Gauri Mishra in Jharkhand : उत्तराखंड की बेटी ने झारखंड में उठाए सवाल ! देश से पूछा महोदय यह कैसा दिवस ? किस बात का माना रहे हो जश्न ?  बोली गौरी जब देश में नहीं हैं सुरक्षित नौनिहाल तो इस जश्न के मायने क्या हैं ? Gauri Mishra in Jharkhand : उत्तराखंड की बेटी ने झारखंड में उठाए सवाल ! देश से पूछा महोदय यह कैसा दिवस ? किस बात का माना रहे हो जश्न ?  बोली गौरी जब देश में नहीं हैं सुरक्षित नौनिहाल तो इस जश्न के मायने क्या हैं ? 

Gauri Mishra in Jharkhand : उत्तराखंड की बेटी ने झारखंड में उठाए सवाल ! देश से पूछा महोदय यह कैसा दिवस ? किस बात का मना रहे हो जश्न ?  बोली गौरी जब देश में नहीं हैं सुरक्षित नौनिहाल तो इस जश्न के मायने क्या हैं ? 

 

 

उत्तराखंड की ये बेटी जब झारखंड में बोली तो क्या आम और क्या खास वह पलभर में सबकी चहेती बन गई । बताते चलें कि बीते रोज बाल दिवस के अवसर पर  झारखंड में हुए विराट कवि सम्मेलन में मूल रूप से नैनीताल हल्द्वानी  की होनहार प्रतिभाशाली  लाडली  बेटी गौरी मिश्रा को काव्य पाठ के लिए  आमंत्रित  किया गया था । झारखंड में आयोजित हुए विराट कवि सम्मेलन में देशभर से सिद्धहस्त कवियों का संगम हुआ । सबने अपना अपना काव्य पाठ किया लेकिन जब उत्तराखंड की बेटी ने मंच संभाला तो  खचाखच भरा  दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और तब सबकी जुबान से एक ही शब्द निकाला शाबास बेटी । 

पवन दूबे

यह तो आप सभी को मालूम ही है कि देश में १४ नवम्बर को बाल दिवस के रूप में  मनाया जाता है और पूरे देश में मनाया भी गया। लेकिन अभी हाल ही में देश में हुई कुछ घटनाओं को देख कर बाल दिवस मनाना किसी प्रकार उचित नहीं लगता है यह कहना है देश की सुप्रसिद्ध कवियित्री गौरी मिश्रा का।

गौरी ने झारखण्ड राज्य में आयोजित अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन में व्यथित मन से कहा कि हम बाल दिवस मनाने की बात करते हैं लेकिन क्या हमारे देश में मासूम बच्चे जो देश का भविष्य तय करेंगे आगे चलकर वह सुरक्षित हैं? बाल दिवस मतलब बच्चों का दिन, बच्चों कि दुनिया जो हमारे बीच अब सुरक्षित नहीं रही अब अफसोस है इसका।

कहा कि अभी कुछ ही समय पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कई बच्चों ने आक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ दिया। कितना

Gauri Mishra in Jharkhand : उत्तराखंड की बेटी ने झारखंड में उठाए सवाल ! देश से पूछा महोदय यह कैसा दिवस ? किस बात का माना रहे हो जश्न ?  बोली गौरी जब देश में नहीं हैं सुरक्षित नौनिहाल तो इस जश्न के मायने क्या हैं ? 
Gauri Mishra in Jharkhand : उत्तराखंड की बेटी ने झारखंड में उठाए सवाल ! देश से पूछा महोदय यह कैसा दिवस ? किस बात का मना रहे हो जश्न ?  बोली गौरी जब देश में नहीं हैं सुरक्षित नौनिहाल तो इस जश्न के मायने क्या हैं ?

दु:खद और भयानक मंजर था वह जब लगातार बच्चे एक-एक सांस के लिए दम तोड़ रहे थे। हरियाणा के एक स्कूल में मासूम प्रद्युम्न की निर्मम हत्या कर दी जाती है। मासूमों के साथ रेप जैसी घटनाएं तक आए दिन देश में कहीं न कहीं सामने आते रहती हैं।

गौरी ने सम्पूर्ण देश के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया कि हम किस तरह का बाल दिवस मना रहे हैं? बाल दिवस नहीं बाल दिवस के नाम पर कलंक ही है जब हम अपने देश में नवजात से लेकर नौजवानों तक जो हमारे देश का भविष्य हैं हमारा कल है आज हम उनको सुरक्षित नहीं रख सकते हैं तो किस बात का बाल दिवस।

गौरी ने काव्यमंच से सभी को प्रण दिलाया कि आज से हम सब मिलकर के हमारे देश के नौनिहालों की सुरक्षा करेंगे ताकि हमारे देश का भविष्य उनके रूप में सुरक्षित रहे और उज्जवल हो। हर बच्चा सुकून की सांस ले सके, हर माता-पिता अपने बच्चों के प्रति निश्चिन्त रह सकें। अपने बच्चों को अच्छे संस्कार व अच्छा ज्ञान देंगे जिससे वह आगे भविष्य में सुन्दर कल रचने में जरा भी संकोच न करें।

गौरी अपने खुशी के पल हमेशा असहाय व उन बच्चों के साथ साझा करती हैं जिनका अपना कोई नहीं चाहे वह उनका जन्मदिन हो या कोई अन्य खुशी का मौका या कोई पर्व, वह पहुंच जाती हैं बच्चों के पास और उनको अपने हाथ से मिठाईयाँ, खाना खिलाती हैं, उनके साथ समय बिताती हैं। वास्तव में गौरी का कथन बिल्कुल सत्य है कि जब तक हमारे देश के बच्चे सुरक्षित नहीं होंगे तब तक बाल दिवस के कोई मायने नहीं हैं। देश की सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए।

By Editor

3 thoughts on “Gauri Mishra in Jharkhand : उत्तराखंड की बेटी ने झारखंड में उठाए सवाल ! देश से पूछा महोदय यह कैसा दिवस ? किस बात का मना रहे हो जश्न ?  बोली गौरी जब देश में नहीं हैं सुरक्षित नौनिहाल तो इस जश्न के मायने क्या हैं ? ”
  1. नमन है , मैंने कविता तिवारी को सुना है गौरी को नहीं पर फेशबुक के माध्यम से कविता का स्नेह जो गौरी के लिए झलका , तो वास्तव में कविता के ही समतुल्य ये बिटिया भी होगी ।

  2. नमन है , मैंने कविता तिवारी को सुना है गौरी को नहीं पर फेशबुक के माध्यम से कविता का स्नेह जो गौरी के लिए झलका , तो वास्तव में कविता के ही समतुल्य ये बिटिया भी होगी ।
    यमुनाशंकरपाण्डेय,,

  3. गौरी जी बहुत सही कहा अपने हमारे देश का भविष्य पर खतरा है। बाल दिवस सिर्फ उन बच्चों के लिए जो स्कूल से जुड़े है। गरीब बच्चों को कोई स्पोर्ट नहीं है।देश को अपने मंच से नई सोच दी है ।

Comments are closed.