बदरीनाथ कपाट खुलने से पहले निभाई जाती है यह धार्मिक परंपरा । जोशीमठ
Youth icon Yi National Creative Media Report
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Garud Wahan : गरुड़ पर सवार होकर चल दिए नारायण बदरीनाथ धाम ...!

Ashish Dimri , Youth Icon Yi Report Joshimath Uttrakhand
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बदरीनाथ कपाट खुलने से पहले निभाई जाती है यह धार्मिक परंपरा । जोशीमठ
बदरीनाथ कपाट खुलने से पहले निभाई जाती है यह धार्मिक परंपरा । जोशीमठ

भगवान नारायण अपने प्रिय वाहन गरुड़ पर सवार होकर चल पड़े बदरीविशाल के धाम । धार्मिक मान्यतानुसार भगवान बदरीनारायण के शीतकालीन पूजा स्थल जोशीमठ स्थित श्री नृसिंह मंदिर से हर वर्ष नारायण भगवान को बदरीधाम के लिए उन्हें उनके प्रिय वाहन गरुड़ पर सवार कर विदा किए जाने की परंपरा है ।

कपाट खुलने से पहले जोशीमठ में यह बेहद ही आकर्षक व रोचक परंपरा निभाई जाती है जिसे गरुड़ छाड़ा कहते हैं । भगवान की इस शानदार विदाई समारोह के गवाह बनते है हजारों भक्त । इस अवसर पर देश भर के भक्त भी यहाँ जुटते हैं ।

भगवान श्री बद्रीनारायण की विदाई पूजा विधान मे सबसे पहले एक ऊंचाई वाले

नृसिंह मंदिर जोशीमठ से बदरीनाथ के लिए प्रस्थान करते केरल के नंबुदरी पाद ब्राह्मण मुख्य पुजारी रावल ।
नृसिंह मंदिर जोशीमठ से बदरीनाथ के लिए प्रस्थान करते केरल के नंबुदरी पाद ब्राह्मण मुख्य पुजारी रावल ।

हिस्से से ढलान में 500 मीटर की रस्सी बांधी जाती है जबकि विष्णुवाहन गरुड़ पर भगवान नारायण को विराजित करते है । फिर ऊंचाई वाले हिस्से से रस्सी के साहरे भगवान की प्रतीकात्मक प्रतिमा को गरुड़ जी के पीठ पर बैठाकर धीरे-धीरे उतारा जाता है । इस बीच पूरा का पूरा माहौल नारायण-नारायण के उद्घोष के बीच भक्तिमय हो जाता है । पूरा वातावरण देवमय हो जाता है ।

भगवान बदरीविशाल जी के कपाट खुलने से पहले इसी तरह की कई अन्य परम्पराओ का भी निर्वहन होता है । और उन्ही में से एक खूबसूरत परंपरा यह भी है ।  मान्यतानुसार आज के दिन से भगवान अब अगले छ माह तक अपने प्रिय धाम बदरी के लिए प्रस्थान करते जाते हैं । इस परंपरा के साथ ही आरंभ हो जाती है श्री बदरीनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया ।

Copyright : Youth icon Yi National Creative Media 10.05.2016

By Editor