बदरीनाथ के कपाट खुलते ही देशभर से पहुंचे श्रद्धालु भगवान के दर्शनों के लिए मंदिर मे प्रवेश करते हुए ।
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Astha ke dwar : खुल गए बदरीनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए …..!       

Shashi Bhushan Maithani 'Paras' Youth icon Yi Report
Shashi Bhushan Maithani ‘Paras’
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बेसब्री से कपाट खुलने का इंतजार करते भक्त ।
बेसब्री से कपाट खुलने का इंतजार करते भक्त ।
शुभमुहूर्त में बदरीनाथ के कपाट खुलते ही देशभर से पहुंचे श्रद्धालु भगवान के दर्शनों के लिए मंदिर मे प्रवेश करते हुए ।
शुभमुहूर्त में बदरीनाथ के कपाट खुलते ही देशभर से पहुंचे श्रद्धालु भगवान के दर्शनों के लिए मंदिर मे प्रवेश करते हुए ।

करोड़ों हिंदुओं के आस्था के प्रतीक भगवान बदरीविशाल के कपाट आज सुबह ब्रह्ममुहूर्त में धार्मिक परंपरानुसार एक बार फिर से ग्रीष्मकाल में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये गए हैं । चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे विशाल हिमशिखरों के मध्य अलकनंदा के तट पर विराजित भगवान बदरीविशाल का भव्य मंदिर । मंदिर के मस्तक पर लहराती ऊंची पताका अपनी बुलंदी की कहानी आप सुनाती है । और इसी भव्य मंदिर के गर्भगृह में पद्मासन मुद्रा में विराजित है, भगवान विष्णु-नारायण का वह रूप जो कलियुग की आहट के साथ ही शिलारूप में मूर्तिवत हो गया था । धार्मिक मान्यतानुसार बदरीनाथ क्षेत्र को मोक्ष का धाम भी कहा जाता है । यह भी मान्यता है कि यहाँ पर तपस्या में लीन भगवान विष्णु की पूजा छ: माह तक शीतकाल में देवर्षि नारद जी करते हैं और फिर छ: माह के लिए ग्रीष्मकाल में मनुष्यों द्वारा बदरीनारायण की पूजा करने का विधान है ।  और इसी धार्मिक मान्यता के क्रम में आज एक बार फिर से भगवान के द्वार पर मनुष्यों ने दस्तक दे दी है । क्योंकि आज भगवान बदरीविशाल के कपाट खुल गए हैं और अब अगले छ: माह तक भगवान की पूजा अर्चना का अधिकार देवर्षि नारद जी से मनुष्यों को मिल गया है ।

फोटो में दिख रहा फूल मालाओं से सुसज्जित खूबसूरत मंदिर और उसके बाहर बदरीनाथ भगवान का सिंहद्वार जो आज सुबह वैदिक मंत्रोचारण ,वेद-ऋचाओं और भक्तों के जयकारों के बीच, ठीक 4 बजकर 35 मिनट पर शुभलग्न में भक्तों के प्रवेश हेतु खोल दिये गए हैं । इस बीच बदरी क्षेत्र में देश-विदेश से जुटे भक्तों का उत्साह भी देखते ही बन रहा था । कड़ाके की ठंड के बीच मध्यरात्रि से ही लोग नंगे पाँव घंटो कतार में खड़े होकर भगवान बदरीविशाल के पहले दर्शन पाने के लिए अपनी-अपनी बारी का इंतजार करते दिखे । यह भगवान की महिमा ही है कि बर्फीली हवाओं के बीच भी भक्तो आस्था डगमगाती नहीं है ।

परंपरानुसार बदरीनाथ में दक्षिण भारत से नंबूदरीपाद ब्राहमण ही भगवान के पूजारी होते हैं, और एकमात्र उन्हें ही मंदिर के गर्भगृह में जाने व भगवान के मूर्ति को स्पर्श करने का अधिकार प्राप्त है । केरल के नंबूदरी ब्राहमण मुख्य रावल जी द्वारा कपाट खुलेने से पहले बेहद ही रोचक परंपरा का निर्वहन किया जाता है । वह इस दिन महिलाओं का वेश धारणरण माता लक्ष्मी जी की सहेली बनते हैं और फिर माता लक्ष्मी की मूर्ति को बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर दाएं भाग के लक्ष्मी मंदिर में विराजित करते हैं । माता लक्ष्मी जी की पूजा डिमरी ब्राहम्ण ही करते है ।

बदरीनाथ में मुख्य रावल द्वारा ही प्रतिदिन भगवान के विग्रह का स्नान कर शृंगार किया जाता है और तत्पश्चात आरती व भोग लगाया जाता है । दक्षिण भारत के ब्राहमण के साथ सहायक के तौर पर स्थानीय डिमरी ब्राहमण भी होता है, लेकिन डिमरी ब्राहमण को भी भगवान बदरीनाथ सहित पंचायत मे विराजित देवताओं को स्पर्श करने का अधिकार नहीं है ।

छ: माह बाद जब आज सुबह बदरीनाथ के कपाट एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए खुले तो मोक्ष की नगरी बदरी क्षेत्र गूंज उठी भक्तों के जयकारों से । इस बीच भारतीय सेना के जवानों के द्वारा बजाई गई बैंड की धुनों से भी माहौल भक्तिमय हो गया था ।

वहीं कपाट खुलने के अवसर पर पहले ही दिन बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की रिकार्ड भीड़ दर्ज हुई जिससे स्थानीय व्यवसाईयों के भी चेहरे खिल उठे हैं ।

*शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ 

Copyright: Youth icon Yi National Creative Media . 11.05.2016, 

By Editor

3 thoughts on “Astha ke dwar : खुल गए बदरीनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए …..!”
  1. बहुत ही सूंदर एवम् विस्तृत वर्णन

    “जय बद्रीविशाल”

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