Youth icon Yi media award Swami Rama Himalayan University Second Convocation : SRHU द्वितीय दीक्षांत समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति बैंकया नायडू ।  shashi bhushan MaithaniYouth icon Yi media award Swami Rama Himalayan University Second Convocation : SRHU द्वितीय दीक्षांत समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति बैंकया नायडू ।  shashi bhushan Maithani

Swami Rama Himalayan University Second Convocation : SRHU द्वितीय दीक्षांत समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति बैंकया नायडू । 

* उपराष्ट्रपति ने कहा  माँ, मातृभूमि व मातृभाषा का सदैव सम्मान करें । 
* उपराष्ट्रपति नायडू, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में सम्बोधित कर रहे थे ।
* समारोह में उत्तराखंड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री भी रहे उपस्थित । 

…….. तो तब मैंने भी हिंदी का विरोध सड़कों पर किया था । फिर एक दिन मैंने एक लड़के से पूछा कि यह हिंदी है कहाँ पर तो उसने कहा कि हिंदी डाकघर और रेलवे स्टेशन पर है ।……  मैने स्वयं हिंदी को सीखा फिर हिंदी ने जो जो मुझे अभी तक दिया वो सब आपके सामने है । हिंदी ने मुझे भारत की राष्ट्रीय पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया, भारत सरकार में मंत्री बनाया और अब देश का उपराष्ट्रपति बना दिया । इसलिए जो लोग सोचते हैं हिंदी से कुछ नहीं होता है तो वो लोग गलत हैं । अगर हिंदुस्तान में तरक्की पानी है, और ऊंचा मुकाम हासिल करना है तो हिंदी को भरपूर सम्मान दो और उसे हमेशा साथ लेकर आगे बढ़ो । 

हिंदुस्तान में हिंदी से ही ऊंचा स्थान मिल सकता है : 

Shashi Bhushan Maithani Paras शशि भूषण मैठाणी पारस एडिटर यूथ आइकॉन निदेशक YOUTH ICON NATIONAL MEDIA AWARD YI DEHARADUN
शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’

देहरादून, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में देश उपराष्ट्रपति एम. बैंकया नायडू ने वहां मौजूद छात्रों, अभिभावकों एवं हजारों की संख्या में मौजूद दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि  हमें कभी भी  अपनी मां, अपनी जन्मभूमि, अपनी मातृभाषा व अपने मातृदेश को नहीं भूलना चाहिए ।  श्री नायडू ने कहा कि आज कई लोग अंग्रेजी को बोलकर स्वयं को प्रभावशाली जताने की कोशिस करते हैं । उन्होंने नसीहत दी कि हमें अपनी जड़ों को खोखला होने से बचाना होगा और दिखावे की दुनिया से बाहर निकलना होगा ।  और हकीकत को अपनाना होगा । उपराष्ट्रपति ने कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है जो हमारी आंख की तरह है और अंग्रेजी आंख के ऊपर पहने जाने वाले चश्में की भांति है । कहा कि चश्मा भी जरूरी है पर तब जब उसकी आवश्यकता हो अन्यथा तो वह महज एक शौक से ज्यादा कुछ नहीं है । उन्होंने कहा कि दूसरी भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं है लेकिन अपनी भाषा छोड़ दूसरे को अपनाना भी ठीक नहीं है । उपराष्ट्रपति ने कहा कि माँ शब्द का सम्बोधन दिल की गहराईयों से निकलता है जबकि मम्मी मुंह पर मौजूद  सिर्फ दो होंठों के बीच से निकलता है । उन्होंने कहा कि मातृभाषा में हमारी भावनाएं होती है जो हमें माँ के गृभ से मिली है जिसमें संवेदनाएं और रचनाएं मौजूद होती है । जो कि जीवन के सभी रसों एवं भावों को एक दूसरे के सामने व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम होती हैं । उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि  हर प्रान्त में उस प्रान्त की मातृभाषा, व बोली को प्राइमरी शिक्षा में अनिवार्यतः शामिल किया जाना चाहिए । 

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उपराष्ट्रपति एम बैंकया नायडू ने अपना उदाहरण देते हुए  इसी बीच दर्शकों को बताया कि साऊथ में जब वह छात्र नेता थे तो तब मैंने भी हिंदी का विरोध सड़कों पर किया था । फिर एक दिन मैंने एक लड़के से पूछा कि यह हिंदी है कहाँ पर तो उसने कहा कि हिंदी डाकघर और रेलवे स्टेशन पर है । इसी तरह से उन्होंने कई अन्य उदाहरण मौजूद दर्शकों को उप राष्ट्रपति ने दिए । फिर उन्होंने कहा कि मैने स्वयं हिंदी को सीखा फिर हिंदी ने जो जो मुझे अभी तक दिया वो सब आपके सामने है । कहा कि हिंदी ने मुझे भारत की राष्ट्रीय पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया, भारत सरकार में मंत्री बनाया और अब देश का उपराष्ट्रपति बना दिया । इसलिए जो लोग सोचते हैं हिंदी से कुछ नहीं होता है तो वो लोग गलत हैं । उपराष्ट्रपति ने कहा कि अगर हिंदुस्तान में तरक्की करनी है और ऊंचा मुकाम हासिल करना है तो हिंदी को भरपूर सम्मान दो और उसे हमेशा साथ लेकर आगे बढ़ो ।

छात्र-छात्राएं अनुशासित रहें साथ ही अपनी संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण भी करें : 

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दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्रों को उपराष्ट्रपति बैंकया नायडू ने किया सम्मानित । 

