रुद्रप्रयाग की रंजना रावत शहर से पढ़ाई करने के बाद गाँव लौट गई ।

Report By : Jay Prakash kala

“खुद को कनविंस करना सबसे मुश्किल था, मगर फिर एक दिन दिल की सुनी और गांव वाली बस पकड़ ली।” पहाड़ की अर्थव्यवस्था के लिए गांवों से होता पलायन खतरनाक है तो क्यों न गांवो मे ही रोजगार सृजन किया जाए इस बात को ध्यान में रखकर काफी माथापच्ची की। परंपरागत खेती में व्यावसायिक लाभ न के बराबर है इसलिए मशरूम का विकल्प चुना गया।

रुद्रप्रयाग की रंजना रावत शहर से पढ़ाई करने के बाद गाँव लौट गई ।
रुद्रप्रयाग की रंजना रावत शहर से पढ़ाई करने के बाद गाँव लौट गई ।

Women Special : Ranjana Rawat 

 एक अच्छी नौकरी और शानदार करियर का सपना हर युवा की आंखों मे होता है। ऐसा ही कुछ रुद्रप्रयाग जनपद के भीरी गांव की रंजना रावत ने भी सोचा था मगर कहीं न कहीं मन मे कुछ और भी चल रहा था। 24 साल की उम्र में जहां अधिसंख्य युवा अपने भविष्य को चमकाने की तैयारी कर रहे होते हैं ,वहां यह पहाड़ की बेटी एक प्रतिष्ठित फार्मा कंपनी की शानदार व्हाइट कालर जॉब छोड़कर गांव की महिलाओं के बीच रहकर स्थानीय स्तर पर ही रोजगार सृजन का काम कर रही है।

आजकल रुद्रप्रयाग क्षेत्र मे भीरी गांव के श्री डीएस रावत व श्रीमती अनीता रावत की बेटी रंजना चर्चा का मुद्दा बनी हुई है। यूं तो इस क्षेत्र में आधुनिक सोच व तकनीक सुलभ हो चुकी है लेकिन पलायन व शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियां बरकरार हैं। माता पिता की सोच थी कि बेटी को अच्छी शिक्षा देनी है तो हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से 2013 में बीफार्म की डिगरी लेने के बाद देहरादून की प्रतिष्ठित शैरोन बायो मेडिसिन कंपनी में जॉब शुरू कर ली। अच्छी नौकरी और सामने सुनहरा भविष्य, पहाड़ के नौजनानों के लिए एक सपना ही है। “अच्छा लगता था मगर फिर भी कुछ खालीपन सा लगता था। कुछ अलग करने की इच्छा थी पर न कुछ पता था और न ही कोई रास्ता समझ आता था। आरोह फाउंडेशन कालेज के दिनों मे शुरू किया था लेकिन स्वयंसेवी संस्था के काम करने के तौर तरीके मालूम नही थे” रंजना बताती हैं।
डेढ़ साल नौकरी करते हुए ही जहां से संभव हुआ संस्थाओं के काम करने का तरीका सीखा। “खुद को कनविंस करना सबसे मुश्किल था, मगर फिर एक दिन दिल की सुनी और गांव वाली बस पकड़ ली।” पहाड़ की अर्थव्यवस्था के लिए गांवों से होता पलायन खतरनाक है तो क्यों न गांवो मे ही रोजगार सृजन किया जाए इस बात को ध्यान में रखकर काफी माथापच्ची की। परंपरागत खेती में व्यावसायिक लाभ न के बराबर है इसलिए मशरूम का विकल्प चुना गया। ग्वालियर से प्रशिक्षक निहाल चौहान व कुलदीप तोमर को बुलाकर मशरूम उगाने की ट्रेनिंग ली और अपने साथ 35 अन्य साथियों को भी ट्रेनिंग दी। खुद मशरूम उगाई और दूसरों को भी सिखाया। रंजना कहती हैं कि फरवरी महीने में मुंबई मे आयोजित गढ़ कौथिग में हिस्सा लेना एक टर्निंग पाइंट रहा। “अब तक लोग नाक भौं सिकोड़ रहे थे,नौकरी छोड़ने पर ताने मार रहे थे और डिस्करेज कर रहे थे पर अब शायद कुछ प्रेरणा हमें मिलने लगी थी।”

आज रंजना और उनकी टीम को लोग दूर दराज के गांवों से भी मशरूम उगाने की ट्रेनिंग देने के लिए बुलाते हैं, क्योंकि बेहद कम फीस में यह प्रशिक्षण मिल जाता है।  महिला मंगल दलों के लिए तो केवल 200 रुपये प्रति व्यक्ति फीस लेती हैं क्योंकि बीज

