तो दोनों भाई, आनन फ़ानन मे मकान के रोशन दान से बाहर निकले , उन्होंने घर के अंदर फंसे दो बहिनों व एक पुफेरे भाई को बचाने के लिए रैस्क्यू का प्रयास किया , लेकिन भारी मलबा आने से अर्जुन के कमर पर चोट आ गयी मकान अकेली जगह पर होने व तेज बारीश के चलते दोनो भाई ने फिर भी साहस किया ओर घर से आधा किमी दूरी तय कर लोगों को सूचित किया, तथा ग्रामीणों के साथ मकान के अंदर दबे परिजनों को निकालने की आखरी कोशिश की ।

अर्जुन की मां तीन वर्ष पहले इस दुनिया से चले गयी, अर्जुन अपनी बहिनों से बहुत प्यार करता था तथा उन्हे हर वक्त खुश रखने का प्रयास करता था । आपदा के बाद अर्जुन मौत के उस कब्रगाह बने भवन को निहारता अक्सर देखा जा रहा है मानों उसे बहिनों के लौटने का इंतजार हो ।

By Editor

2 thoughts on “पथराई आंखों से बहिनों का इंतजार ! नन्हें अर्जुन व अन्नू के जब्बे को सलाम । बहिनों को बचाने के लिए करते रहे प्रयास।”
  1. बहुत ही हिर्दय पूर्ण स्टोरी
    धन्य है आप पाठकों तक जानकारी पहुंचाने के लिये

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