उपराष्ट्रपति एम. बैंकया नायडू  ने दीक्षांत उपाधि पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत व अनुशासन से ही आपके सपने साकार होते हैं। परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। हमें अपनी संस्कृति व परम्पराओं पर गर्व होना चाहिए। भारतीय संस्कृति का आधार सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया व वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रही है। भारतीयों के डीएनए में ही सर्व धर्म समभाव है। हमारी अनेक भाषाएं, बोलियां हो सकती हैं परंतु देश एक ही है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार देना ही नहीं होता है। शिक्षा हमारे मस्तिष्क को आलोकित भी करती है। यह हमें संस्कारवान व सामथ्र्यवान बनाती है। उन्होंने कहा कि मेडिकल का व्यवसाय बहुत ही पवित्र होता है। सदैव याद रखें कि मानव सेवा ही माधव सेवा होती है।

देश बदल रहा है : 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने नए भारत के निर्माण के लिए स्किल इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत मिशन, मेक इन इंडिया, डिजीटल इंडिया कार्यक्रम प्रारम्भ किया हैं। युवाओं की इनमें महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रिफार्म, परफोर्म व ट्रांसफोर्म का मंत्र दिया है। गांवों से होने वाले पलायन को रोकने में पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम का ग्रामीण विकास का पुरा (प्रोवाईडिंग अरबन फेसिलिटीज इन रूरल एरिया) माॅडल सहायक हो सकता है।

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उत्तराखंड के  राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने अपने संबोधन कहा कि वर्तमान युग, ज्ञान का युग है। विश्वविद्यालयों को ज्ञान का सृजन केंद्र बनना होगा। इसके लिए मौलिक व स्तरीय शोध को महत्व देना होगा।
राज्यपाल ने उत्तराखंड पर्वतीय राज्य होने के कारण अवसंरचना संबंधी कठिनाईयां पर प्रकाश डाला राज्यपाल नेे  पहाड़ों से हो रहे पलायन पर चिंता व्यक्त की हालांकि उन्होंने सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है जिसके सुखद परिणाम जल्दी सामने होंगे । राज्यपाल ने स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय को 1200 से अधिक गांव गोद लेने पर बधाई दी।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि अच्छी शिक्षा के साथ हमारी सोच भी सकारात्मक, रचनात्मक और आशा व विश्वास से भरी होनी चाहिए। स्वामी राम ने प्रदेश के एक छोटे से गाॅव में जन्म लेकर अपनी प्रतिभा के बल पर अपने राज्य में इतने बड़े संस्थान को स्थापित किया, जो चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ सुविधा एवं तकनीकि दक्षता के क्षेत्र में प्रदेश की सेवा कर रहा है। उत्तर भारत के लोग भी यहाॅ स्वास्थ्य लाभ ले रहे है, इस संस्थान में शिक्षा का बेहतर वातावरण होने से देश के विभिन्न राज्यों के छात्र यहाॅ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी राम अस्पताल में अपना

CM Triwendra Singh Rawat ! Youth icon Yi media award Swami Rama Himalayan University Second Convocation : SRHU द्वितीय दीक्षांत समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति बैंकया नायडू ।  shashi bhushan Maithani
CM Triwendra Singh Rawat

उपचार कराने वाले अन्य प्रदेशों के लोग जब यहाॅ की अच्छी व्यवस्थाओं का जिक्र करते है तो अच्छा लगता है इससे प्रदेश का भी मान बढ़ता है। उन्होंने युवा चिकित्सकों का आहवान किया कि वे मरीजों के साथ आत्मीयता का व्यवहार करे जिस जगह भी आप चिकित्सा सेवाये द,े वहाॅ बीमारी के इलाज में मानवीय दृष्टिकोण जरूरी है, इससे डाक्टर की गरिमा व महिमा बढ़ जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रचानात्मक कार्यो के प्रति भी ध्यान देना होगा विशेषकर पूर्ण साक्षरता को हासिल करने में उच्च शिक्षित लोग बड़ा योगदान दे सकते है। ‘एक पढ़े-एक पढ़ाये’ की भावना से हम कार्य करे तो देश में कोई अशिक्षित नहीं रह सकता है। उन्होंने स्वामीराम विश्वविद्यालय की प्रशंसा की कि दीक्षांत समारोह में उनके द्वारा भारतीय परिधानों को अपनाने की शुरूआत की गई है।
उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा कि तीन साल में उत्तराखण्ड उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सबसे आगे होगा। राज्य सरकार द्वारा टेलेंट सर्च के माध्यम से चयनित कर 100 छा़त्रों से निशुल्क शोध करवाया जाएगा। इसके साथ ही सभी जनपद मुख्यालयों में 20-20 छात्रों को चयनित कर आई.ए.एस, आईपीएस की परीक्षाओं के लिए कोचिंग दी जाएगी। इसके लिए 80 लाख रूपए की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही प्रदेश में स्थापित 31 विश्वविद्यालयों के लिए एक अम्ब्रेला एक्ट बनाया जाएगा। दीक्षांत समारोह के लिए भारतीय परिधान प्रयोग में लाये जायेगे जिसकी डिजाइन तैयार की गई है।
स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. विजय धस्माना ने विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों, गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि दीक्षांत समारोह में लगभग 400 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई ।

By Editor

One thought on “Swami Rama Himalayan University Second Convocation : SRHU द्वितीय दीक्षांत समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति बैंकया नायडू । ”
  1. राष्ट्रपति महोदय ऐसे प्रेरणादायक भाषण से वास्तव में इस पद को सार्थक कर रहे हैं । जय हिंद जय हिंद की भाषा ।

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