रंजना का सम्मान करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान सांसद डा0 रमेश पोखरियाल 'निशंक'
रंजना का सम्मान करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान सांसद डा0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

और आवागमन पर खर्च होता ही है। “हमारा नारा है चलो गांव की ओर, और यह तभी संभव है जब महिलाओं की स्थिति सुधरे”, रंजना कहती है। अब इनकी मुहिम रंग लाने लगी है। इनकी संस्था अब तक 80 लोगों को मशरूम उगाने का प्रशिक्षण दे चुकी है जिनमें से अधिकतर लोग व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर चुके हैं। शुरुआत अच्छी है लेकिन चुनौतियां अभी बाकी हैं। मशरूम खरीदने के लिए अभी मार्केट डेवलप करना है। आगे की योजनाओं पर रंजना बताती हैं कि गांव की सब महिलाओं को साक्षर करना है, अब सड़कें भी गांवों तक पंहुच गई है तो महिलाओं को साइकल चलाना भी सिखाना है। गोबर के उपलों को भी कमर्शियल किया जा सकता है, बस सही मार्गदर्षन मिलता रहे।
पहाड़ की नारी के इरादे भी पहाड़ जैसे बुलंद हैं, बस जरूरत है तो थोड़ी सी हौसलाअफजाई की। आखिर हर बड़े सफर की शुरुआत एक छोटे कदम से ही होती है ना!

  • जयप्रकाश काला    C R – Yi  08.03.2016

By Editor

20 thoughts on “Women Special : वो लड़की जब शहर छोड़ गाँव चली !”
  1. The Land of Our Devbhoomi has divine & super character in its natural effects, purity & taste.
    Hence it is our duty towards our mother land to protect it from its ignorance where the less previlaged countries like Singapore, Dubai,etc has utilized its resources in its optimum way.
    I salute dear Ranjana for her determinations for her this venture which is perhaps need of the hour.
    My best wishes Her and hope a new beginning will arise out of this initiative. If required, I will also be lucky to work for this noble cause.
    Thanks to Shri Maithani ji for highlighting this message to all .
    sincerely your’s
    Prem ballabh semwal r/o Vill. Chulakot, karanprayag,
    Distt. Chamoli, UK , mob.9759981296

    mob.9759981296

  2. Young people should take such initiatives and set examples for entrepreneurship. For all age groups.

    1. Young youth can make possible so called -reverse mgration:::: all the best ranjana rawat

  3. This is the true face of Rural Development and she is the Young Entrepreneur All the very Best to Ranjana Rawat.

  4. isase nishchay hi log sthaniyastar par swarojgar hetu prerit honge tatha hilly area se palayan rokne me madad milegi.

  5. rajna rawat ko youth icon award 2016 diya jana chahiye . mera agrah shashi bhushan maithani ji se

    1. बिल्कुल राज कौशिक जी आपके सुझाव को हम अमल में लाने की पूरी कोशिश करेंगे ।

  6. रंजना जी के साहस और उनके अपनी जडों/मिट्टी से प्रेम को प्रणाम….आज भ्रामक आधुनिकता और साधन उपभोग करने की होड मे ..हम कहॉ आ गये…विचारणीय और चिन्तनीय विषय है…….किन्तु यदि रंजना जी की भावनाओं और संकल्प का अनुकरण किया जाये….तो तस्वीर बदल सकती हैै …और आपका भी आभार…अभिनन्दन कि आपने इस विषय के प्रमुखता दी…

    1. जी बिल्कुल रंजना को सलाम हम सबकी ओर से

  7. Ranjana Rawat deserves a big Salute.

    Also, my sincere thanks to Maithaini ji for highlightING such a icon.

    My warm regards to both.

  8. Dhany hai bharatvarsh ki yah bitiya , bharat gaon me hi hai , weldone beta , pl take help of start up , a program of govt of india for consolidation of ur vison and thoughts god bless you -b.p.pandey dehradun

  9. lovely ranjna ji kash sabhi garhwali esa sochte to aaj garnwal or bhi sunder hota ek bar aap ke peryash ke liye dhanyabad

  10. shashi ji aapse nivedan hai ki aapke jitne v reporter hai ek baar year mai meeting krni chaiye.aur unhe motivate krna chaiye aur jyada s jayda topics k liye…

  11. Hi Ranjana
    I am also planning to move Uttrakhand soon, need support to understand the challenges you are facing there. Currently I am in Delhi. Please share your contact details on my email id.

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