dispute will resolve ? क्या सुलझ पाएगा परिसंपत्ति विवाद...?dispute will resolve ? क्या सुलझ पाएगा परिसंपत्ति विवाद...?

dispute will resolve ? क्या सुलझ पाएगा परिसंपत्ति Logo Youth icon Yi National Media Hindiविवाद…?

Pooja Doriyal 

Dehradun 20 March 2017, भले ही उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग हुए 16 साल पूरे हो चुके है मगर दोनो ही राज्यो के बीच परिसंपत्ति विवाद अभी तक नही सुलझ पाए है. वही अब उत्तर प्रदेश में मुख्यमत्री के तौर पर महंत योगी आदित्यनाथ के शपथ लेते ही पिछले 16 वर्षो से चल रहे इस विवाद की

dispute will resolve ? क्या सुलझ पाएगा परिसंपत्ति विवाद...?
तो  क्या अब उम्मीद की जानी चाहिए कि सुलझ जाएगा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्ति विवाद…?

सुलझनें की उम्मीदे तेज हो गई है.

9 नवंबर सन् 2000 को भले ही उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ हो मगर बटवारे के बाद से लेकर अब तक दोनो राज्यो के बीच में परिसंपत्ति का विवाद नही सुलझ पाया है. वही अब योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश की जनता की उम्मदे बढ गई है. योगी आदित्यनाथ के उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तराखंड की उम्मीदों का दायरा बढ़ गया है. उम्मीदो का ये दायरा सीधे बढकर अब उत्तर प्रदेश तक जा पहुचा है. इसकी सीधी सपाट वजह यह है कि फायर ब्रांड मुख्यंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही पूर्वांचल के नेता हों, लेकिन मूल रूप से वे उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पंचूर गांव के हैं. उनके माता-पिता तथा अन्य परिजन आज भी इसी गांव में रहते हैं. वही इसके पीछे जानकार दूसरी अहम वजह ये भी मानकर चल रहे है कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में एक ऐसी सरकार का नेतृत्व कर रहे है जो पूर्ण बहुमत की है वही ऐसे में प्रदेश की जनता उम्मीद कर रही है कि बडे भाई की भूमिका निभाते हुए उत्तर प्रदेश अब तमाम अनसुलझे मुद्दो को सुलझा देगा. राज्य गठन के सोलह साल बीतने के बाद भी दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे समेत तमाम मु्द्दे अनसुलझे पड़े हैं. जमीन से लेकर नहरों, झीलों, सरकारी एवं रिहायशी भवनों तथा कई विभागों की हजारों करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियां हैं, जो उत्तराखंड में होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के नियंत्रण में हैं. अकेले सिंचाई विभाग की ही बात करें तो लगभग 13000 हैक्टेयर जमीन को लेकर दोनों प्रदेश आमने-सामने हैं. इसके अलावा 3 बड़े बैराज, 40 के करीब नहरें, 14 हजार के करीब भवन तथा परिवहन विभाग से जुड़ी करोड़ों रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों को लेकर भी दोनों के बीच विवाद है. और तो और कार्मिकों के बंटवारे और पेंशन का मसला भी अभी तक अनसुलझा ही है. इतने सालों तक भी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इन मसलों का हल नहीं तलाश पाए हैं. बीते 16 सालो में ना तो कभी ऐसा मौका आया है जब दोनो राज्यो में एक ही दल की सरकार रही हो वही कही ना कही इन विवादो के ना सुलझनें की वजह कमजोर राजनैतिक इच्छाशक्ति भी रही है. लेकिन राज्यगठन के बाद यह पहला मौका है जब दोनों राज्यों में न केवल एक ही दल की सरकार है बल्कि दोनों के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ और त्रिवेंद्र एक ही राज्य में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं. वही इससे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है. वही चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने प्रदेश की जनता को अपने पक्ष में वोट देने के लिए जो नारा, दिया कि ‘अटल जी ने बनाया, है और मोदी संवारेंगे उसे फलीभूत करने के लिए भी इससे मुफीद स्थिति कोई और नहीं हो सकती है। परिसंपत्तियों के बंटवारे संबंधी कई विवाद केंद्र सरकार तक पहुंचे हुए भी हैं, ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्र इन्हें सुलझाने में सक्रियता दिखाएगा।

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By Editor

One thought on “dispute will resolve ? क्या सुलझ पाएगा परिसंपत्ति विवाद…?”
  1. अब समय आ गया है जब सहारनपुर को भी उत्तराखंड में शामिल किया जाना चाहिए। इससे सहारनपुर का भी विकास होगा और उत्तराखंड को भी ITC जैसी कम्पनियों से बहुत टैक्स मिलेगा।

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